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कोरोना का खौफ: मुंबई से घर पहुंचा युवक, कोरोना होने के अफवाह पर मचा हड़कंप

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कोरोना वायरस का एक संदिग्ध मरीज मिलने की खबर से हड़कंप मच गया. गांव में अपरा-तफरी का माहौल बन गया

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बक्सर. बिहार के बक्सर जिले के चौगाईं प्रखंड के चौगाईं गांव में कोरोना वायरस का एक संदिग्ध मरीज मिलने की खबर से हड़कंप मच गया. गांव में अपरा-तफरी का माहौल बन गया. मरीज चौगाईं गांव के लालू ठाकुर के पुत्र शिवजी ठाकुर बताया जा रहा है, जो बुधवार को मुंबई से अपने गांव आया था. गांव आते ही वह सर्दी, बुखार से पीड़ित हो गया, जिसे लेकर लोगों में भय व्याप्त हो गया, जिसे चौगाईं पीएचसी में इलाज के लिये भर्ती कराया गया. चौगाईं प्रभारी डॉ मितेंद्र कुमार ने टीम के साथ बचाव किट पहनाकर तत्काल उसे एबुंलेंस के जरिये बक्सर सदर अस्पताल रेफर कर दी. सदर अस्पताल में मरीज की जांच-पड़ताल कर उसे दवा देकर घर भेज दिया गया.

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सिविल सर्जन डॉ ऊषा किरण वर्मा ने बताया कि इलाजरत मरीज में कोरोना का वायरस नहीं है. उसे सर्दी-जुखाम था. दवा देकर उसे घर भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि चौगाईं गांव के लालू ठाकुर के पुत्र शिवजी ठाकुर मुंबई में कपड़ा लाइन में काम करता था. कोरोना को लेकर कपड़ा लाइन में काम बंद हो गया, जिसके बाद शिवजी ठाकुर बुधवार को देर शाम अपने गांव आया. तभी अचानक शिवजी ठाकुर को रात्रि में तेज खांसी, बुखार, और हाफ जैसी हो गयी. जिसे लेकर आसपास के मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया. आसपास के लोगों ने तत्काल इसकी सूचना पीएचसी में दिया. जहां डॉक्टरों ने उसे बचाव किट लगा कर अस्पताल में लाया.

भीड़ के बावजूद ओपीडी नहीं होती सैनीटाइज

एक तरफ कोरोना वायरस को लेकर साफ-सफाई को लेकर लगातार विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जा रहा है. वहीं सदर अस्पताल में इसकी धज्जियां उड़ाई जा रही है. गुरुवार से अस्पताल में कोरोना वायरस से स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को बचाव को लेकर बायोमीट्रिक विधि से हाजिरी बनाने पर भी रोक लगा दिया गया है. वहीं ओपीडी में जुटने वाली भीड़ को लेकर न तो ओपीडी को सैनीटाइज किया जाता है और न ही कभी फर्श की साफ-सफाई किसी एंटी वैक्टिरियल केमिकल से ही किया जाता है. सदर अस्पताल में साफ-सफाई केवल सादे पानी के माध्यम से पोछा लगाकर किया जाता है. ऐसी स्थिति में संक्रमण की खतरा बना हुआ है. यह बात अस्पताल के ही कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया. जबकि जिले के सदर अस्पताल में प्रतिदिन पांच सौ के करीब मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते है.

सदर अस्पताल में संचालित ओपीडी को सैनीटाइज भी नहीं किया जाता है. सैनीटाइज के मामले में अस्पताल प्रबंधन ने कुछ अलग ही अपनी बात को रखा. वहीं विभागीय लोगों ने भी अस्पताल की साफ सफाई से अपनी असहमति जताई और उन्होंने साफ-सफाई का केवल कोरम पूरा करने की बात कहा. सूत्रों ने बताया कि कार्यालय के कुछ कमरों में पोछा लगाने में केमिकल का व्यवहार किया जाता है. इस संबंध में जब सिविल सर्जन डॉ उषा किरण वर्मा ने कहा कि सैनीटाइजर नहीं मिल रहा है. वही इन्फ्रारेड थर्मामीटर भी नहीं मिल रहा है. हालांकि इसके लिये विभाग से पत्राचार किया गया है.

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