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समाज के वास्तविक नायकों की पहचान आवश्यक, बोले गंगा प्रसाद- भारत पुनः विश्व का नेतृत्व करने योग्य

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उन्होंने देश के लिए बलिदान होने वाले क्रांतिकारियों के चरित्र से युवाओं को प्रेरणा लेने का संदेश देते हुए समाज के वास्तविक नायकों के पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे भारत पुनः विश्व का नेतृत्व करने योग्य बन सकें.

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पटना. पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने बिहार के क्रांतिकारियों के योगदान को नमन करते हुए उनकी भूमिका के महत्व को सामने रखा. उन्होंने देश के लिए बलिदान होने वाले क्रांतिकारियों के चरित्र से युवाओं को प्रेरणा लेने का संदेश देते हुए समाज के वास्तविक नायकों के पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे भारत पुनः विश्व का नेतृत्व करने योग्य बन सकें. गंगा प्रसाद रविवार को बिहार की राजधानी पटना स्थित चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय क्रांतितीर्थ कार्यक्रम के समापन समारोह के उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कला के माध्यम से संस्कार भारती जिस प्रकार राष्ट्रवाद एवं भारतीयता से समाज को जोड़ने का कार्य कर रही है, वह अनुकरणीय और अभिनंदनीय है.

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क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता

इससे पूर्व समारोह का प्रारम्भ रघुबीर नारायण द्वारा रचित देशभक्ति लोकगीत ‘सुंदर सुभूमि भईया’ के गायन से हुई. कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर ने अनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हुए उनकी भूमिका को देश की युवा शक्ति के सामने प्रस्तुत किया. उन्होंने भारत के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों द्वारा स्वाधीनता के संघर्षकाल के बारे में बताया. उन्होंने भारत के आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग से स्वाधीनता की लड़ाई में उनके योगदान की जानकारी भी दी. उन्होंने कहा कि जहां-जहां क्रांतिकारियों ने जन्म लिया, आज उसे क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता है.

स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख केंद्र बिहार

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान के निदेशक राणा सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख केंद्र बिहार की भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने देश के उन वीर हुतात्माओं को नमन करते हुए जन-जन तक उनकी कहानियों को लेकर जाने वाले संस्कार भारती के अभियान की प्रशंसा की. इस अवसर पर वरिष्ठ कलाकार एवं पद्मश्री श्याम शर्मा ने भारत की अस्मिता को बचाने के लिए अपना बलिदान देने वाले अनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने पर बल दिया. कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश राजेंद्र प्रसाद ने संस्कारों पर बल देते हुए नैतिक मूल्यों की जरूरत पर ध्यान देने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यदि आप विवेकानंद की तरह बनना चाहते हैं, तो आपको भी विवेकानंद बनने की उस पूरी प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ेगा. अपनी बात रखते हुए उन्होंने बताया कि मनुष्य के विचारों की मृत्यु नहीं हो सकती, इसीलिए उस ज्ञान के महत्व को मानव कल्याण के लिए पहचाना जरूरी है.

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वीर गाथाओं को इतिहास के पृष्ठों में स्थान नहीं मिला

कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती, बिहार प्रदेश एवं इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. जानकारी हो कि अंग्रेजों की गुलामी से भारत को मुक्त कराने के लिए हजारों ऐसे वीर क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की भेंट चढ़ा दी, जिनकी वीर गाथाओं को इतिहास के पृष्ठों में स्थान नहीं मिला. स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे गुमनाम एवं अल्पज्ञात सेनानियों की वीरगाथा को क्रान्ति तीर्थ समारोह के माध्यम से आम जनता के सामने लाने का बीड़ा उठाया है, केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय और सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज (सीएआरडीसी) ने. इसमें संस्कार भारती अहम सहयोगी की भूमिका निभा रहा है.’ आजादी के अमृत महोत्सव’ के अवसर पर क्रान्तितीर्थ श्रृंखला का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है.

40 दिनों तक चले इस ‘क्रांतितीर्थ’ कार्यक्रम का समापन

बिहार में लगभग 40 दिनों तक चले इस ‘क्रांतितीर्थ’ कार्यक्रम में चित्रकला, गायन, भाषण, काव्य पाठ वर्ग में 34 जिलों के 471 विद्यालयों और 22 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने बिहार की प्रमुख 5 लोकभाषाओं में सहभागिता की. इस दौरान 30 जिलों में नुक्कड़ नाटक और 50 से अधिक स्वंतत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान किया गया. इस पूरे अभियान के दौरान प्रदेश भर में 400 से अधिक गोष्ठियों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार एवं गुमनाम वीरों के बारे में लोगों के बीच उनके परिचय को आगे बढ़ाया.

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