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बिहार के इस मंदिर में सालों से जल रही है अखंड दीप, भारी संख्या में आते हैं भक्त, जानिए इसके पिछे की मान्यता

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Durga Puja 2023: बिहार में दुर्गा पूजा मनाया जा रहा है. लोग काफी उत्साहित है और राज्य के अलग- अलग हिस्सों में पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. राजधानी पटना के एक मंदिर की मान्यता है कि यहां सौ से अधिक सालों से अखंड दीप जल रहा है.

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Durga Puja 2023: बिहार में दुर्गा पूजा मनाया जा रहा है. लोग काफी उत्साहित है और राज्य के अलग- अलग हिस्सों में पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. बिहार के पटना जिले में स्थित श्री अखंडवासिनी मंदिर में दुर्गा पूजा के मौके पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. गोलघर के पास स्थित श्री अखंडवासिनी मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां 109 सालों से अखंड दीप जल रह है. यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है. नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में देखने को मिलती है. इस मंदिर में मां दुर्गा अखंडवासिनी माता के रूप में विराजमान है. यहां कई वर्षो से घी और तेल का अखंड दीपक लगातार जलाया जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सारी मनोकामना मां दुर्गा पूरी करती हैं. अखंडवासिनी मंदिर का अखंडदीप चर्चा का केंद्र है. कहा जाता है कि यह 100 से अधिक सालों से यहां जल रहा है.

मां के दर्शन के लिए दूर- दूर से आते हैं भक्त

बताया जाता है कि भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के उद्शेय से इस मंदिर में आते है. इसके लिए लोग मां की पूजा करते हैं. मां को सात हल्दी, नौ लाल फूल, सिंदूर अर्पित किया जाता है. यहां प्रतिदिन मां की आरती की जाती है. वहीं, हर मंगलवार को बड़ी संख्या मे भक्त यहां आते हैं. कहा जाता है कि राज्य के अलग- अलग हिस्सों से भक्त यहां माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. बताया जाता है कि यह मंदिर पहले झोपड़ी में विराजमान थी. तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार के लोग इस मंदिर की देखरेख करते हैं. नवमी के दिन यहां कन्या पूजन किया जाता है. इसके बाद भंडारा का भी आयोजन होता है. मान्यता है कि यहां लोगों की सारी इच्छा पूरी होती है. वहीं, अखंड दीप का जलना इस मंदिर को कई मायनों में खास बनाता है. इसमंदिर का नाम भी श्री अखंडवासिनी मंदिर है. यह दीप मां की भक्ति का परिचय है. यह लोगों की मां के प्रति भक्ति को दिखाता है.

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मां का दरबार लोगों के लिए तैयार

वहीं, सीवान के एक मंदिर की मान्यता है कि यहां डेढ़ सौ वर्षों से पूजा होती आ रही है. शारदीय नवरात्र शुरू होते ही मां दुर्गा की आराधना के लिए सभी मंदिरों व स्थानों पर पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ जुटने लगती है. सीवान के प्रखंड क्षेत्र के हड़सर पंचायत के पूर्वी हड़सर गांव में मां हड़सरा देवी के स्थान पर नवरात्रि, सावन व चैत महीने में पूजा करने व मेला देखने के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. ग्रामीणों के सहयोग से पूजा पाठ और मेले का भी आयोजन किया जाता है. नवरात्रि के नौ दिन तक सुबह से शाम तक पूजा करने के लिए लोगों की भीड़ रहती है. दर्शन करने आये लोगों के लिए दरबार सज- धज के तैयार हैं.

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डेढ़ सौ वर्षों से हो रही है मां की पूजा

हड़सर गांव के ग्रामीणों की मान्यता है कि यहां पर मां काली व उनके रूपों की डेढ़ सौ वर्षों से पूजा होती आ रही है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि काली मां कोलकाता से चल कर कामाख्या पहुंची. जहां उनको कमाख्या देवी के नाम से जाना गया, उसके बाद पटना में रुकी, जहां पटन देवी कहलाई, पटना से आमी पहुंची, जहां आमी माई के नाम से विख्यात हुई. उसके बाद हड़सर पहुंची, जहां हड़सरा देवी के नाम से जानी गयी. इसके बाद थावे पहुंची, जहां मां थावे वाली के नाम से जानी जाती हैं. नवरात्रि में मां की दर्शन करने के लिए दूर शहर व गांव से लोग आते हैं. शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक पूजा की जाती है. जहां पर ग्रामीणों के सहयोग से भक्ति कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. मां हड़सरा यहां पर सावन एवं चैत महीने में मेला लगता है. इस मेले में हजारों की संख्या में लोग मेला देखने आते हैं. मेला में कई प्रकार के झूले लगाए जाते हैं. पूजा समिति की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम जिसमें भक्ति व देवी गीतों को कलाकार गाते हैं. पूजा करने के लिए सिरसाव मठिया, दरौंदा, पिपरा, कोडारी, भूसी, हाथोपुर, धनौती, धनाडीह, विश्वम्भरपुर, रसूलपुर, मिल्की, कोल्हुआ, अरजल, मंद्रपाली , मंदरौली, तिलौता रसूलपुर, फलपुरा के अलावे दर्जनों गांवों के लोग पहुंचे हैं.

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