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कोई आराम से बिता रहा दिन, कोई रोटी के लिए अब भी सड़क पर

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बिहारशरीफ : लॉकडाउन के बीच जिले में जहां कुछ लोग आराम से अपना दिन घर में बिता रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ निम्न आर्य वर्ग के ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी रोटी के लिए बाहर निकल कर रोजगार तलाश रहे हैं. जिले की एक बड़ी जनसंख्या घर में रहकर आराम से टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर […]

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बिहारशरीफ : लॉकडाउन के बीच जिले में जहां कुछ लोग आराम से अपना दिन घर में बिता रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ निम्न आर्य वर्ग के ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी रोटी के लिए बाहर निकल कर रोजगार तलाश रहे हैं. जिले की एक बड़ी जनसंख्या घर में रहकर आराम से टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर के माध्यम से वक्त काट रहे हैं. वहीं गैस एजेंसी, बिग बाजार, विशाल मेगा मार्ट, दवा दुकान, जैसे सप्लाइ एजेंसी में कार्यरत डिलिवरी मैन, रिक्शा चालक, लॉकडाउन की स्थिति में भी दिन भर घरों तक सिलिंडर, सामान, दवा आदि पहुंचा रहे हैं. सफाईकर्मी गली-गली सफाई कार्य में जुटे हैं. चौक-चौराहों पर सब्जी बेचने वाले घूम रहे गली-गलीसब्जी, फल, दूध, दवा जैसे कारोबारियों को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है.

उक्त पेशे से संबंधित कारोबारियों को सुबह छह से शाम छह बजे तक अपनी दुकानें खोलने का निर्देश भी प्रशासन जारी कर चुका है, परंतु पुलिस सख्ती के कारण चौक-चौराहों, ठेले पर सब्जी बेचनेवालों तक ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. नतीजन सब्जी, फल जैसे जरूरी सामान ठेले पर लेकर कारोबारी शहर की गली-गली घूम कर अपनी रोजी-रोटी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. लॉकडाउन से कम हुई दूध की मांगलॉकडाउन घोषित होने से जिले के अधिकतर मिठाई व चाय की दुकानें बंद हैं, जिससे दूध की मांग में काफी कम आ गयी है. दूध की बिक्री कमने से मवेशीपालकों को आर्थिक क्षति के रूप में झेलनी पड़ रही है.

जिले में साढ़े चार लाख से पांच लाख तक करीब पशु धन है. हालांकि पशुधन में गाय, भैंस, बकरी और भेड़ संयुक्त रूप से शामिल हैं और इसमें गाय और भैंस मुख्य रूप से दूध के लिए पाला जाते हैं. इस पेशे से करीब जिले के दो लाख लोगों का परिवार चलता है.क्या कहते हैं अधिकारीपशु संबंधित चारा व अन्य सामग्री ढोने के लिए वाहन का परमिट जारी किया जा रहा है. इसके लिए मवेशीपालक प्रखंड विकास पदाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी से लेकर जिला पशुपालन विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. पशु का आहार में अधिक कीमत वसूली की शिकायत मिलने पर अनुमंडल स्तर के अधिकारी के माध्यम से जांच कर कार्रवाई की जाती है.

डॉ अशोक कुमार विद्यार्थी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, नालंदा

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