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Bihar Politics जीतन राम मांझी अपने बेटे डॉ. संतोष सुमन के लिए एमएलसी के पद का भी आश्वासन चाहेंगे, क्योंकि संतोष के एमएलसी का मामला अभी फंसा हुआ है.

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राजेश कुमार ओझा

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पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने बेटे डॉक्टर संतोष सुमन के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं. राजनीति की शक्ल को आकार देने के लिए वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Jitan Ram Manjhi and Amit Shah Meeting) से मिलेंगे. अमित शाह (Amit Shah) से उनकी मुलाकात से पहले बिहार में सियासी हलचलें तेज हो गई है. सूत्रों का कहना है कि जीतन राम मांझी लोक सभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनने से पहले बीजेपी के सामने अपनी कुछ डिमांड रख सकते हैं. कहा जा रहा है कि इसपर दोनों नेताओं की सहमति के बाद ही आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.

अपने लिए राज्यपाल की कुर्सी, बेटे के लिए एमपी की सीट

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात से पहले राजनीतिक गलियारे में उनकी डिमांड की चर्चा ज्यादा हो रही है. सूत्रों का कहना है कि मांझी अपने लिए राज्यपाल की कुर्सी और बेटे के लिए जमुई लोकसभा की सीट मांग कर सकते हैं. मुलाकात के बाद ही यह तय होगा कि इसपर बीजेपी तैयार होगी या नहीं. वैसे बीजेपी नेताओं का कहना है कि एमपी सीट को लेकर मामला फंस सकता है. क्योंकि मांझी ने जिस सीट की मांग की है वह सीट फिलहाल चिराग पासवान के पास है. राज्यपाल की कुर्सी तो बीजेपी बहुत पहले से ही मांझी को ऑफर कर रही है. इसलिए कहा जा रहा है कि इसपर कोई परेशानी नहीं होगी. ऐसे में जीतन राम मांझी चाहेंगे कि डॉ. संतोष सुमन आगे भी एमएलसी बने रहें. वो बीजेपी से इसका भी आश्वासन चाहेंगे, क्योंकि संतोष के एमएलसी का मामला फंसा हुआ है.

बीजेपी के लिए मांझी क्यों हैं जरुरी

जेडीयू के एनडीए से निकलने के बाद प्रदेश में बीजेपी अकेले रह गई थी. दलित और महादलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी को चिराग पासवान, पशुपति पारस के साथ साथ जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की जरूरत थी. बीजेपी की इस जरूरत को मांझी भी अच्छी तरह से समझते हैं. वैसे बीजेपी को चिराग और पशुपति पारस का समर्थन प्राप्त है. जीतन राम मांझी को अपने साथ लेकर बीजेपी महागठबंधन के 16 प्रतिशत वोट बैंक में अपनी सेंधमारी करना चाह रही है.

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