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सारण में 43 फीसदी कम बारिश के कारण कई चौर-तालाब सूखे, मछली उत्पादन का लक्ष्य पाना हुआ मुश्किल

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सारण में अनुमान के 43 फीसदी कम बारिश होने तथा गंडक, घाघरा आदि नदियों में बाढ़ नहीं आने के कारण अधिकतर तालाब या चंवर सूखे हुए है. निजी नलकूप आदि के माध्यम से तालाबों में पानी भरकर मछली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है.

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छपरा (सदर). कम बारिश होने तथा अधिकतर तालाबों, चौर (चंवर) में कम पानी होने के कारण मछली पालन पर इस वर्ष प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है. निजी तालाबों या सरकारी तालाबों का बंदोबस्ती कराने वाले मत्स्य पालकों के द्वारा बेहतर उत्पादन के लिए निजी नलकूप आदि के माध्यम से तालाबों में पानी भरकर मछली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है. सारण में अनुमान के 43 फीसदी कम बारिश होने तथा गंडक, घाघरा आदि नदियों में बाढ़ नहीं आने के कारण अधिकतर तालाब या चंवर सूखे हुए है.

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सारण में 17.23 हजार एमटी मछली उत्पादन का रखा गया है लक्ष्य

जिला मत्स्य कार्यालय के अधिकृत सूत्रों के अनुसार सारण में 17.23 हजार मीटरिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वहीं इसके लिए मत्स्य पालकों को तालाब खुदवाने, पानी की व्यवस्था करने के लिए बोरिंग लगाने, मत्स्य बीज के आसानी से उपलब्धता के लिए जिला में अवस्थित चार हेचरी बनियापुर, एकमा, भेल्दी, इसुआपुर के द्वारा 50 फीसदी अनुदान पर बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को भ्रमण कार्यक्रम कराकर बेहतर मत्स्य पालन के लिए प्रशिक्षित करने की व्यवस्था भी सरकारी स्तर पर की जा रही है. वहीं तालाबों में मछली पालन करने वाले किसानों को मछली के भोजन आदि के के लिए अनुदान दिया जा रहा है.

तालाब में तीन से पांच फुट भी पानी नहीं

बारिश नहीं होना सरकार के सारी प्रयास पर भारी पड़ रहा है. मत्स्य पालक रामबाबू के अनुसार मछली के बेहतर वृद्धि के लिए तालाब में तीन पांच फुट पानी हमेशा रहना चाहिये जिससे मछली को अनुकूल तापमान मिलता है तथा उसका विकास होता है. बारिश नहीं होने के मत्स्य पालको को सितंबर, अक्तूबर के महीने में भी नलकूप चलाकर जलस्तर बनाये रखना पड़ रहा है जो काफी खर्चीला है.

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सारण में 25 हजार एमटी मछली की है खपत

सारण में 989 सरकारी तालाब जिनका एरिया पांच सौ हेक्टेयर है तथा 926 निजी तालाब जिनका क्षेत्रफल लगभग 600 हेक्टेयर है उनमें मत्स्य पालन होता है. वहीं चंवर में भी पानी ज्यादा होने की स्थिति में मछलिया बड़े पैमाने पर उत्पादित होती है. जिससे जिले में मांग के अनुरूप उपलब्धता नहीं होने की स्थिति में सात से आठ हजार मिट्रिक टन मछलियां आंध्र प्रदेश, बंगाल आदि राज्यों से सारण में आती है. पिछले वर्ष 15.56 हजार एमटी मछली का उत्पादन हुआ था.

क्या कहते है जिला मत्स्य पदाधिकारी

इस संबंध में जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार कहते हैं कि सारण में चालू वर्ष में 17.23 हजार एमटी मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें रोहू कतला, फेंगेसियस आदि मछिलयों के बीच शहर में स्थित हेचरी के माध्यम से लगभग छह सौ मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराया गया है. हालांकि बारिश कम हुई है. बावजूद मत्स्य पालक निजी बोरिंग आदि के माध्यम से जलस्तर अपने तालाब में बरकरार रख लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयासरत रहै.

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