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इंडो-नेपाल सड़क योजना : भूदान की जमीन का 62 लाख मुआवजा तय कर फर्जी व्यक्ति के नाम हो गया भुगतान

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फर्जी नाम-पता के साथ फर्जी एलपीसी व जमाबंदी रसीद पर जिला भू-अर्जन कार्यालय ने रक्सौल नोनेयाडीह निवासी सत्तार मियां के नाम पर करीब 61 लाख 60 हजार रुपये का भुगतान कर दिया है, जबकि उक्त जमीन का जमाबंदी, एलपीसी जो भुगतान के समय दर्शाया गया है, वह दूसरे व्यक्ति के नाम का है.

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  • भू-दान की जमीन पर विभाग ने किया भुगतान

  • एलपीसी, जमाबंदी व लगान रसीद भी फर्जी

  • भुगतान लेने वाले सत्तार का नहीं चल रहा पता

  • सत्तार का पता दर्ज है रक्सौल का नोनेयाडीह

  • रसीद नंबर अंचल कार्यालय को नहीं है प्राप्त

सच्चिदानंद सत्यार्थी, मोतिहारी. फर्जी नाम-पता के साथ फर्जी एलपीसी व जमाबंदी रसीद पर जिला भू-अर्जन कार्यालय ने रक्सौल नोनेयाडीह निवासी सत्तार मियां के नाम पर करीब 61 लाख 60 हजार रुपये का भुगतान कर दिया है, जबकि उक्त जमीन का जमाबंदी, एलपीसी जो भुगतान के समय दर्शाया गया है, वह दूसरे व्यक्ति के नाम का है.

भुगतान वर्ष 2017 में इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क योजना के तहत किया गया है, जिसका चेक नंबर 472533 है. चेक आठ अगस्त, 2017 को जारी करते हुए आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया गया है. इसके पूर्व महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की भूमि में भी करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया था.

मिली जानकारी के अनुसार मौजा नोनेयाडीह, थाना नंबर 85, खाता नंबर 197, खेसरा नंबर 1326 व रकबा 38.5 डिस्मिल के फर्जी भुगतान मामले में कहा गया है कि उक्त मौजा में सत्तार मियां, पिता कासीम मियां साकिन इस्लामपुर, थाना रक्सौल को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया गया है. जिस भूमि का भुगतान किया गया है, उस भूमि का अर्जन नहीं किया गया है.

आनन-फानन में फर्जीवाड़े से जुड़े लोगों ने भूदान की जमीन पर करीब 62 लाख रुपये की राशि का भुगतान कर दिया है. जबकि भूदान की जमीन सरकार की होती है. जमाबंदी नंबर 1560 का सत्तार मियां के नाम से निर्गत रसीद संख्या 066736 के आधार पर मुआवजा भुगतान किया गया है, लेकिन सीओ रक्सौल के अनुसार उक्त रसीद संख्या कार्यालय को प्राप्त नहीं है और न कार्यालय से निर्गत किया गया है. यानी रसीद भी फर्जी है.

भुगतान लेने वाला सत्तार मियां भी अब खोजने पर नहीं मिल रहे हैं, न हीं गांव वाले कुछ बता रहे हैं. मामले का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत हुआ है. सूचना के अधिकार के तहत 12 जुलाई 2021 को अंचल कार्यालय रक्सौल से जारी पत्र व कागजात से भी हुआ है.

फर्जीवाड़े से जुड़े फर्जी कागजात इस प्रकार हैं

सत्तार मियां को मुआवजा भुगतान में प्रयुक्त एलपीसी संख्या 718 दिनांक 27 जुलाई 2017 है, जबकि सीओ रक्सौल के अनुसार उक्त रसीद संख्या 27 सितंबर 2017 को निर्गत है न कि 27 जुलाई 2017 को. यही नहीं उक्त एलपीसी अखिलेश कुमार, पिता भोला प्रसाद, साकिन भरवलिया, मौजा पलनवा, थाना नंबर 36, जमाबंदी नंबर 141 के नाम से निर्गत है, जो भुगतान से संबंधित नहीं है.

जमाबंदी नंबर 1560 का उपयोग मुआवजा भुगतान में किया गया है, जबकि उक्त जमाबंदी कांति देवी, पति पुरंदर पंडित के नाम से संधारित है, जिसका भू-अर्जन के भुगतान से कोई सरोकार नहीं है. जो भुगतान किया गया है चार कट्ठा 10 धूर है. आशंका यह भी व्यक्त किया जा रहा है कि भूदान की जमीन का फर्जी दस्तावेज बनाया गया है, जो जांच का विषय है.

Posted by Ashish Jha

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