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Darbhanga News: डीएमसीएच के गायनिक विभाग में एक साल में 6621 बच्चों ने खोली आंख

Darbhanga News:डीएमसीएच के गायनिक विभाग में पिछले साल 6621 नवजात ने आंखें खोली.

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Darbhanga News: अजय कुमार मिश्रा, दरभंगा. उत्तर बिहार के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच के गायनिक विभाग में पिछले साल 6621 नवजात ने आंखें खोली. इसमें से 298 बच्चों की मौत अस्पताल में ही हो गयी. मरने वाले बच्चों में 158 मेल व 140 फिमेल थे. इनका कुल प्रतिशत 4.5 प्रतिशत रहा. हालांकि विभागीय डॉक्टर व कर्मी ने इन बच्चों को बचाने की हरसंभव कोशिश की. बावजूद वे इन नवजात को जिंदगी नहीं दे सके. पूरे साल प्रसव के दौरान 13 गर्भवती महिलाओं ने दम तोड़ दी. विभागीय आंकड़ा के अनुसार 12 महीने में सामान्य प्रसव से 3414 व ऑपरेशन से 3207 बच्चों ने जन्म लिया. इसमें 3538 लड़के व 2871 लड़की है.

सितंबर माह में सबसे अधिक 690 बच्चों का जन्म

डीएमसीएच में संस्थागत प्रसव पर जोड़ दिया जाता है. विभागीय डेटा के अनुसार नॉर्मल डिलीवरी से सितंबर माह में सबसे अधिक 690 बच्चों का जन्म हुआ. नार्मल डिलीवरी से 358 एवं ऑपरेशन के बाद 332 बच्चों ने जन्म लिया.

सही से स्वास्थ्य का नहीं रखते ख्याल

नवजात की मौत रोकने के लिये सरकार की ओर से लगातार पहल की जा रही है. कई एनजीओ भी इस कार्य में जुटा है. चिकित्सकों के अनुसार जागरूकता के अभाव के कारण मृत्यु दर को पूरी तरह से नहीं रोक पा रहे हैं. महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक संजीदा नहीं रहती हैं. गर्भवती महिलाओं को समय- समय पर निकट के सरकारी अस्पताल जाकर टीका व रेगुलर चेकअप करानी चाहिये. किसी प्रकार की बीमारी की स्थिति में चिकित्सक के संपर्क में रहना जरूरी है. चिकित्सकों के अनुसार इन सब पर ध्यान देकर ही हम मौत के आंकड़े में कमी ला सकते हैं.

वर्ष 2024 में डीएमसीएच का आंकड़ा

महीना- नॉर्मल डिलीवरी- मेल चाइल्ड- फीमेल चाइल्ड- मेल डेथ- फिमेल डेथ

जनवरी- 300- 146- 132- 132- 15

फरवरी- 291- 142- 140- 03- 09

मार्च- 279- 140- 125- 06- 09

अप्रैल- 241- 122- 109- 06- 07मई- 232- 129- 94- 11- 03

जून- 213- 95- 96- 17- 08जुलाई- 268- 132- 122- 12- 10

अगस्त- 322- 173- 151- 07- 03सितंबर- 358- 194- 151- 11- 06

अक्तूबर- 330- 183- 126- 13- 11नवंबर- 288- 162- 112- 15- 06

दिसंबर- 292- 157- 122- 05- 11

मातृ और नवजात के स्वास्थ्य सेवाओं में किया जाए सुधार

एनएनएफ प्रेसिडेंट डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि मृत शिशु के जन्म को एक हद तक रोका जा सकता है अगर मातृ और नवजात के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जाए. प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रसव, समुदाय की जागरूकता, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और जोखिम कारकों का समय पर प्रबंधन कर नवजात मृत्युदर को कम किया जा सकता है. मातृ- शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम (जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना) ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इससे पहले की अपेक्षा नवजात मृत्युदर में कमी आयी है. मिलेनियम डेवलपमेंट गोल के तहत 2030 तक स्टिलबर्थ दर का लक्ष्य 12 प्रति 1000 प्रसव से कम करना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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