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चमकी बुखार: गर्मी से बढ़ा बच्चों में एइएस का खतरा, 10 दिन में 15 केस, जानें बचाव एवं उपचार के तरीके…

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स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 दिनों में एसकेएमसीएच में 15 बच्चे पीड़ित होकर पीकू में भर्ती हुए हैं. हालांकि इस दौरान किसी बच्चे की मौत नहीं हुई, सभी स्वस्थ होकर घर लौटे चुके हैं.

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मुजफ्फरपुर: गर्म बढ़ी तो जिले में एइएस के केस बढ़ने लगे हैं. हर दिन तीन से चार बच्चे एइएस पीड़ित होकर एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 दिनों में एसकेएमसीएच में 15 बच्चे पीड़ित होकर पीकू में भर्ती हुए हैं. हालांकि इस दौरान किसी बच्चे की मौत नहीं हुई, सभी स्वस्थ होकर घर लौटे चुके हैं. जनवरी से 10 जून तक एसकेएमसीएच के पीकू में कुल 38 केस आये हैं. इनमें जिले के 25 केस हैं, जबकि सीतामढ़ी, शिवहर पूर्वी व पश्चमी चंपारण के बच्चे पीड़ित होकर एसकेएमसीएच के पीकू में भर्ती हुए हैं.

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सिविल सर्जन की सलाह

सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि बच्चे की बढ़ रही संख्या को देखते हुए जिले में एइएस को लेकर जागरूकता बढ़ा दी गयी है. बच्चों को धूप में नहीं निकलने और बासी खाना नहीं खाने की सलाह दी जा रही है. आशा व एएनएम अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण कर जागरूकता फैला रही है.

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क्या कहते हैं शिशु रोग विशेषज्ञ

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चों को इलाज के लिए एसकेएमसीएच लाया जा रहा है. बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीकू वार्ड में भर्ती कर एइएस के प्राटोकॉल के तहत इलाज शुरू किया जाता है. उन्होंने कहा कि बीमार पड़ने पर अगर बच्चे को सही समय पर इलाज की सुविधा मिले तो उसकी जान बचायी जा सकती है.

ये हैं लक्षण

एइएस व चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों को काफी तेज दर्द के साथ शरीर ऐंठने लगता है और तेज बुखार आता है. कई बार तो बुखार इतना तेज होता है कि बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं. इससे पीड़ित मरीजों को कई बार उल्टी होती है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है. लेकिन अगर इलाज में देर होने पर बीमारी बढ़ जाये तो मरीज में निम्नलिखित लक्षण दिखायी देते हैं. इसमें रोगी का दिमाग काम करना बंद कर देता है और वह भ्रम का शिकार भी हो जाता है.

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ऐसे करें बचाव

बच्चे को धूप से बचाएं, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है और इसकी वजह से बच्चों की रुचि भोजन व पानी में कम हो जाती है. बच्चों को रात में खाली पेट न सोने दें.सोने के समय नींबू-पानी, शक्कर अथवा ओआरएस का घोल पिलाएं चमकी बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

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