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बिहार के 5 लाख बच्चों का स्कूल से कट चुका है नाम, जानिए कैसे फिर लिया जा रहा दाखिला..

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Bihar School News: बिहार के पांच लाख बच्चों का नाम स्कूल से कट चुका है. वहीं, तेरह दिनों में 83 हजार दो सौ 38 ड्राॅप आउट बच्चों का स्कूलों म दाखिला किया भी किया गया है. राज्य में तीन दिन से अधिक गैर हाजिर बच्चों के नाम कटने का आंकडा पांच लाख से ऊपर पहुंच चुका है.

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Bihar School News: बिहार के पांच लाख बच्चों का नाम स्कूल से कट चुका है. वहीं, तेरह दिनों में 83 हजार दो सौ 38 ड्राॅप आउट बच्चों का स्कूलों म दाखिला भी हुआ है. राज्य में तीन दिन से अधिक गैर हाजिर बच्चों के नाम कटने का आंकडा पांच लाख से ऊपर जा चुका है. बिहार में लगातार स्कूलों में बच्चों की हाजिरी 75 प्रतिशत करने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, 15 दिनों तक स्कूल से अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काटने का फैसला लिया गया है. इसके बाद कई बच्चों के नाम स्कूल से काट दिए गए है. तीन अक्तूबर तक पांच लाख 45 हजार बच्चों का स्कूलों से नाम को काट दिया गया है. छात्रों की स्कूलों में अनुपस्थिति की वजह से यह फैसला लिया गया है.

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स्कूलों से लाखों बच्चों के कटे नाम..

राज्य के स्कूलों में तीन दिन से अधिक समय से गैरहाजिर रहने वाले बच्चों के नाम को काटा जा रहा है. तीन अक्तूबर तक पांच लाख 45 हजार विद्यार्थियों के नाम काटे गये हैं. अनुपस्थिति की वजह से सबसे अधिक प्राइमरी और मध्य स्कूलों के विद्यार्थियों के नामांकन निरस्त हुआ है. कक्षा एक के 27,236, कक्षा दो के 45005, कक्षा तीन के 61105, कक्षा चार के 68556, कक्षा पांच के 67368, कक्षा छह के 59272, कक्षा सात के 57077 और कक्षा आठ के 52668 बच्चों के नाम विद्यालयों से हटाए गए हैं. इन विद्यार्थियों की अनुपस्थिति के कारणों का शिक्षा विभाग विश्लेषण कर रहा है. इसके साथ ही कक्षा नौ में 7874, कक्षा दस के 4789, कक्षा 11 के 3058 और कक्षा 12 के केवल 1722 बच्चाें के नाम लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों के नाम काटे हैं

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16 हजार से अधिक ड्राॅप आउट बच्चे लाए गए स्कूल

पिछले तेरह दिनों के स्कूल कार्य दिवस में 83 हजार दो सौ 38 ड्राॅप आउट बच्चों की टोला सेवकों ने स्कूलों में वापसी करायी है. यह आंकड़े चौंकाने वाले है. यह देखते हुए पिछले साल के एक सरकारी सर्वेक्षण में ड्राॅप आउट बच्चों की संख्या इससे काफी कम बतायी गयी थी. विभागीय अफसर इस मामले में विचार कर रहे हैं. बच्चों की संख्या में आई कमी के कारणों का पता लगाया जा रहा है. शिक्षा विभाग की आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक तीन अक्तूबर को 4875, 30 सितंबर को 4991, 29 सितंबर को 3952, 27 को 5131, 26 को 8876, 25 को 5383, 23 को 4800, 22 को 5366, 21 को 6012, 20 को 22787, 19 को 2659, 18 को 38 और 16 सितंबर को 8368 ड्राॅप आउट बच्चे स्कूलों में लाये गये हैं. गौरतलब है कि टोला सेवकों को विशेष रूप से यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है. उल्लेखनीय है कि 20 सितंबर को अकेले पश्चिमी चंपारण में 16 हजार से अधिक ड्राॅप आउट बच्चे स्कूल लाये गये हैं. कई बच्चों को स्कूलों में वापस लाया जा चुका है.

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एक लाख बच्चों को दी गयी प्रोत्साहन राशी

मुख्यंमत्री बालक- बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत प्रथम श्रेणी के उत्तीर्ण और अनूसचित जाति व जनजाति वर्ग के द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण 10वीं पास विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन राशि जारी कर दी गई है. शिक्षा विभाग की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक छह अक्तूबर को एक लाख से अधिक (107592) विद्यार्थियों को डीबीटी के जरिये राशि बांट दी गयी है. यह राशि बच्चों के खाते में अलग- अलग डाली गयी है.

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स्कूलों में 75 प्रतिशत की हाजिरी अनिवार्य

वहीं, बिहार बोर्ड की ओर से आदेश जारी किया गया है. मालूम हो कि 75 प्रतिशत की हाजिरी पूरी होने पर ही छात्र बोर्ड की परीक्षा दे सकेंगे. वहीं, जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत नहीं होगी, वह बोर्ड की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे. इससे कम उपस्थिति वाले छात्र परीक्षा नहीं दे सकेंगे. बिहार बोर्ड के 2025 की मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में इस नियम को लागू किया जाएगा. छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत होनी अनिवार्य है. नौंवी से बारहवीं तक 74 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया है कि स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति को बढ़िया करने के लिए यह फैसला लिया गया है. वहीं, स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति देखने के लिए एप भी तैयार किया जा रहा है.

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