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बिहार: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और आद्री के निदेशक प्रो प्रभात पी घोष का निधन, फेफड़े की बीमारी से थे ग्रसित

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बिहार: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (ADRI) के निदेशक प्रोफेसर प्रभात पी. घोष का निधन कोलकाता में हो गया. बिहार इप्टा की तरफ से उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया है.

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बिहार: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (ADRI) के निदेशक प्रोफेसर प्रभात पी. घोष का निधन कोलकाता में हो गया. बिहार इप्टा की तरफ से उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया है. आद्री को एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान बनाने और संवारने में बिहार के बड़े विद्वान व लेखक अरविंद एन दास और अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता के साथ-साथ प्रोफेसर पीपी घोष के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा. बता दें कि स्वर्गीय घोष ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), कोलकाता से सांख्यिकी में स्नातकोत्तर किया था. इसके बाद करीब चार दशक से वो सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे थे.

स्वर्गीय पीपी घोष ने एक अर्थशास्त्री के रूप में, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साथ ही, बिहार में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, बिहार में महिला स्वयं सहायता समूह की कार्यप्रणाली और पंचायती राज वित्त जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर कई बड़े नमूना सर्वेक्षणों महत्वपूर्ण भूमिका में रहे. विशेष रूप से, उन्होंने सत्तर के दशक में बिहार के लिए पहली इनपुट-आउटपुट तालिका का निर्माण किया था, जो भारत में राज्य-स्तरीय तालिकाओं में से एक थी. इसके साथ ही, पीपी घोष ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), जिनेवा के लिए भी अनुसंधान सहयोगी के रुप में काम किया था.

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बिहार के विकास में इनका अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण और अकादमिक कार्य में पीपी घोष का योगदान अतुलनीय है. बिहार में भूमि प्रश्नों पर उनकी खास दिलचस्पी थी. उनका मानना था कि भूमि प्रश्नों को हल किए बिना बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालना संभव नहीं है. उन्होंने बदले समय में हाउसिंग राइट को मजबूती देने पर बल दिया था. इस दौर में उनका निधन पूरे बिहार के लिए एक अपूरणीय क्षति है.

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