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अखंड सुहाग के लिए महिलाओं ने की वट सावित्री की पूजा

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वट सावित्री व्रत के चलते गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुहाग के लिए व्रत रखते हुए वट वृक्ष की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने के बाद कथा को सुना और आशीर्वाद लिया.

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गोपालगंज. वट सावित्री व्रत के चलते गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुहाग के लिए व्रत रखते हुए वट वृक्ष की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने के बाद कथा को सुना और आशीर्वाद लिया. सुबह पांच बजे से ही शहर के डाकघर चौक, सदर अस्पताल परिसर, जादोपुर रोड में दुर्गा मंदिर परिसर में, काली स्थान के पास, कैथवलिया, थावे रोड, स्टेशन रोड के बट वृक्ष के नीचे महिलाओं ने विधिवत अनुष्ठान किया. यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. पौराणिक कथाओं को आचार्य ने सुनाते हुए सावित्री की कथा को बताया कि कैसे वे अपने सुहाग यानि पति के प्राणों की रक्षा के लिए वट वृक्ष के नीचे यमराज की पूजा की. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान की आयु बढ़ा दी. सुहागन स्त्रियां सावित्री की तरह वटवृक्ष के नीचे पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. महिलाओं ने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना में कई व्रत रखे. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को यह व्रत गुरुवार को पूरी श्रद्धा के साथ किया. व्रती महिलाओं ने देवी सावित्री के पति प्रेम और पतिव्रत धर्म को स्मरण कर अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना की. वट सावित्री व्रत सती सावित्री से जुड़ा है. देवी सावित्री ने पति के प्राणों की रक्षा के लिए विधि के विधान को बदल दिया था. अपने सतीत्व और कठोर तपस्या से सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर विवश कर दिया था. यमराज ने वटवृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाये थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिनें वटवृक्ष की पूजा करेंगी, उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलेगा. इसका पालन सुहागिनों ने किया.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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