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गोपालगंज लोकसभा सीट : बाहरी उम्मीदवारों के लिए भी मतदाता दिखा चुके हैं अपनी दरियादिली

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गोपालगंज आरक्षित लोकसभा सीट से जिले से बाहर के चार लोग अब तक सांसद बन चुके हैं. इस सीट से रघुनाथ झा से लेकर पूर्णमासी राम तक प्रतिनिधित्वकर चुके हैं.

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गोपालगंज. उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गोपालगंज का राजनीतिक मन-मिजाज कुछ अलग है. जिले के मतदाता भी निराले हैं. यहां के मतदाताओं की दरियादिली तो यह रही है कि जिले के वासी ही नहीं, दूसरे प्रदेश और जिले से आये उम्मीदवारों को भी अपना मत देकर जीत का सेहरा पहनाया है. 2009 से वर्तमान में गोपालगंज लोकसभा सीट आरक्षित है. इसके लिए मतदान छठे चरण में 25 मई को होना है. गोपालगंज लोकसभा सीट के लिए अब तक हुए चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो यह बात स्पष्ट है कि 1984 को छोड़कर जिले के मतदाता पार्टी से अधिक प्रत्याशी को तवज्जो दिये हैं. अब तक हुए चुनावों में एकमात्र 1984 में निर्दलीय उम्मीदवार काली प्रसाद पांडेय को यहां के मतदाताओं ने विजयी बनाया था. उसके पहले और बाद में जो भी लोकसभा चुनाव हुए हैं, उसमें दलगत उम्मीदवार ही जीतते आये हैं. इसमें जिले से बाहर के भी यहां चुनाव जीत कर प्रतिनिधित्व किये हैं. अब तक जीते सांसदों पर नजर डालें, तो इस सीट से चार बाहरी उम्मीदवारों को जिले के मतदाताओं ने जीत का सेहरा पहनाया है. वर्ष 1952 और 1957 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सैयद महमूद सांसद चुने गये. ये यूपी के गाजीपुर के रहने वाले थे. उसके बाद 1962 से लेकर 1977 तक गोपालगंज लोकसभा सीट से लगातार द्वारिका नाथ तिवारी चुनाव जीते. स्व तिवारी छपरा के परसा के भैरोपुर गांव के निवासी थे. तिवारी पर मतदाताओं का विश्वास तो यह रहा कि 1977 में पार्टी बदलने के बावजूद लोगों ने उन्हीं पर भरोसा जताया. इसके बाद एक बार फिर 1999 में शिवहर वासी रघुनाथ झा समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए गोपालगंज का रुख किया. उस समय भी मतदाताओं ने जिले के रहने वाले प्रत्याशी को दरकिनार कर स्व झा को अपना आशीर्वाद देकर सांसद बनाया. बाहरी के विजयी होने का यह सिलसिला यहीं नहीं थमा, बल्कि 2009 में जब गोपालगंज आरक्षित सीट घोषित हुआ, तो जेडीयू का टिकट लेकर बगहा से गोपालगंज पहुंचे पूर्णमासी राम को भी मतदाताओं ने सिर आंखों पर बिठाया और उन्हें भी सांसद का ताज पहनाया. उसके बाद से अब तक जिले के ही वासी चुनाव जीतते आये हैं. बता दें कि पिछले चुनाव में जदयू और राजद साथ थे. इस बार भाजपा, जदयू और लोजपा साथ हैं, जिसमें एनडीए की ओर से जदयू के उम्मीदवार घोषित किये जा चुके हैं. दूसरी ओर यूपीए की ओर से यह सीट राजद के कोटे में है. अब देखना यह है कि राजद कोटे से इस बार जिले का ही कोई नेता उम्मीदवार बनता है या किसी बाहरी को टिकट मिलता है.

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