17.3 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 09:43 pm
17.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Buxar News : डीएपी की कालाबाजारी से किसान परेशान

Advertisement

Buxar News : जिले में इस साल कुल 99322.9 हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. लेकिन अभी तक महज 438 हेक्टेयर ही गेहूं की बुआई हो पाया है

Audio Book

ऑडियो सुनें

बक्सर. जिले में इस साल कुल 99322.9 हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. लेकिन अभी तक महज 438 हेक्टेयर ही गेहूं की बुआई हो पाया है. रबी फसल के लिए जिला को 12 हजार मैट्रिक टन डाई खाद की आवश्यकता है. लेकिन अभी तक जिले में मात्र 1650 मैट्रिक टन डीएपी जिले को प्राप्त हुआ है. लिहाजा जिले के किसान डीएपी खाद के लिए तरस रहे हैं. उमरपुर के किसान विजय बहादुर राय ने बताया कि मैंने डीएपी लेने के लिए हर संभव प्रयास किया. 15 से 20 दिन कोशिश करने पर भी डीएपी नहीं मिला तो मैंने एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम डालकर चने की बुआई की है. मुझे पता है इसका असर डीएपी जितना नहीं है, पर मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि चने की बुआई का अनुकूल समय निकल रहा था. वे जिले के एक ऐसे अकेले किसान नहीं हैं, जिन्हें डीएपी नहीं मिल पायी है.

डीएपी के अभाव में भटकने को मजबूर है किसान

उन जैसे बहुत सारे किसान डीएपी के अभाव के कारण भटकने पर मजबूर हैं. बडकागांव निवासी नमो नारायण मिश्रा ने बताया कि दानेदार डीएपी खाद का संकट स्वाभाविक नहीं है. सरकार किसानों को डीएपी देना ही नहीं चाहती है, इसलिए इसकी कमी है. सरकार किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ओर ले जाना चाहती है. इसीलिए नैनो डीएपी को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है. सरकार की मंशा ठीक है लेकिन तरीका सही नहीं है. सरकार सोचती है जब बाजार मेंं डीएपी मिलेगी नहीं तो किसान नैनो डीएपी इस्तेमाल करने को मजबूर होगा. किसान दशकों से डीएपी इस्तेमाल करते आ रहे हैं. किसानों को ही नहीं, जमीनों को भी इसकी ‘आदत’ पड़ी हुई है. इसे लेकर नैनो डीएपी के प्रति किसानों को जागरुक करना चाहिए. ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिलने से किसानों को फायदा होगा. लेकिन खाद के अभाव मेंं अभी तो नुकसान ही है. दानेदार डीएपी व यूरिया से नैनो डीएपी, यूरिया की ओर जाने में कई साल लगेंगे. जिले में रबी फसल के बुआई शुरू होने के साथ ही डीएपी का कालाबाजारी शुरू हो गया. कालाबाजारी का परिणाम यह है कि डीएपी के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं. अगर किसी को मिल भी जाता है तो दुगुना दाम पर मिलता है. और वही दो से तीन दिन प्रयास करने के बाद मिल पाता है. वह भी आवश्यकता अनुसार नहीं मिल पाता है.

कृषि विभाग दे रहा है डीएपी की वैकल्पिक सलाह

विभाग डीएपी का विकल्प इस्तेमाल करने की सलाह दे रहा है. लेकिन यह सलाह अधिकांश किसानों के गले नहीं उतर रही है. डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी अपनाने की सलाह दिया जा रहा है. डीएपी के स्थान पर एसएसपी और एनपीके का उपयोग करना चाहिए.ये दोनों खाद प्रचुर मात्रा और कम मूल्य पर उपलब्ध हैं. नैनो डीएपी भी एक बेहतर विकल्प है. इनका फसलों को पूरा फायदा मिलता है.

जिले में अभी तक मिला है 1561 टन डीएपी

रबी फसल के लिए जिले में 12 बारह हजार मैट्रिक टन डीएपी की खपत है. लेकिन अभी तक 1561 मैट्रिक टन ही प्राप्त हुआ है. जिसके वजह से जिले में डीएपी खाद के लिए हाहाकार मच गया है. विभागीय जानकारी के अनुसार डीएपी खाद के लिए कृषि विभाग के द्वारा सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा रहा है कि जल्द से जल्द जिले को खाद उपलब्ध कराया जाए.

बोले अधिकारी

डीएपी डाई के अभाव में बहुत सारे है वैकल्पिक व्यवस्था है. यदि डीएपी की कमी है तो किसान ऐनपीके, 123216, 202013, से भी गेहूं का बुआई कर सकते हैं. दो से तीन दिन में एक हजार मैट्रिक टन डाई जिले को प्राप्त हो जाएगा. अगर किसी विक्रेता के द्वारा डाई खाद का कालाबाजारी की जाती है. इसकी सूचना प्राप्त होता है उनके दुकानों पर छापेमारी करके विधि सम्मत करवाई किया जायेगा.

अविनाश शंकर, जिला कृषि पदाधिकारीक्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी- डीएपी डाई के अभाव में बहुत सारे है वैकल्पिक व्यवस्था है. यदि डीएपी की कमी है तो किसान ऐनपीके, 123216, 202013, से भी गेहूं का बुआई कर सकते हैं. दो से तीन दिन में एक हजार मैट्रिक टन डाई जिले को प्राप्त हो जाएगा. अगर किसी विक्रेता के द्वारा डाई खाद का कालाबाजारी की जाती है. इसकी सूचना प्राप्त होता है उनके दुकानों पर छापेमारी करके विधि सम्मत करवाई किया जायेगा. जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें