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विकास के लिए प्रकृति का करें उपयोग

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पर्यावरण व अध्यात्म का बहुत गहरा संबंध है. आध्यात्मिकता हमें वास्तविकता की ओर ले जाकर प्रकृति व आत्मा के गहरे संबंध का अनुभव कराती है. भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहत नजदीक से जुड़ी है.

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गया. पर्यावरण व अध्यात्म का बहुत गहरा संबंध है. आध्यात्मिकता हमें वास्तविकता की ओर ले जाकर प्रकृति व आत्मा के गहरे संबंध का अनुभव कराती है. भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहत नजदीक से जुड़ी है. हमारी जीवन शैली सदा ही पर्यावरण मित्र शैली रही है, परंतु वर्तमान समय प्रकृति व अध्यात्म का समन्वय बिगड़ गया है. उक्त बातें सिविल लाइंस थाना के पास स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के पूर्व सप्ताह पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक कुंदन ने अपने उद्घाटन भाषण में कही. इससे पहले उन्होंने इस कार्यक्रम का दीप जलाकर उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि हम प्रकृति का उपयोग उसका शोषण करने के लिए नहीं, बल्कि विकास की मशाल को जलाकर रखने के लिए करें. वार्ड पार्षद सारिका कुमारी ने कहा कि प्रदूषण के फलस्वरूप प्रकृति के पांचों तत्वों का विघ्वंसक रूप देखने को मिल रहा है. अब प्रकृति के साथ जुड़कर उसे देवतुल्य मानने की परंपरा को जीवित रखने की आवश्यकता है. हमें आध्यात्मिक जीवन को अपनाकर अपने हृदय में प्रकृति के प्रति निच्छल प्रेम जगाने की आवश्यकता है. उन्होंने पर्यावरण को संतुलन रखने के लिए लोगों से कम से कम 10 पेड़ लगाने की अपील की. केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी शीला बहन ने कहा कि इस विश्व पर्यावरण दिवस पर शांति और सद्भाव का वातावरण बनाने का लक्ष्य रखें. भौतिक पर्यावरण को बचाते हुए इस बार सूक्ष्म पर्यावरण पर भी नजर डाली जाये. उन्होंने कहा मॉल या मंदिर में एक ही लोग आते हैं. हर जगह की ऊर्जा अलग-अलग होती है. ऐसा इसलिए कि अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग विचार व भावनाएं पैदा करते हैं. उन्होंने कहा कि वैचारिक प्रदूषण को कम करने की दिशा में भी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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