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देश के बड़े राज्यों में भाषा विषयों की पढ़ाई पर सबसे ज्यादा खर्च कर रहा बिहार, सबसे अधिक संस्कृत पर खर्च

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नयी शिक्षा नीति के तहत लोकल भाषा की पढ़ाई को अधिक तवज्जो देने की बात कही जा रही है. ऐसी स्थिति में भाषा विषयों की पढ़ाई और विकास पर अधिक खर्च करना पड़ सकता है.

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पटना. क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से भाषा विषयों पर सबसे ज्यादा खर्च बिहार कर रहा है. केंद्रीय शिक्षा विभाग की हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. सामान्य तौर पर प्रदेश के राज्यों में भाषा पर खर्च करने के मामले में बिहार, मिजोरम और असम के बाद तीसरे स्थान पर है. केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार अपने रेवेन्यू बजट का 1.66 फीसदी भाषा विषय के विकास पर खर्च करता है.

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सबसे अधिक संस्कृत पर खर्च

इसमें कुछ कमी भी दर्ज की जा रही है. इसकी वजह आर्थिक मंदी और कुछ दूसरी वजह है. फिलहाल बिहार ने वित्तीय वर्ष में 2019-20 में लगभग 382 करोड़ , 2018-19 में 431 करोड़ और 2017-18 में 345 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. बिहार में भाषा विषयों मसलन हिंदी के अलावा संस्कृत ,उर्दू ,बांग्ला, मैथिली, भोजपुरी , बज्जिका आदि को बढ़ावा देने के लिए काफी उम्दा प्रयास किये हैं. बिहार के अलावा भाषा विषयों पर असम,त्रिपुरा और मिजोरम अपने रेवेन्यू बजट का क्रमश: 2.15, 4.83 और 7.01 फीसदी बजट खर्च कर रहे हैं.

भाषा विषयों की पढ़ाई और विकास पर अधिक खर्च

देखा जाये, तो पूरे देश में भाषा विषयों पर 0.41 फीसदी रेवेन्यू बजट खर्च किया जाता है. बिहार अपने रेवेन्यू बजट में से भाषा की पढ़ाई पर सबसे ज्यादा खर्च संस्कृत पर करता है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस पर 104 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. हालांकि, इससे पहले के साल वित्तीय वर्ष 2018-19 पर खर्च 153 करोड़ तक खर्च किये थे. हालांकि, जानकारों का कहना है कि नयी शिक्षा नीति के तहत लोकल भाषा की पढ़ाई को अधिक तवज्जो देने की बात कही जा रही है. ऐसी स्थिति में भाषा विषयों की पढ़ाई और विकास पर अधिक खर्च करना पड़ सकता है.

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केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक

  • बिहार अपने रेवेन्यू बजट का 1.66 फीसदी भाषा विषय के विकास पर खर्च करता है

  • पूरे देश में भाषा विषयों पर 0.41 फीसदी रेवेन्यू बजट खर्च किया जाता है

  • क्षेत्रफल व आबादी के हिसाब से भाषा विषयों पर सबसे ज्यादा खर्च कर रहा बिहार

  • देश में भाषा की पढ़ाई पर खर्च करने में बड़े राज्यों में बिहार है अव्वल

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