21.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 02:06 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिहार सरकार करायेगी कोशी और गंडक बराज का सुरक्षा मूल्यांकन, बोले संजय झा- तबाही से मुक्ति के लिए हम संकल्पित

Advertisement

संजय कुमार झा ने बताया कि कोशी बराज, वीरपुर का निर्माण वर्ष 1963 में, जबकि गंडक बराज, वाल्मिकीनगर का निर्माण वर्ष 1968 में कराया गया है. वर्तमान में दोनों बराज क्रियाशील हैं और बाढ़ से बचाव तथा सिंचाई सुविधा के लिहाज से दोनों काफी महत्वपूर्ण हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना. बिहार में बाढ़ से सुरक्षा के लिए राज्य सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है. डैम सेफ्टी एक्ट 2021 के प्रावधानों के आलोक में तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा राज्य में व्यापक बांध सुरक्षा मूल्यांकन कराने के लिए जरूरी कार्रवाई की जा रही है. साथ ही विश्व बैंक संपोषित ‘बिहार एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन परियोजना’ के तहत कोशी बराज, वीरपुर और गंडक बराज, वाल्मीकिनगर के पुनर्स्थापन का कार्य कराने का भी विचार है. यह जानकारी बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने गुरुवार को बिहार विधान परिषद में विधान पार्षद अजय कुमार सिंह से प्राप्त ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में दी.

- Advertisement -

वर्तमान में दोनों बराज क्रियाशील

संजय कुमार झा ने बताया कि कोशी बराज, वीरपुर का निर्माण वर्ष 1963 में, जबकि गंडक बराज, वाल्मिकीनगर का निर्माण वर्ष 1968 में कराया गया है. वर्तमान में दोनों बराज क्रियाशील हैं और बाढ़ से बचाव तथा सिंचाई सुविधा के लिहाज से दोनों काफी महत्वपूर्ण हैं. संजय कुमार झा ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग, नई दिल्ली, केंद्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधानशाला, पुणे तथा गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना द्वारा 15 अक्टूबर 2008 को कोशी बराज एवं इसके अवयवों के निरीक्षण के उपरांत की गई अनुशंसा के आलोक में कोशी बराज का सुरक्षात्मक कार्य वर्ष 2009 में कराया गया है. इसी तरह वित्त वर्ष 2019-20 में गंडक बराज, वाल्मिकीनगर के अपस्ट्रीम में सिल्टेशन हटाने का कार्य किया गया है.

उत्तर बिहार को बाढ़ की तबाही से बचाने में रहे सफल

उन्होंने कहा कि वीरपुर बराज पर कोसी नदी में इस वर्ष बाढ़ अवधि में 14 अगस्त 2023 को 34 वर्षों की अवधि के बाद अधिकतम 4,62,345 क्यूसेक जलस्राव प्रवाहित होने के बावजूद बराज और सभी तटबंध सुरक्षित हैं. बाढ़ सीजन से पूर्व जल संसाधन विभाग द्वारा तत्परता से किये जा रहे कार्यों तथा मॉनसून सीजन में चौबीसो घंटे हाई अलर्ट का सुपरिणाम है कि इस वर्ष रिकार्ड जलस्राव के बावजूद हमलोग उत्तर बिहार को कोसी नदी की बाढ़ की तबाही से बचाने में सफल रहे हैं.

Also Read: दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई सफर हुआ सस्ता, मंत्री संजय झा के प्रयास ने दिखाया रंग, जानें कितनी हुई कटौती

बाढ़ प्रबंधन के प्रति विभाग की नई सोच रही कारगर

सदन से इतर पत्रकारों से बात करते हुए संजय झा ने कहा कि उत्तर बिहार की सबसे बड़ी समस्या हर साल नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ है. इसके प्रभाव को निरंतर कम करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकता है. इसके लिए जल संसाधन विभाग द्वारा हाल के वर्षों में कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारा गया है. साथ ही, जल प्रबंधन की कई नयी एवं आधुनिकतम तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है. स्टील शीट पाइलिंग, अत्याधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम, मेथेमेटिकल मॉडलिंग सेंटर, फिजिकल मॉडलिंग सेंटर इत्यादि बिहार में बाढ़ प्रबंधन के प्रति विभाग की नई सोच के प्रतीक हैं.

नेपाल में हाईडैम का निर्माण जरूरी

मंत्री ने कहा कि राज्य के अंदर की नदियों को जोड़ने की मुख्यमंत्री की अवधारणा के अनुरूप कई दूरगामी योजनाओं पर काम शुरू किया गया है, जिनसे बाढ़ का प्रभाव कम होने के साथ-साथ बड़े इलाके में सिंचाई सुविधा भी पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार में बाढ़ के स्थाई समाधान के लिए नेपाल में हाईडैम का निर्माण जरूरी है. इसका डीपीआर बनाने के लिए वर्ष 2004 में ही भारत और नेपाल की संयुक्त समिति बनी थी, लेकिन पिछले 19 वर्षों में डीपीआर नहीं बन पाई है. यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है, जिसे भारत और नेपाल सरकार के सहयोग से ही आगे बढ़ाया जा सकता है. बिहार सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि इस दिशा में सार्थक प्रगति हो.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें