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सरौन काली मंदिर की वार्षिक पूजा में दिखा आस्था का दृश्य, दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं ने टेका मात्था

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बिहार झारखंड की सीमा पर चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित प्रख्यात काली मंदिर में मंगलवार को वार्षिक पूजा के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा.

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चंद्रमंडीह/चकाई. बिहार झारखंड की सीमा पर चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित प्रख्यात काली मंदिर में मंगलवार को वार्षिक पूजा के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. रिमझिम बारिश के बीच अहले सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं भीड़ मंदिर परिसर में जुटने लगी. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर मे बढ़ती चली गयी. इस दौरान डेढ़ लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से मां काली की पूजा अर्चना की. बड़ी संख्या महिला एवं पुरुष श्रद्धालु मंदिर के बगल में स्थित बड़का आहर में स्नान कर माता की चौखट तक दंडवत देते हुए पहुंचे. इससे पहले सुबह में विद्वान पंडितों द्वारा मां की पिंडी के समक्ष दुर्गा सप्तशती का पाठ सम्पन्न कराया गया. पाठ की समाप्ति के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बड़ी संख्या मे ध्वजारोहण किया गया. आसपास के कई गांवों के लोग प्रत्येक वर्ष वार्षिक पूजा के अवसर पर बजरंगबली का ध्वजारोहण करते हैं. ध्वजारोहण के बाद दर्जनों ब्राह्मणों एवं कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही बकरे की बलि देने की शुरुआत हुई. वहीं, इस दौरान पूजा अर्चना के साथ ही दूर दराज से आये सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने-अपने बच्चों का चूड़ाकरण संस्कार भी कराया. पूजा में न केवल बिहार के कई जगहों से बल्कि झारखंड एवं बंगाल से बड़ी संख्या में यहां पहुंचे. चारों तरफ से बड़ी संख्या में भक्त विभिन्न वाहनों के सहारे तथा पैदल पूजा के लिए मंदिर पहुंचे. रुक-रुककर हो रही बारिश को देखते हुए स्थानीय प्रशासन एवं पूजा समिति के द्वारा श्रद्धालुओं के मंदिर परिसर तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गयी थी. सरौन काली मंदिर के संबंध में ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से मां की शरण में आता है, तो उसके सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. यही कारण है प्रत्येक वर्ष वार्षिक पूजा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जुटती है. इतना ही नहीं यहां वर्ष भर श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए जुटते हैं.

सरौन वार्षिक पूजा में सुरक्षा के लिए किये गये थे कड़े प्रबंध

चंद्रमंडीह. सरौन काली मंदिर मे सम्पन्न हुए वार्षिक पूजा एवं मेले को लेकर चकाई पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे. सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था को लेकर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजेश कुमार ने मंदिर परिसर में दो दिन पूर्व पूजा समिति के लोगों के साथ बैठक लंबी चर्चा की थी. इस दौरान उन्होंने पूजा एवं मेला के शांतिपूर्ण आयोजन की बात कही थी. यही कारण है कि सुबह से ही चप्पे-चप्पे पर पुलिस पूरी व्यवस्था पर पैनी नजर बनाये हुए थी. पूजा अर्चना के लिए जुटे भक्तों को कतारबद्ध कर मंदिर तक पहुंचाने मे पुलिस दिनभर जुटी रही. भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए घुठिया मोड़ एवं सरौन बाजार में बजरंगबली मंदिर के समीप बेरियर लगाकर चार पहिया वाहनों के अंदर प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी, ताकि पूजा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो. जानकारी देते हुए थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि मेले में जुटने वाली भीड़ को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह पुलिस की तैनाती की गयी है. साथ ही महिला श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए महिला पुलिस की भी तैनाती की गयी है. उन्होंने बताया कि मेला प्रबंधन द्वारा शांति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. मेले में जुटी भीड़ को व्यवस्थित करने में पुलिस को खूब पसीना बहाना पड़ा. पुलिस की सजगता का ही परिणाम है कि पूजा एवं मेला शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो पाया.

वार्षिक पूजा में दी गयी हजारों बकरों की बलि

चंद्रमंडीह. सरौन काली मंदिर में वार्षिक पूजा के दौरान हजारों बकरों की बलि दी गयी. इतनी संख्या में बलि देने के लिए पूजा समिति ने कई लोगों को लगाया था. इस दौरान बलि दिलाने के लिए बिहार, बंगाल, झारखंड सहित कई अन्य राज्यों के लोग यहां पहूंचे थे. सुबह से ही लोग कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते देखे गये. इस संबंध में मुख्य पुजारी तपस्वी पांडेय ने बताया कि सालो भर लोग मां की दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. जब भक्त की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तो लोग वार्षिक पूजा के अवसर पर यहां बकरे की बलि देने आते हैं. साथ ही आसपास के दर्जनों गांवों के प्रत्येक घरों से वार्षिक पूजा के दिन बकरे की बलि दी जाती है. यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष वार्षिक पूजनोत्सव के अवसर पर यहां हज़ारों बकरों की बलि दी जाती है.

बारिश के कारण फीका हो गया मेला का रंग

चंद्रमंडीह. सरौन के काली मंदिर में वार्षिक पूजा के अवसर पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले भव्य मेला का रंग इस बार बारिश ने पूरी तरह फीका कर दिया. बारिश के बीच बड़ी संख्या में लोग मंदिर में पूजा अर्चना के लिए तो पहुंचे लेकिन मेले का लुफ्त उठाने से वंचित रह गये. हालांकि प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेला परिसर में मनोरंजन के लिए तारामाची, कठघोड़वा, ब्रेक डांस, घूरनी, झूला, जादूघर, ताश का खेल, निशानेबाजी, स्टूडियो सहित दर्जनों तरह के साधन लगाए गए थे लेकिन बारिश ने सबकुछ फीका कर दिया. कई बार लगा कि अब मौसम साफ हो जाएगा लेकिन कुछ देर के बाद फिर से बारिश होने लगती थी. यह सिलसिला सोमवार की देर रात्रि से लेकर मंगलवार को दिनभर चलता रहा. सामान्यतया मेले में दोपहर बाद बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है. चकाई प्रखंड के अतिरिक्त आस-पास के कई जिलों के लोग मेला का लुफ्त उठाने यहां प्रत्येक वर्ष आते हैं. मेला में स्थानीय व्यवसायियों द्वारा मिठाई, खिलौना, कपड़ा सहित चाट, चाउमिन, गुपचुप एवं अन्य दर्जनों तरह की दुकानें लगाई जाती है। जहां दिनभर भीड़ लगी रहती है। लेकिन बारिश के कारण इस बार वैसा नजारा नहीं था. वहीं सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर मेला परिसर में मनोरंजन का साधन लगाने वाले लोगों में काफी निराशा देखी गयी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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