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गया के ANMMCH में लापरवाही की हद! टेक्नीशियन की जगह वार्ड ब्वॉय कर रहे ECG

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ANMMCH गया में मात्र तीन ECG टेक्नीशियन होने के कारण एक शिफ्ट खाली चल रही है. ऐसे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ईसीजी जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज और मौत की घोषणा की जाती है. ओपीडी में डॉक्टर की सलाह पर प्रतिदिन 60-70 मरीजों की ECG जांच की जाती है.

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जितेंद्र मिश्रा, गया. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (ANMMCH) में इन दिनों इसीजी तकनीशियन की कमी के चलते किसी के मौजूद नहीं रहने पर वार्ड ब्वॉय या फिर फोर्थ ग्रेड कर्मचारी से काम कराया जाता है. इनकी ही रिपोर्ट पर इलाज व मौत डिक्लेयर्ड किया जाता है. इस मामले को अस्पताल के अधिकारी व कर्मचारी गंभीर मानते हैं. इसके बावजूद इसके काम धड़ल्ले से किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, फिलहाल अस्पताल के इमरजेंसी में इसीजी तकनीशियन का एक शिफ्ट खाली ही जा रहा है. यहां तैनात इसीजी तकनीशियन को सुपर स्पेशलिटी शुरू होने के बाद वहां भेज दिया गया है. अब यहां पर दो ही शिफ्ट में तकनीशियन बच गये हैं. इसके चलते यह दिक्कत सामने आयी है.

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अन्य काम भी रहते हैं इन्हीं के जिम्मे

अस्पताल में मरीजों को राइज ट्यूब, कैथेटर, ड्रेसिंग व लवाज करना आदि का काम अधिक जगहों पर वार्ड ब्वॉय या फिर किसी फोर्थ ग्रेड स्टाफ से लिया जाता है. जबकि, इन सब कामों के लिए इन्हें नहीं रखा गया है. अनुभव के आधार पर ही दबाव में ये सब काम करने को मजबूर होते हैं.

यह है हालत अस्पताल में तकनीशियन का

इसीजी तकनीशियन मेडिसिन डिपार्टमेंट के अंडर में आता है. मेडिसिन विभाग के हेड डॉ पीके सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में तीन इसीजी व दो टीएमटी तकनीशियन तैनात हैं. यहां पर ओपीडी में एक तकनीशियन को रखना जरूरी है. हर दिन यहां 60-70 मरीजों का इसीजी करना होता है. सुपर स्पेशलिटी खुलने के बाद एक इसीजी तकनीशियन को वहां तैनात किया गया है. अब यहां पर दो इसीजी तकनीशियन ही बच गये है. तीन शिफ्ट में एक शिफ्ट खाली जा रहा है.

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क्या कहते हैं अधीक्षक

किसी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का इसीजी करना बहुत ही गलत है. इसीजी टेकनिशियन की कमी को दूर करने के लिए विभाग को पत्र पहले भी दिया गया है. दोबारा पत्र विभाग को दिया जा रहा है. इस तरह का काम आगे नहीं हो इसका ख्याल पूरा रखा जायेगा.

डॉ बीबी सिंह, प्रभारी अधीक्षक, एएनएमएमसीएच

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