13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 07:54 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Patna: 1857 के सिपाही विद्रोह का गवाह है पादरी की हवेली, वेनिस वास्तुकार ने किया था चर्च का डिजाइन

Advertisement

Christmas Celebration: रविवार को क्रिसमस सेलिब्रेट किया जायेगा. जब बात क्रिसमस की हो रही है, तो चर्च की बात होना लाजमी है. राजधानी पटना में मुगलों के दौर से चर्च है. बिहार का पहला चर्च पटना सिटी में स्थापित किया गया था, जिसे आज भी ‘पादरी की हवेली’ के नाम से जाना जाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सुबोध कुमार नंदन

- Advertisement -

पटना. धन्य कुंवारी मरियम का मिलन यानी ‘पादरी की हवेली’. यह चर्च बिहार का सबसे पुराना चर्च है. इस चर्च को कुंवारी मैरी को समर्पित किया गया है. इस चर्च को आज तक ऐतिहासिक यूरोपियन चर्च माना जाता है. सभी धर्मों के लोग नियमित रूप से इस चर्च में प्रार्थना के लिए आते हैं. क्रिसमस के मौके पर ‘पादरी की हवेली’ में उत्सव का माहौल होता है और यहां लोगों की भीड़ प्रार्थना करने के लिए लगी रहती है. बिहार आगमन के बाद रोमन कैथोलिकों ने पटना सिटी में महागिरजाघर एक छोटा सा गिरजा (चर्च) का निर्माण वर्ष 1713 में करवाया था. उस वक्त यहां आने वाले अधिकांश यूरोपवासी और उनके कर्मचारी महागिरजाघर में पवित्र मिस्सा (पूजा) के लिए आते थे.

वेनिस वास्तुकार ने किया था चर्च का डिजाइन

छह अक्तूबर 1772 को फादर जोसेफ (कपुचियन) जो नेपाल मिशन के प्रिफेक्टू अपोस्टोसलिक थे,पटना सिटी में महागिरजा घर का पुनर्निर्माण किया गया. इसका डिजाइन सिगनोर टेरिटो नामक एक वेनिस वास्तुकार ने किया था. चर्च आम लोगों के लिए आठ दिसंबर 1772 में प्रार्थना के लिए खोला गया. इसका उद्घाटन पटना के विकारियेट अनासतसियुस हार्टमन ने किया था. यहीं पादरियों के गुरु एलिस रहते थे. चर्च परिसर एक विशाल धर्मपीठ घंटा लगा है,उसे नेपाल के पृथ्वी नारायण महाराज के पुत्र बहादुर शाह ने कपुचियन फादर को 1782 में भेंट किया था. इसे मिस्सा (पूजा) के समय प्रतिदिन नियमानुसार सुबह और शाम को बजाया जाता है.

Also Read: अभ्यास के अभाव में गणित में पिछड़ रहे बिहार के बच्चे, 2017 की तुलना में 2021 की रिपोर्ट ठीक नहीं
पादरियों को दान में दी गयी थी जमीन

पादरी की हवेली को जमीन सन 1620 ईस्वी में ही मुगल सूबेदार मुकर्रम खां ने पादरियों को दान में दी थी. कोलकाता से सेंट फ्रांसिसकन समाज के पादरी नेपाल और तिब्बत जाने के क्रम में यहां ठहरते थे. इसे सेंट मैरी चर्च भी कहा जाता है, इसकी आधारशिला की लंबाई 70 फीट, चौड़ाई 40 फीट और ऊंचाई 50 फीट है. यह चर्च ब्रिटिश व्यापारियों और बंगाल के नवाब मीर कासिम के बीच हुए युद्ध और वर्ष 1857 के सिपाही विद्रोह का गवाह है. वर्ष 1948 में मदर टेरेसा ने यहां नर्स के रूप में औपचारिक प्रशिक्षण लिया था. वह जिस कमरे में रुकी थी, उसमें उनकी एक खाट, एक मेज और बहुत सी चीजें रखी गयी हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें