रामगढ़. पिछले आठ माह से मुख्यालय में बने रेलवे आरक्षण केंद्र के बंद रहने के कारण रामगढ़ व नुआंव प्रखंड की 23 पंचायतों के सैकड़ों लोगों की प्रतिदिन की रेल यात्रा इन दिनों काफी महंगी साबित हो रही है. काउंटर के बंद रहने से एक तत्काल टिकट लेने के लिए बाजार के साइबर कैफे में 200 से 500 रुपये अतिरिक्त देने पड़ रहे है.
इसे रोकने व देखने वाला कोई नहीं है. ऐसे कोरोना के कहर में अपने घर पहुंचे व आठ माह बाद एक बार भी रोजगार के लिए प्रदेश जाने वाले प्रवासियों के सफर में टिकट के लिए अतिरिक्त रुपये देने पर दर्द देने का काम कर रहा है. दोनों प्रखंड के सैकड़ों लोगों की पीड़ा को समझने के लिए न तो विभाग के पदाधिकारी संज्ञान ले रहे हैं न ही जनप्रतिनिधि इस पर कोई काम कर रहे हैं.
ऐसे में प्रदेश जाने वाले सैकड़ों यात्रियों की जेब प्रतिदिन रामगढ़ व नुआंव के बाजार में साइबर कैफे की दुकानों पर कतरी जा रही है. चंदेश गांव के रहने वाले विकास राय ने बताया कि काउंटर से टिकट मिलने पर एक रुपये भी अतिरिक्त वहन नहीं करने पड़ते. अब एक टिकट के लिए 300 से 500 रुपये अतिरिक्त देकर साइबर कैफे वालों के यहां नंबर लगाने पड़ रहे हैं.
वहीं, रामगढ़ बाजार के धीरेंद्र गुप्ता, अमित कुमार, चिंटू वर्मा, ओम प्रकाश अग्रवाल व डब्लू जायसवाल ने बताया कि कोरोना के दौरान मार्च महीने से बंद पड़े कंप्यूटर कृत आरक्षण केंद्र लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी नहीं खुला है. जबकि, इसी तरह का बनाया गया भभुआ मुख्यालय का आरक्षण काउंटर लगभग एक माह से चल रहा है.
बाजार वासियों ने कहा कि मुख्यालय में आखिर आरक्षण केंद्र खुलने का क्या फायदा ,जब बाजार की दुकानों पर 500 अधिक देकर हमें टिकट लेने पड़ रहे है. बाजार वासियों ने रेल पदाधिकारियों से आरक्षण केंद्र खुलवाने की मांग की है. इस संबंध में भभुआ रोड स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक संजय पासवान ने बताया कि कोरोना के दौरान रेल का परिचालन कम होने के कारण काउंटर को बंद किया गया है.
उक्त काउंटर पर प्रतिदिन कम से कम 120 आरक्षित फाॅर्म यात्रियों द्वारा मिलने चाहिए. जो कम ट्रेनें चलने के दौरान संभव नहीं है. मुगलसराय मंडल के वरीय पदाधिकारियों को इस बाबत बताया गया है. आदेश प्राप्त होते ही काउंटर चालू कराया जायेगा.
Posted by Ashish Jha