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बिहार में पड़ोसी राज्यों की तुलना में गुजारा करना आसान, विकास तेज पर महंगाई दर है कम

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सरकार के प्रयासों से महंगाई नियंत्रित होने ही लगी थी कि फिर से इसमें तेजी का दौर लौट आया है. पिछले कुछ महीने से खुदरा महंगाई दर में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. जुलाई में महंगाई दर पिछले कई महीनों से अधिक हो गयी है.

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पटना. महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर से स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है. फिर भी बिहार में गुजारा करना पड़ोसी राज्यों की तुलना में आसान है. बिहार की महंगाई दर जुलाई महीना में 7.75% रही है,जो कि झारखंड,उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की तुलना में कम है. इन राज्यों में झारंखड में महंगाई दर 9.16%,उत्तर प्रदेश में 8.13% और पश्चिम बंगाल में 8.16% रही. हालांकि महंगाई के राष्ट्रीय औसत 7.44% की तुलना में बिहार में महंगाई दर अधिक है. सरकार के प्रयासों से महंगाई नियंत्रित होने ही लगी थी कि फिर से इसमें तेजी का दौर लौट आया है. पिछले कुछ महीने से खुदरा महंगाई दर में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. जुलाई में महंगाई दर पिछले कई महीनों से अधिक हो गयी है. इस वृद्धि पीछे खाने-पीने की चीजों के बढ़े दाम का सबसे ज्यादा योगदान होगा. एक एक टमाटर की कीमतों में अप्रत्याशित तेजी का असर अन्य सब्जियों के भाव पर भी हुआ है.

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अक्टूबर 2022 के स्तर पर पहुंची महंगाई दर

चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के दूसरी तिमाही का जुलाई पहला महीना है और पहले महीने खुदरा महंगाई की दर 7.44 फीसदी के स्तर को छू चुकी है. यह स्तर अक्टूबर 2022 की महंगाई दर 8.39% से थोड़ा कम है.अभी टमाटर व अन्य सब्जियों के भाव कुछ नरम हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि इससे अगस्त और सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई की दर जुलाई की तुलना में कुछ कम रहे.

महंगाई कैसे मापी जाती है?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है.रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआइ) भी कहते हैं.वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्लूपीआइ) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं. दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है. जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है. वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07%, कपड़े की 6.53% और फ्यूल सहित अन्य आइटम की भी भागीदारी होती है.

10.64 फीसदी रहा बिहार का विकास दर

विकास दर के मामले में बिहार ने पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त किया है. 10.64 फीसदी की दर से वित्तीय वर्ष 2022 -23 में बिहार ने यह उपलब्धि हासिल की है. बिहार के बाद असम 10.16% और दिल्ली 9.1 8% है. पिछले वर्ष 2021-22 में बिहार का विकास दर 10.98% होने के बावजूद देश में तीसरे स्थान पर था.

देशभर में सबसे ज्यादा बिहार का विकास दर

आंध्र प्रदेश 11.41% के साथ पहले स्थान पर और 11% के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर था. पिछले दिनों नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार ने देश में गरीबी हटाने के मामले में पहला स्थान प्राप्त किया था. एक महीने में यह दूसरी बड़ी रिपोर्ट है जिसमें बिहार का प्रदर्शन पूरे देश में सबसे बेहतर रहा है.

बीजेपी ने केंद्र सरकार को दिया क्रेडिट

जदयू के नेता इसे नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व और बेहतर प्रबंधन का उदाहरण बता रहे हैं और बीजेपी को नसीहत भी दे रहे हैं तो वहीं बीजेपी का कहना है कि केंद्र के सहयोग से बिहार में विकास हो रहा है. जनता भी इसे समझ रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है बिहार के विकास में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन बिहार सरकार उसे छिपाना चाहती है. हम लोग जनता को बता रहे हैं और जनता भी समझ रही है. वहीं अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है जिस प्रकार से लगातार बिहार के पक्ष में केंद्र सरकार की रिपोर्ट आ रही है, उसका स्वागत करना चाहिए.

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