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Chhath Puja: बिहार के आइएएस दंपति ने ऐसे मनाई छठ, यूपी के डीजीपी ने दिया ये संदेश

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Chhath Puja: '' मैं, 29 साल से बिहार की सेवा कर रही हूं. फिर भी आप मुझे बाहर का कह रहे हैं... मैं बिहार में रचबस गई हूं...'' यह कहते हुए बिहार की 1995 बैच की आइएएस तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में प्रधान सचिव डॉ. एन विजया लक्ष्मी छठ की महत्ता बताने लगती हैं. वह यहीं नहीं रुकती. बिहार में सेवा देने वाले अफसरों को भी छठ करने की सलाह देती हैं.

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Chhath Puja: उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ ही महापर्व छठ का समापन भले हो गया है, इसकी धूम अभी भी मची हुई है.  तीन दिन तक चलने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक  और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.  देश – दुनिया के कोने-कोने में लोगों ने इस पर्व को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया. इस पवित्र पर्व को उन नौकरशाहों ने भी मनाया जो राज्य में बड़ा औहदा रखते हैं. मूल रूप से बिहार के निवासी नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं, वरिष्ठ आइएएस अधिकारी दंपति डॉ. एन विजया लक्ष्मी और डॉ. एस. सिद्धार्थ की. दक्षिण भारत में जन्मे दोनों आईएएस अधिकारी बिहार आए तो  यहीं के हो गए.  प्रभात खबर के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डॉ एन विजया लक्ष्मी कहती हैं- ‘ छठ केवल आस्था का पर्व नहीं है. यह बिहार का महापर्व है, जो यहां की लोक संस्कृति के प्रति सम्मान और लोगों के प्रति सेवा भाव प्रकट करता है. मेरा जन्म दक्षिण के प्रांत तेलंगाना में हुआ, लेकिन 29 वर्षों से आईएएस अधिकारी के रूप में बिहार की सेवा करते-करते यह राज्य मेरे अंदर बस गया है. मेरा रहन-सहन और खानपान दोनों ही बिहार की संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं. ” 

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प्रशासनिक अफसरों के लिए जरूरी माननती है छठ करना

डॉ एन विजया लक्ष्मी का मानना है कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को छठ जरूर करना चाहए. वह कहती हैं- मेरा मानना है कि यदि अधिकारी स्थानीय संस्कृति, परंपरा और पर्वों से वाकिफ नहीं होंगे, तो वे लोगों की समस्याओं को सही ढंग से नहीं समझ पाएंगे. सभी, विशेषकर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को स्थानीय लोकाचार, परंपरा और रीति रिवाजों की जानकारी रखनी चाहिए. उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन पर्वों में भाग लेना चाहिए, जिससे जनता के बीच उनकी उपस्थिति अधिक प्रभावी बन सके. छठ पर्व हमें एकता, भक्ति और सेवा का संदेश देता है. यह पर्व न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह हमें एकजुट होकर काम करने की प्रेरणा भी देता है. जब हम स्थानीय परंपराओं में भाग लेते हैं, तो हम जनता के साथ अपने संबंधों को मजबूत करते हैं और उनकी समस्याओं को बेहतर समझ पाते हैं.

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आइएएस दंपति ने खुद तैयार की पूजा की सामिग्री 

डॉ एन विजया लक्ष्मी ने व्रत का पहला अनुभव प्रभात खबर के साथ साझा किया. वह बताती हैं कि राज्य में विभिन्न पदों पर रहते हुए छठ पर्व की तैयारी से लेकर कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने तक की जिम्मेदारी निभाई थी. मेरे लिए जनता सर्वोपरि है. मैं हमेशा पब्लिक-फ्रेंडली रही हूं. लोगों के साथ घुल मिलकर रहने से यह अनुभव हुआ कि छठ बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. इसी सोच से प्रेरित होकर मैंने 2013 में पहली बार छठ पर्व मनाने का निर्णय लिया, और तब से यह परंपरा अनवरत जारी है. दो-तीन वर्षों से उनके पति 1991 बैच के आईएएस अधिकारी राज्य के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ भी इस व्रत को मनाते आ रहे हैं.  दोनों ने मिलकर निर्जला व्रत रखा और ठेकुआ आदि प्रसाद अपने हाथ से बनाया. घर में स्थित छोटे से पोखर में अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा संपन्न की. 

यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बिहार के लोगों को दिया छठ पर संदेश 

बिहार में जन्मे और वीरता और पुलिस सेवा के कई मेडल पुरस्कारों से सम्मानित उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक  प्रशांत कुमार ने भी बिहार के लोगों को महापर्व की शुभकामनाएं दी हैं. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने कहा – बिहार से जुड़े होने के नाते, छठ महापर्व मेरे लिए केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक कड़ी का प्रतीक है. यह पर्व न सिर्फ बिहार, बल्कि उत्तर प्रदेश और समग्र उत्तरी भारत की संस्कृति और परंपराओं का अनमोल हिस्सा है. छठ पूजा का हर पहलू हमें हमारे रीति-रिवाजों, संस्कारों और जीवन के प्रति श्रद्धा का गहरा अहसास कराता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे समाज में जीवित रहता है. प्रशांत कुमार का मानना है कि जब हम सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं, तो यह न केवल आस्था और समर्पण का प्रदर्शन होता है, बल्कि यह हमें जीवन की कठिनाइयों को पार करने, श्रम के महत्व को समझने और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना को जागृत करने का भी अवसर देता है. माता छठी मैया का आशीर्वाद और सूर्य देवता की उपासना हमारे भीतर संयम, सहनशीलता और ईमानदारी जैसे गुणों को सशक्त बनाती है. इस महापर्व के माध्यम से हम अपने बच्चों को एक संस्कारी, संवेदनशील और सशक्त समाज की दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं. मैं आप सभी से यह अपील करता हूं कि इस पवित्र अवसर पर हम शांति, सौहार्द और पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूकता के साथ इस पर्व को मनाएं. छठ पूजा हमें एकता, प्रेम और सहयोग का असली संदेश देती है, जिससे हम अपने समाज को और बेहतर बना सकते हैं.

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