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जिले के 175 गांव डेंजर जोन, जलस्तर में 50 फुट की गिरावट

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जिला में शहर से लेकर गांव तक भूजल स्तर में गिरावट चिंता का विषय बना हुआ है.

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बिहारशरीफ. जिला में शहर से लेकर गांव तक भूजल स्तर में गिरावट चिंता का विषय बना हुआ है. पानी जीवन का आधार है. पानी कृषि, औद्योगिक और घरेलू गतिविधियों के लिए अहम है. घटते भूजल स्तर के कारण ताजे जल संसाधनों में कमी और पारिस्थितिक असंतुलन बढ़ता जा रहा है. इससे जहां मानव गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, वहीं पेयजल की समस्याएं भी बढ़ती जा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण पर्याप्त मात्रा में बारिश का नहीं होना है. पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने से भू-गर्भीय जल का स्तर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है. गर्मी के शुरु होने के साथ जिला में पानी तेजी से पाताल भाग रहा है. हैंडपंप जवाब देने लगे हैं. वैसे तो जिला का औसत जलस्तर करीब 41 फुट है, लेकिन 35 पंचायतों के 175 गांवों में पानी 50 फुट नीचे है. इन सभी गांवों को डेंजर जोन में शामिल है. बिहारशरीफ शहर में भू-गर्भीय जलस्तर करीब 130 फुट पहुंच चुका है. गर्मी का भीषण रूप अभी आना बाकी है.भू-जल का स्तर गिरने से हैंडपंप व बोरिंग के फेल होने का सिलसिला शुरू हो चुका है. भू-गर्भीय जल के अंधाधुंध दोहन से यह स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है.

जिले के 161 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा :

जिले के 161 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पाई गयी है. ऐसे तो छिटपुट तरीके से कई प्रखंडों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी है, तो मगर जिले के फ्लोराइड प्रभावित प्रखंडों में सिलाव, राजगीर व बेन प्रखंड शामिल हैं. हैंडपंप से निकलने वाली पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा मिलती हैं. इस बात को ध्यान में रखकर विश्व बैंक के सहयोग से फ्लोराइड प्रभावित प्रखंडों में जलापूर्ति केंद्र बनाये गये हैं.

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फ्लोरोसिस का बढ़ता जा रहा था खतरा:

फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस एवं अन्य जल विषाक्तता से जुड़ी बीमारियां लोगों को घेरती जा रही थी. इन बीमारियों से ग्रस्त होने वालों में बच्चों की संख्या अधिक थी. फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों की हड्डियों एवं दांतों को कमजोर बना देती हैं. यहीं नहीं, पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा के कारण महिलाओं को थायराइड और गुर्दे से संबंधित बीमारियां हो रही थी. फ्लोराइड की अधिक मात्रा गुर्दे के उत्तकों एवं एंजाइम की क्रियाकलाप को प्रभावित करने लगती हैं. फ्लोरोसिस से सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में सात से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे हैं, जो दांत संबंधी फ्लोरोसिस से ग्रस्त हैं.

उपचारित पानी के सेवन से स्वास्थ्य का खतरा नहीं:

गैस संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ राम मोहन सहाय ने बताया कि ठीक से उपचारित पानी का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा नहीं है. पीने के पानी के दूषित होने से कई प्रकार की बीमारियां जैसे टाइफाइड, डायरिया, हेपेटाइटिस, हैजा और अन्य वायरल संक्रमण होते हैं. उन्होंने कहा कि भूजल ज्यादातर सीवेज लाइनों में रिसाव या सेप्टिक टैंक के माध्यम से दूषित हो जाता है. इसमें कुल घुलित ठोस पदार्थों का स्तर अधिक होता है, जिसे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए अनिवार्य रूप से कम करने की आवश्यकता होती है. इसमें अन्य खतरनाक तत्व भी हो सकते हैं जैसे कि फ्लोराइड युक्त पेयजल जिससे फ्लोरोसिस होने की आशंका रहती है.

हैंडपंपों में लगाये गये थे फिल्टर:

हैंडपंपों से निकलने वाले पानी को फ्लोराइड मुक्त बनाने के लिए कई जगह फिल्टर भी लगाये गये थे. मगर ये फिस्टर फ्लोराइड की कम मात्रा होने पर ही काम करते थे. फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने पर यह काम नहीं करती थी. पांच से छह पीपीएम तक फ्लोराइड रहने पर ही यह फिल्टर काम करता है. हैंडपंप के पानी में दस पीपीएम फ्लोराइड होने पर यह फिल्टर काम नहीं कर पाता है. पानी में 1.5 पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा को सामान्य माना जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी:

बरसात के मौसम में जरूरत से कम बारिश का न होने की वजह से भू-गर्भीय जलस्तर ठीक से रिचार्ज नहीं हो पा रहा है. जिले में छोटी- बड़ी करीब तीन दर्जन नदियां हैं. इन नदियों में बरसात के मौसम में भी पानी नहीं आ पाता है. इसकी वजह से भू-गर्भीय जलस्तर रिचार्ज नहीं होता है. इसके कारण हिलसा, एकंगरसरायव परवलपुर प्रखंड के सभी गांव, इस्लामपुर के सात पंचायत, बेन की तीन पंचायत व बिहारशरीफ शहर डेंजर जोन में आ गए हैं.

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