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गया में योजनाओं की अनदेखी, नगर निगम की बैठकें भी बेअसर, अधिकारी बने उदासीन

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गया शहर के विकास के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे प्रयास रंग नहीं ला रहे हैं. बैठक में किए गए वादे के अनुसार कार्रवाई नहीं हो रही. इस पर आंदोलन का रास्ता अपनाने की बात कही जा रही है. यहां तक ​​कि पुरानी मांगों पर भी अगली बैठक में चर्चा नहीं हो रही है

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Gaya Nagar Nigam: गया शहर का अस्तित्व बरकरार रखने के साथ पावर प्रदर्शन के लिए जनप्रतिनिधियों की ओर से हर बार नगर निगम की बैठकों में कवायद की जाती है. हालांकि, इसका कोई परिणाम अब तक नहीं निकलता हुआ दिखता है. सिर्फ कोई परिणाम या फिर कार्रवाई नहीं होने को लेकर बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक में हो-हल्ला सुनाई जरूर पड़ती है.

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बैठक में कहा जाता है कि विभिन्न तरह के प्रस्तावों को पारित निगम की बैठक में किया जाता है. लेकिन, जमीन पर काम करने में हर बार अधिकारी कोताही करते हैं. इससे अब उनके होने-न-होने का मतलब ही कुछ समझ नहीं आता है. पार्षदों से लेकर अन्य सभी जनप्रतिनिधियों का दर्द एक जैसा ही दिखता है. निगम में दबदबा बरकरार रखने के लिए कई तरह के प्रस्तावों के साथ योजनाओं में गड़बड़ी के साथ कर्मचारियों की मनमानी का मुद्दा निगम की बैठकों में उठाया जा रहा है. इसमें इंजीनियर सबसे अधिक निशाने पर हैं.

इंजीनियर पर कार्रवाई का प्रस्ताव पारित पर कार्रवाई नहीं

पिछले दिन बोर्ड की बैठक में एक इंजीनियर पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित किया गया. यह प्रस्ताव पिछले स्टैंडिंग की बैठक में ही पारित कर दिया था. बोर्ड में स्वीकृति के लिए लाया गया. अब यहां पर अधिकारी की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर मेयर, सशक्त स्थायी समिति सदस्य व कई पार्षदों ने कहा कि प्रस्तावों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी, तो अब आंदोलन किया जायेगा. इसमें धरना व प्रदर्शन आदि को आंदोलन में शामिल किया जायेगा. बैठक में मेयर व अन्य सदस्यों ने इतना तक कह दिया कि बैठक में सिर्फ कागज रंगने के लिए यहां नहीं आते हैं. हर बार प्रस्तावों को बैठक के बाद अधिकारी दरकिनार कर देते हैं.

पहले भी हो चुका है प्रस्ताव पारित

नगर निगम की बैठक में बोर्ड के गठन के साथ ही कई तरह के नियमों के विरुद्ध काम किये जाने का आरोप लगाया जाने लगा. इसमें एक सहायक अभियंता पर निगम के वेस्टेज का खुद ही फाइल डील कर बेचने का आरोप लगाया गया. इसमें केस करने के साथ कठोर कार्रवाई करने का प्रस्ताव बैठक में पारित हुआ. इसके साथ ही बोर्ड के गठन के तुरंत बाद मनमाने ढंग से करोड़ों रुपये की योजनाओं को विभागीय तौर पर पूरा करने के संबंध में जांच का प्रस्ताव पारित किया गया है. लेकिन, बाद में मामला ठंडा हो गया.

पिछली बैठक में एक सहायक अभियंता व बोर्ड से लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि कई बार प्रेस कांफ्रेंस कर तरह-तरह के आरोप लगाये गये. बाद में बिना किसी कार्रवाई के ही मामला शांत हो गया. इस बार आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया है. हालांकि, कई पार्षदों ने कहा कि हर बार अधिकारी पर दबाव बनाने के लिए इस तरह की बात बैठकों में की जाती है.

इन योजनाओं के प्रस्ताव पर भी नहीं दिया जा रहा ध्यान

पांच वर्ष पहले निकाय चुनाव से पहले कई बड़ी याेजनाओं को बोर्ड ने जल्दबाजी में पूरा किया. अब तक इन योजनाओं का लाभ लोगों को दिलाने के लिए हर बार बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक में प्रस्ताव को पारित किया जा रहा है. लेकिन, इसमें अब तक काम शुरू कराने की पहल तक निगम के प्रशासनिक स्तर पर नहीं की गयी है. इसमें प्रदूषण रहित शवदाह को चालू कराना, ब्रह्मसत तालाब में लाइट एंड साउंड की योजना को चालू कराकर धार्मिक गाथा दिखाना, जानवरों का शवदाह के लिये लगायी गयी मशीन को चालू कराना आदि शामिल हैं. इन योजनाओं को पूरा करने में निगम का करोड़ों रुपये खर्च हुआ है. इसके बाद भी यहां किसी का ध्यान नहीं है.

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क्या कहते हैं मेयर

हर बैठक में शहर की बेहतरी के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है. ताकि, शहर को सुंदर बनाया जा सके. नीति निर्धारण कर प्रस्ताव में लाने में कभी भी कंजूसी निगम बोर्ड की ओर से नहीं की जाती है. इस बार डायरेक्ट चुनाव होने के बाद लोगों की आशा बहुत अधिक निगम बोर्ड से बढ़ गयी है. निगम की ओर से गलती करने पर कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है. कई योजनाओं के चालू करने का भी दबाव बनाया जा रहा है. सभी के सहयोग से ही शहर को बेहतर बनाया रखा जा सकता है. इसमें किसी तरह का भेदभाव किसी स्तर से नहीं होनी चाहिए. इसके बाद ही शहर को बेहतर रूप दिया जा सकता है. बैठक में कई प्रस्तावों को पारित होने के बाद भी अब तक लागू नहीं किया जा सका है.

वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान, मेयर

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