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Pitru Paksha Start: श्राद्ध पक्ष शुरू, जानें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कब और कैसे करें पिंडदान और तर्पण

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Pitru Paksha Start: पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं, प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और द्वितीय पितृ पक्ष में जिस मास और तिथि को पितर की मृत्यु हुई है, अथवा जिस तिथि को उसका दाह संस्कार हुआ है.

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हिंदू धर्म में पितृपक्ष और श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य नारायण कन्या राशि में विचरण करते हैं, तब पितृलोक पृथ्वी लोक के सबसे अधिक नजदीक आता है. श्राद्ध का अर्थ पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव से जुड़ा हुआ है. जो मनुष्य उनके प्रति उनकी तिथि पर अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलफूल, अन्न, मिष्ठान आदि से ब्राह्मण को भोजन कराते हैं. उस पर प्रसन्न होकर पितृ उन्हें आशीर्वाद देकर जाते हैं. पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं, प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और द्वितीय पितृ पक्ष में जिस मास और तिथि को पितर की मृत्यु हुई है, अथवा जिस तिथि को उसका दाह संस्कार हुआ है.

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वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध में केवल एक पितर की संतुष्टि के लिए श्राद्ध किया जाता है. इसमें एक पिंड का दान और एक ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. पितृपक्ष में जिस तिथि को पितर की मृत्यु तिथि आती है, उस दिन पार्वण श्राद्ध किया जाता है. पार्वण श्राद्ध में 9 ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है, किंतु शास्त्र किसी एक सात्विक एवं संध्यावंदन करने वाले ब्राह्मण को भोजन कराने की भी आज्ञा देते हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है. वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है.

कब किया जाता है श्राद्ध?

श्राद्ध की महत्ता को स्पष्ट करने से पूर्व यह जानना भी आवश्यक है की श्राद्ध कब किया जाता है. इस संबंध में शास्त्रों में श्राद्ध किये जाने के निम्नलिखित अवसर बताये गए हैं.

1- भाद्रपद कृष्ण पक्ष के पितृपक्ष के 16 दिन.

2- वर्ष की 12 अमावास्याएं तथा अधिक मास की अमावस्या.

3- वर्ष की 12 संक्रांतियां.

4- वर्ष में 12 वैध्रति योग.

5- वर्ष में 12 व्यतिपात योग.

6- तीन नक्षत्र: रोहिणी, आर्द्रा, मघा.

7- एक कारण : विष्टि.

8- ग्रहण : सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण.

पितृपक्ष श्राद्ध 2022 की तिथियां (मृत्यु या क्षय तिथि)

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जानें श्राद्ध की तिथि

10 सितम्बर 2022 दिन शनिवार. मूकबधिर (गूंगे बहरे पितृ का श्राद्ध, पूर्णिमा एवं प्रतिपदा (पड़वा) तिथि का श्राद्ध

11 सितम्बर 2022 दिन रविवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध

12 सितम्बर2022 दिन सोमवार तृतीया तिथि का श्राद्ध

13 सितम्बर 2022 दिन मंगलवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध

14 सितम्बर 2022 दिन बुधवार पंचमी तिथि का श्राद्ध

15 सितम्बर2022 दिन गुरुवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध (भरणी श्राद्ध)

16 सितम्बर2022 दिन शुक्रवार सतमी तिथि का श्राद्ध

18 सितम्बर 2022 दिन रविवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध

अमावस्या तिथि का श्राद्ध और सर्वपित्र श्राद्ध

19 सितम्बर 2022 दिन सोमवार नवमी तिथि का श्राद्ध

20 सितम्बर 2022 दिन मंगलवार दशमी तिथि का श्राद्ध-सौभाग्यवती (मातृ नवमी) श्राद्ध.

21 सितम्बर 2022 दिन बुधवार एकादशी तिथि का श्राद्ध

22 सितम्बर 2022 दिन गुरुवार द्वादशी तिथि का श्राद्ध

23 सितम्बर 2022 दिन शुक्रवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध

24 सितम्बर 2022 दिन शनिवार चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध. इस दिन अकाल मृत्यु (शस्त्र अथवा दुर्घटना में मरे) पित्रों का श्राद्ध किया जाता है.

25 सितम्बर 2022 दिन रविवार अमावस्या तिथि का श्राद्ध और सर्वपित्र श्राद्ध.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

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