Jayaprakash Narayan: जेपी के आंदोलन से छीन गयी थी इंदिरा गांधी सत्ता, जानें इमरजेंसी लागू करने की वजह
Jayaprakash Narayan: बिहार के गृह सचिव ने रेलवे तोड़फोड़ और रेल कर्मियों को डराने-धमकाने के बीस से अधिक मामले दर्ज करवाए थे. उस समय पुलिस ने आंदोलन कर रहे लोगों पर बेरहमी से जवाबी कार्रवाई की थी.
जयप्रकाश नारायण ने जब आंदोलन शुरू किया तो उस समय की सबसे ताकतवर नेता इंदिरा गांधी ने भी नहीं रोक पायी. आयरन लेडी ऑफ इंडिया, इंदिरा गांधी ना तो जेपी को मना पाईं और ना उनका आंदोलन रोक पाईं. बल्कि उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा. आंदोलन के समय जेपी बार-बार कह रहे थे कि यह आंदोलन लोकतांत्रिक और अहिंसक है. लेकिन ऐसा नहीं था. उस वक्त दुकानदारों के शटर जबरदस्ती बंद कराए गए थे. ट्रेन और बसों को मनमाने ढंग से रोका गया. भभुआ, सासाराम, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और दानापुर स्टेशनों पर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया गया था.
बड़ी संख्या में लोगों की हुई थी गिरफ्तारी
बिहार के गृह सचिव ने रेलवे तोड़फोड़ और रेल कर्मियों को डराने-धमकाने के बीस से अधिक मामले दर्ज करवाए थे. उस समय पुलिस ने आंदोलन कर रहे लोगों पर बेरहमी से जवाबी कार्रवाई की. आंदोलन में शामिल सैकड़ों छात्रों को जमकर पीटा गया. हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार लोगों में कई महिलाएं और लड़कियां भी शामिल थीं. कैदियों को हजारीबाग, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, आरा, बांकीपुर और पटना की जेलों में रखा गया था. पुलिस को 2 से 5 अक्टूबर के बीच कई जगहों पर गोलियां भी चलाना पड़ा, जिसमें कई लोगों की मौत हो गयी थी.
जब जेपी ने इंदिरा गांधी से इस्तीफा
आंदोलन के बीच ही एक और घटना हुई थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को चुनावी कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाया और उनके चुनाव को रद्द कर दिया था. इसके बाद जेपी ने इंदिरा गांधी से इस्तीफा मांग लिया, लेकिन वो इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं थी. अदालत से इंदिरा को थोड़ी राहत तो मिली लेकिन जेपी की तरफ से उनके लिए कोई राहत नहीं थी.
जेपी के तेवर से घबराई इंदिरा गांधी ने लागू की इमरजेंसी
जन आंदोलनों और जेपी के तेवर से घबराई इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को इमरजेंसी की घोषणा कर दी. इसके बाद विरोध कर रहे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. जेपी समेत करीब 600 से अधिक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. इसके बाद इंदिरा गांधी ने 1977 में आपातकाल को खत्म करते हुए आम चुनाव की घोषणा कर दी. इस चुनाव में इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़. यह वही समय था जब पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी.