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बिहार इस साल कालाजार से होगा मुक्त, बीमारी पर एक्शन से राज्य में अब सिर्फ 184 संक्रमित

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करीब नौ साल में कालाजार काे बिहार में बड़ी मात मिली है. आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2014 में बिहार के 33 जिलों के 130 प्रखंडों में कालाजार का प्रकोप था. लेकिन, जब 2021 में समीक्षा की गयी, तो पाया गया कि राज्य के किसी भी प्रखंड में अब कालाजार महामारी नहीं रह गया है.

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आनंद तिवारी, पटना. बिहार में इस वर्ष कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने की संभावना है. इस वर्ष सारण जिले के इसुवापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सीवान जिले के गोरियाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी बीमारी से मुक्त हो गये हैं. स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के बाद जारी किये गये नये आंकड़ों के अनुसार पूरे बिहार में अब कालाजार के सिर्फ 184 मरीज रह गये हैं, जबकि 2014 में इनकी संख्या 8028 थी.

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9 साल में कालाजार को मात, 2025-26 में मिल जायेगा प्रमाणपत्र

वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार की मानें, ताे करीब नौ साल में कालाजार काे बिहार में बड़ी मात मिली है. आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2014 में बिहार के 33 जिलों के 130 प्रखंडों में कालाजार का प्रकोप था. लेकिन, जब 2021 में समीक्षा की गयी, तो पाया गया कि राज्य के किसी भी प्रखंड में अब कालाजार महामारी नहीं रह गया है. हालांकि, सारण व सीवान दो ऐसे जिले थे, जहां पीड़ितों की संख्या दर्ज की जा रही थी. लेकिन इस साल मई तक वे जिले भी मुक्त हो गये और पूरे बिहार में सिर्फ 184 मरीज रह गये हैं. इन मरीजों के लिए भी विशेष प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद है कि इस साल बिहार पूर्ण रूप से कालाजार मुक्त हो जायेगा. सब कुछ ठीक रहा, तो अगले 2025-26 में डब्ल्यूएचओ से इसका प्रमाणपत्र भी मिल जायेगा. इसके लिए वर्तमान की रिपोर्ट भी भेजी जायेगी.

मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना से बढ़ी जागरूकता

पटना सहित पूरे बिहार के लिए साल 2013 में मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना शुरू की गयी है. इसके तहत कालाजार का इलाज कराने वाले मरीज को अस्पताल में भर्ती होने पर रोजाना 150 रुपये दैनिक मजदूरी के तौर पर मिलती है. इतना ही नहीं, अगर किसी भी गांव, शहर में कालाजार का मरीज मिलने के बाद उनको अस्पताल में लाने पर आशा को प्रोत्साहन राशि के रूप में 50 रुपये प्रति मरीज दिये जाते हैं.

हर साल 40 प्रतिशत की आयी कमी

स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हर साल कालाजार मरीजों में लगभग 40% की कमी आ रही है. 2014 में 228 गांव कालाजार के हॉटस्पॉट थे, जो अगस्त, 2021 में घटकर पांच हो गये हैं. दिसंबर, 2022 तक ये पांच गांव भी हॉटस्पॉट से मुक्त हो गये. स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बिहार दिसम्बर, 2023 तक कालाजार से मुक्त हो जायेगा.

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दिया जा रहा विशेष ध्यान 

वहीं पटना जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रवण कुमार का कहना है कि कालाजार मरीजों की पहचान करने से लेकर इलाज तक में विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसमें काफी सतर्कता बरती जा रही है.

क्या होता है कालाजार

कालाजार या काला ज्वर मादा बालू मक्खी के काटने से होता है. इसमें लीशमैनिया डोनोवानी परजीवी का संक्रमण होता है. इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, थकान, एनिमिया और लिवर व प्लीहा में सूजन शामिल है. इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीका नहीं उपलब्ध नहीं है. हालांकि, समय रहते इलाज किया जाये, तो रोगी ठीक हो सकता है.

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