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केवीके ने बनाया पुआल को महिलाओं के आर्थिक समृद्धि का स्रोत : डीएम

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जल जीवन हरियाली अंतर्गत संचालित मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम में फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकों पर कृषि विज्ञान केंद्र बेहतरीन कार्य कर रही है.

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जमुई. जल जीवन हरियाली अंतर्गत संचालित मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम में फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकों पर कृषि विज्ञान केंद्र बेहतरीन कार्य कर रही है. उक्त बातें डीएम अभिलाषा शर्मा ने शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) भ्रमण के दौरान कहा. उन्होंने कहा कि धान की कटाई के बाद किसान जिस पुआल में आग लगा देते थे. उसे अब किसान बेलर मशीन से बंडल बना कर अपने घर ले जा रहे है. एक तरफ किसान इस पुआल का उपयोग पशुओं के लिये चारा के रूप में करते हैं वहीं किसान परिवार की महिलाएं इसका उपयोग मशरूम उगाने में भी कर रही है. जिले में तीन हजार से अधिक महिलाओं ने मशरूम उत्पादन को अपनी कमाई का जरिया बनायी है. जिले के गरो नवादा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र मशरूम हट का निर्माण कर महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहा है. हर्ष की बात है कि किसान अब पुआल जलाते नहीं है बल्कि इसका उपयोग मशरूम उत्पादन में कर रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र अपने परिसर में आलू की रोग रोधी किस्म नीलकंठ बीज उत्पादन को लेकर भी कार्य कर रहा है. केंद्र प्रमुख डॉ सुधीर ने डीएम को पूरे प्रक्षेत्र का भ्रमण कराते हुए केंद्र की ओर से कराये जा रहे बीज उत्पादन, चारा उत्पादन, नये-नये फल के पेड़-पोधा, गौ पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सुअर पालन आदि से अवगत कराया. इस दौरान कई किसान, कृषि वैज्ञानिक व केंद्र के कर्मी उपस्थित थे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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