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अनुसूचित जाति की बेटियां रोबोटिक्स लैब, आईसीटी लैव और स्मार्ट क्लास से संवार रहीं भविष्य

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बदलाव की बयार : सब कुछ भूल कर विकास के राह पर चल पड़ी गरीब घर की बेटियां

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राजगीर. पर्यटक शहर राजगीर में राजकीय अंबेडकर प्लस टू अनुसूचित जाति आवासीय बालिका विद्यालय है. पहले यहां शिक्षकों का बहुत अभाव रहता था. शिक्षक बिना पढ़ाई नहीं होती थी. छात्राओं को सड़क पर उतर कर पढ़ाई के लिए आन्दोलन करना पड़ता था. यहां की छात्राओं का भविष्य अब वैसी नहीं है जैसी पहले थी. अब इस स्कूल में वह सब कुछ है, जो किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल में है. अब इस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है. यहां स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और रोबोटिक्स लैब जैसी आधुनिक सुविधाएं सुलभ है. स्कूल की पुरानी तस्वीर पूरी तरह धुंधली हो गई है. स्कूल में नया सवेरा हुआ है. उनके लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस जी थ्री बिल्डिंग में छात्रावास है. खेलने के लिए मैदान और पढ़ने के लिए स्मार्ट क्लास तक है. इस स्कूल की बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं. अनुसूचित जाति की बेटियों में पढ़ने और भविष्य सुधारने की ललक बढ़ी है. पुराने दिन भूलकर नये जोश और उम्मीद से वह अपनी तकदीर संवारने में लग गयी है. शिक्षा के आधुनिकीकारण से जिनकी बेटियों का भविष्य स्कूल में संवर रही है, उनके किसान और मजदूर माता-पिता की मेहनत हरियाली के रूप में दिखने लगी है. जिस गति से राजगीर का पर्यटन के क्षेत्र में विकास हुआ है, उसी गति से यहां के प्लस टू अनुसूचित जाति आवासीय बालिका विद्यालय का भी विकास हुआ है. यह विद्यालय शून्य से शतक की ओर छलांग लगाने के लिए अग्रसर है. कभी अपराधिक घटनाओं के लिए सुमार राजगीर के दिन बदल गए हैं. अब यहां पहले जैसी घटनाएं नहीं होती है. सर्वत्र अमन चैन है. पर्यटक शहर राजगीर और आसपास के इलाके की तस्वीर बदल गयी है. अनुसूचित जाति आवासीय बालिका विद्यालय की बेटियां अब स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब, रोबोटिक्स लैब आदि से तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य को संवार रहीं हैं. आईसीटी लैब में कंप्यूटर शिक्षा हासिल कर कम्प्यूटर इंजीनियर का सपना संजो रही है. रोबोटिक्स लैब से अंतरिक्ष की जानकारी हासिल कर रही है. इस अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय की बेटियां किसी प्राइवेट स्कूल के बेटे-बेटियों से अपने को कमतर नहीं समझ रही हैं. वह भी अपने घरों से निकलकर उच्च शिक्षा और उच्च पद पाने का ख्वाब देख रही हैं. जिले में प्लस टू अनुसूचित जाति आवासीय बालिका विद्यालय इसका उदाहरण है. यहां पहले शिक्षकों का टोटा था. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए एक भी शिक्षक नहीं थे. बावजूद प्राचार्य डॉ राजीव रंजन के अथक प्रयास से विद्यालय के 11वीं और 12वीं बोर्ड का प्रतिशत रिजल्ट हुआ है. नये साल 2024 में यहां शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है. विषयवार शिक्षकों के अलावे शारीरिक शिक्षक और संगीत शिक्षक भी उपलब्ध हैं. विद्यालय के प्राचार्य और शिक्षकों के सामने नई चुनौती है. विद्यालय की छात्राओं को बोर्ड की परीक्षा में केवल प्रथम श्रेणी से उतीर्ण कराना ही नहीं बल्कि बोर्ड की परीक्षा में टॉप टेन में शामिल कराने की चुनौती भी विद्यालय के शिक्षकों ने स्वीकार किया है. पहले इलाके के अनुसूचित जाति की बेटियां अपने माता-पिता को घर गृहस्ती में सहयोग करती थी. लेकिन सरकार की शिक्षा नीति में बदलाव होने से स्कूल में स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब, रोबोटिक्स लैब सहित अन्य सुविधाएं बढ़ी तो उनके पढ़ने की भी ललक बढ़ी है. अब वह भी अपने को किसी से पीछे देखना नहीं चाहती है. अनुसूचित जाति की इन बेटियों ने कलाम को अपना हथियार बना लिया है. इस विद्यालय में साइंस लैब स्थापित होने वाला है. उसके लिए धन आवंटित कर दिया है. साइंस लैब के बाद फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ गणित लैब स्थापित किये जाएंगे. छात्राएं स्कूल की व्यवस्था और शिक्षा से संतुष्ट हैं. पहले से उनकी पढ़ाई बेहतर हो गई है. — प्राचार्य बोले इस स्कूल में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की व्यवस्था है। यहां केवल अनुसूचित जाति की बेटियों का ही नामांकन प्रतियोगिता और रिक्ति के आधार पर लिया जाता है। यहां स्मार्ट क्लास आईसीटी लैब, रोबोटिक्स लैब और लाइब्रेरी की व्यवस्था है। निकट भविष्य में साइंस लैब की स्थापना होनी है। प्राइवेट स्कूल के बच्चों की तरह इस स्कूल की बेटियां भी स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और रोबोटिक्स लैब में नवीन तकनीक से अपना भविष्य संवार रही हैं। दूसरे विद्यालयों से इस विद्यालय की छात्राओं का रिजल्ट बेहतर हो यही उनका प्रयास और संकल्प है। डॉ राजीव रंजन, प्राचार्य, राजकीय अंबेडकर प्लस टू अनुसूचित जाति आवासीय बालिका विद्यालय, राजगीर

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