23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

राजेंद्र प्रसाद जयंती : डॉ राजेंद्र की धरती को नहीं मिला विकास का ‘प्रसाद’, उच्च शिक्षा से वंचित है आधी आबादी

Advertisement

आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद भी देश के प्रथम राष्ट्रपति के पैतृक गांव की दशा और दिशा में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ. पुरातात्विक विभाग से नियंत्रित डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास सरकारी उपेक्षा का शिकार है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जितेंद्र उपाध्याय, सीवान. 1884 का तीन दिसंबर इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है. प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद आज ही के दिन जीरादेई में जन्में. वे एक ऐसी प्रतिभा थे, जिसने अपने शैक्षिक तपोबल से ही नहीं बल्कि स्वाधीनता आंदोलन से लेकर आजादी के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में हमें एक ऐसा संविधान दिया, जो राष्ट्र की अटूट लोकतंत्र की पहचान है. उस व्यक्तित्व की धरती जीरादेई को राष्ट्रीय क्षितिज पर वह पहचान नहीं मिली, जिसका उसको हक बनता है. यह कहा जा सकता है कि डॉ राजेंद्र की धरती को उन नीति निर्माताओं के हाथों वह जयंती समारोह के लिए उनके पैतृक आवास जोर-शोर से तैयारी चल रही है.

- Advertisement -

समारोह में राजनीतिक हस्तियां व प्रशासनिक अधिकारी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचेंगे. पर यहां के लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद भी इस गांव की दशा और दिशा में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ.पुरातात्विक विभाग से नियंत्रित डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास सरकारी उपेक्षा का शिकार है. यहां की आलीशान इमारतें अपनी अतीत को याद दिला रही हैं. इस आवास को पुरातात्विक स्थल अवशेष अधिनियम, 1958 के अधीन राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है. तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने ध्वस्त हो रहे पैतृक आवास को बचाने के लिए केंद्रीय पुरातत्व विभाग को सुपुर्द किया. 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे पर्यटक स्थल बनाने की घोषणा की थी. बावजूद इसके इस आलीशान इमारत का कायाकल्प नहीं हो सका. यहां के पैतृक संपत्ति के पूर्व प्रबंधक रहे 84 वर्षीय बच्चा सिंह ने बताया कि इस भवन को देखने विदेशी व विद्यालय के छात्र समेत पर्यटक आते हैं. लेकिन यहॉ व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है.

जिस घर में बाबू ने जन्म लिया वह जर्जर

राजेंद्र बाबू का जिस घर में जन्म हुआ, वह रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गया है. इसका खपरैल असोरा टूट रहा है. जिसका अवशेष मिटने के कगार पर है. सदियों से बाबू के घर में दीप जलता था और भवन के आंगन में स्थित तुलसी माता के पौधा की पूजा-अर्चना होती थी. यह सिलसिला अनवरत चलता रहा. बाबू का परिवार वैष्णव धर्म का उपासक रहा .ज्योहीं भारतीय पुरातत्व विभाग अपने अधीन ली ,तबसे दीप, पूजा पाठ सब कुछ खत्म हो गया. साथ ही कुलदेवी की पूजा भी बंद हो गया. समाजसेवी लालबाबू प्रसाद ने बताया कि कहने को तो पांच कर्मचारी नियुक्त है. पर कोई रात को नहीं रहता और न ही विजिटर रजिस्टर है.

Undefined
राजेंद्र प्रसाद जयंती : डॉ राजेंद्र की धरती को नहीं मिला विकास का 'प्रसाद', उच्च शिक्षा से वंचित है आधी आबादी 5

उच्च शिक्षा से वंचित है क्षेत्र की आधी आबादी

डॉ राजेंद्र प्रसाद की धरती पर आधी आबादी सरकारी उपेक्षा का शिकार है. चुनाव के वक्त हर दल लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था के लिए आश्वासन देते है. चुनाव जीतने के बाद यह मुद्दा उनके एजेंडे से गायब हो जाते हैं. राजेंद्र बाबू ने खुद तो उच्च शिक्षा ग्रहण कर देश का नाम रोशन किया. लेकिन बाबू की जन्म धरती पर उनके देखे हुए सपने साकार नहीं हुए. यहां एक भी कॉलेज नहीं जहां स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती हो. जो हाइस्कूल है उसे उत्क्रमित कर इंटर तक किया गया है. उच्च शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. प्रखंड के 16 पंचायतों में प्राथमिक, मध्य व उच्च विद्यालय मिलाकर 111 विद्यालय है. पूरे प्रखंड की आबादी लगभग दो लाख से अधिक है.

Undefined
राजेंद्र प्रसाद जयंती : डॉ राजेंद्र की धरती को नहीं मिला विकास का 'प्रसाद', उच्च शिक्षा से वंचित है आधी आबादी 6

विकास की बाट जोह रहा बाबू का गांव

विकास के नाम पर जीरादेई रेलवे स्टेशन बना है. लेकिन वहां भी अभी तक रेल प्रशासन की कृपा नहीं हुई. जीरादेई रेलवे स्टेशन को मॉडल स्टेशन के बाद भी यात्री सुविधाएं नाकाफी है. स्टेशन पर न प्रमुख गाड़ियों का ठहराव है और न ही शौचालय और प्रतिक्षालय. उधर गांव के लोगों को सरकार सहित स्थानीय प्रशासन से अधिक शिकायत है. पेयजल आपूर्ति के लिए बड़ा बजट खर्च कर बनाया गया जल मीनार शोपीस बना हुआ है. लो वोल्टेज के कारण इसका मोटर नहीं चल पाता है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 8 वर्ष पूर्व जीरादेई के चयनित होने के बाद लोगों में एक बार फिर वादे के मुताबिक समग्र विकास की उम्मीद जगी थी. लेकिन यह उम्मीद भी अब तक धरातल पर नजर नहीं आयी. पुरातत्व विभाग के सख्त नियम के कारण दर्जनों परिवारों के आवास समेत अन्य स्थायी निर्माण नहीं हो पा रहे हैं. इस कानून को यहां शिथिल करने के प्रस्ताव पर भी अमल नहीं हुआ.

Undefined
राजेंद्र प्रसाद जयंती : डॉ राजेंद्र की धरती को नहीं मिला विकास का 'प्रसाद', उच्च शिक्षा से वंचित है आधी आबादी 7

राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय खंडहर में बदल चुका है. 16 पंचायतों के बीच बना यह एकमात्र आर्युवैदिक अस्पताल का भवन अब किसी काम का नही है. राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय का शिलान्यास देशरत्न की धर्मपत्नी राजवंशी देवी ने वर्ष 1957 में किया था. उनकी यह सोच थी कि यहां के लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को लेकर दूसरी जगह नहीं जाना पड़े.

Undefined
राजेंद्र प्रसाद जयंती : डॉ राजेंद्र की धरती को नहीं मिला विकास का 'प्रसाद', उच्च शिक्षा से वंचित है आधी आबादी 8

हाइकोर्ट के संज्ञान पर हुआ कुछ परिवर्तन

जनहित याचिका पर हाइकोर्ट के संज्ञान लेने पर लोगों को विकास की धूमिल हो चुकी छवि पर आशा की किरण जगी है. कोर्ट के निर्देश पर तीन सदस्यीय कमेटी का गठन हो चुका है.अब लोगों की उम्मीदें जग उठी है.शिक्षक कृष्ण कुमार सिंह कहते है कि अक्तूबर माह में हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल निजी यात्रा पर देशरत्न के पैतृक जन्मस्थली को नमन करने आये थे . उन्होंने 45 मिनट तक एक एक पहलू का अवलोकन किया व इस भवन के कुव्यवस्था को देखकर काफी चिंता व दुःख व्यक्त किया था. पटना हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया और फिर केंद्र ने 17.50 लाख का फंड आवंटन किया. इस रकम से बाबू के पैतृक आवास की चहारदीवारी व पाथवे का निर्माण किया गया. यहां के लोगों का कहना है कि हाइकोर्ट के पहल पर कुछ कार्य हुआ है.आवास की जर्जर स्थिति के लिए यह प्रयास नाकाफी है.बाबू के पैतृक आवास के अतीत को वापस लाने के लिए बड़े बजट की आवश्यकता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें