बंगाल और सीतामढ़ी के मजदूरों का छलका दर्द

गोपालगंज : हमें यूपी और राजस्थान से पैदल भागना नहीं पड़ता, यदि खाना-पानी समय पर मिला रहता. पेट की आग है, बर्दाश्त नहीं हुई. बंगाल के मालदह जिले के मोछाबाड़ी थाना इलाके के रहनेवाले मो. नसीबुल ने रुंधे गले से कहा किया कि अगर उन्हें खाना मिल ही जाता तो इस तरह क्यों भागते. मकान […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 16, 2020 3:54 AM

गोपालगंज : हमें यूपी और राजस्थान से पैदल भागना नहीं पड़ता, यदि खाना-पानी समय पर मिला रहता. पेट की आग है, बर्दाश्त नहीं हुई. बंगाल के मालदह जिले के मोछाबाड़ी थाना इलाके के रहनेवाले मो. नसीबुल ने रुंधे गले से कहा किया कि अगर उन्हें खाना मिल ही जाता तो इस तरह क्यों भागते. मकान मालिक ने घर से सामान निकालकर बाहर फेंक दिया था, लेकिन अगर खाना मिल गया होता तो कहीं टेंट में ही रहकर जिंदगी गुजार लेते. जब खाना नहीं मिला तो सभी मजदूर साथी अपनी किस्मत के भरोसे साइकिल के साथ निकल पड़ें. नसीबुल के साथ मालदह के 10 लोग हैं, जो यूपी के देवरिया में फेरी का काम करते थे.

इन्हें शहर के डीएवी हाइस्कूल में जिला प्रशासन की ओर से बनाये गये आपदा राहत केंद्र में रखा गया है.इनके के अलावा सीतामढ़ी के 50 मजदूर हैं, जो राजस्थान से पैदल चले हैं. उन्हें अपनी मंजिल कब मिलेगी, अपने घर तक कैसे पहुंचेंगे, इसका कोई अंदाजा नहीं है. वहीं बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के 19 लोग हैं. आपदा केंद्र में रहनेवाले लोगों का कहना है कि खाना समय पर नहीं मिल रहा. सुबह और रात में पूड़ी मिल रहा, जिसे खाने के बाद पेट खराब हो जा रहा. दवा भी नहीं मिल रहा और न ही स्क्रीनिंग की गयी. चापाकल है, जिससे पीने के लायक पानी नहीं निकलने की शिकायत की है.

मजदूरों का कहना है कि एक ही बाथरूम दिया गया है, जिस पर 79 लोग निर्भर हैं. कहां के कितने मजदूर 50 सीतामढ़ी, बिहार 10 मालदह, बंगाल 19 दिनाजपुर, बंगाल मजदूरों ने बयां की परेशानीफोटो नं. 4 मो. नसीबुल हक, मालदा यूपी के देवरिया से बंगाल के मालदह जाने के लिए साइकिल से निकला. करीब 110 किलोमीटर चलकर आने पर डीएम साहब ने पकड़ लिया और घर न भेजकर हाइस्कूल में भेज दिया. चार दिन तक ही रखने को कहा गया था. अबतक रखा गया है. यहां खाने के लिए भोजन व पानी बेहतर नहीं मिल रहा. फोटो नं. 5 राम किशोर, सीतामढ़ी राजस्थान से बिहार बॉर्डर पर आने के बाद महम्मदपुर में पुलिस ने पकड़ लिया. डीएवी के आपदा राहत केंद्र में रख दिया गया है. सरकार का नियम है, तो क्वारेंटिन सेंटर में रखिए. हमें कोई एतराज नहीं है.

शिकायत किससे करते. कोई नहीं सुन रहा है. सबके साथ एक ही समस्या है. मगर खाने-पीने की सामग्री बेहतर दीजिए. रात में मच्छरों के कारण नींद नहीं आती है. शिकायत करने पर फटकार पुलिस भगा देती है. फोटो नं. 6 ललन कुमार, सीतामढ़ीराजस्थान से सीतामढ़ी जा रहे थे. पुलिस लेकर आई हाइस्कूल में डाल दी. यहां न तो मेडिकल जांच हुई है और ना ही खाने के लिए भोजन ठीक से दिया जा रहा है.

चापाकल से निकल रहा पानी दूषित है, जिससे पीने के बाद बीमार होने की चिंता सताने लगी है. बाथरूम भी एक है, जिस पर 90 लोग निर्भर है. फोटो नं. 7 मित्रानंद आर्य क्या कहते हैं एचएम डीएवी उच्च विद्यालय के आपदा केंद्र में मालदा के 10, उतरी रियाजपुर बंगाल के 19, सीतामढ़ी के 50 मजदूर रह रहे हैं. भोजन अंचल कार्यालय से बनकर आ रहा है. कर्मचारी ही भोजन ला रहे हैं. आरओ की पानी की डिमांड की जा रही है, इसके लिए अंचल कार्यालय को सूचना दी गयी है.मित्रानंदा आर्य, प्राचार्य, डीएवी हाइस्कूल

Next Article

Exit mobile version