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बिहार चुनाव 2020: लालू, बाबू साहेब और एक लोटा पानी पर बंटी है पंचायत, पचफोरना वोटर ही सोनपुर में पलटेंगे बाजी

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सोनपुर विधानसभा सीट से 1980 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे.

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सोनपुर से अनुज शर्मा : जेपी सेतु से गंगा को पार करते ही एक साइन बोर्ड सभी का ध्यान खींच लेता है. यादव मोड़ गंगाजल टोला ‘के नीचे बनी लकीर के दोनों छोर पर अंकित तीर जिस तरह गांव के दो भागों में स्थित होने की जानकारी दे रहा है, उसी तरह यादव -राजपूत बाहुल्य गंगाजल पंचायत में वोटर भी बंट चुके हैं.

सोनपुर विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर यहां के मौजूदा विधायक रामानुज प्रसाद एक बार फिर मैदान में हैं. भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी विनय कुमार सिंह को चुनावी जंग में उतारा है. सोनपुर विधानसभा सीट से 1980 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे.

उसी सोनपुर में इस बार भी लालू प्रसाद मुद्दा हैं. विरोधी खेमे में बाबू साहेब और एक लोटा पानी फैक्टर काम कर रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोकने वाले राजद और जदयू के कार्यकर्ता एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं.

जिस जेपी सेतु ने यहां की तस्वीर बदली है, संतोष यादव उस पुल की ओर इशारा कर कहते हैं कि दीघा रोड से बजरंग चौक तक फोरलेन का सीएम नीतीश कुमार , डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने संयुक्त रूप से 2016 में उद्घाटन किया था.

इसका श्रेय भी नीतीश -तेजस्वी के समर्थकों में बंट जा रहा है. थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो कुछ लोग बहस करते मिलते हैं. तेजस्वी का दस लाख युवाओं को रोजगार का वादा, समर्थकों को खुशी दे रहा है, जबकि नीतीश-भाजपा समर्थक इसे हवा हवाई मान रहे हैं.

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चार साल से नलकूप प्रमंडल छपरा की नलकूप संख्या सात के बंद होने से किसान पानी खरीद कर खेती कर रहे हैं, इस पर कोई बात नहीं कर रहा है. यादव मोड़ से एनएच 19 पर स्थित लालू यादव चौक (भरपुरा) तक का रास्ता जिस तरह पुल के बाद ऊबड़-खाबड़ मोड़ वाले रास्ते से घनी आबादी के बीच स्पीड ब्रेकर वाले संकरा रास्ते रेल अंडर पास को पार कर हाइवे से जुड़ रहा है, यहां की सियासी हवा भी वैसे ही मुड़- उड़ रही है. शंका की कोई गुंजाइश नहीं है कि यहां तीन नवंबर को लालू और नीतीश के बीच सीधी टक्कर है.

लालू जेल में, यहां रेल के एमआर कोटा का किस्सा

पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद रांची में जेल की सजा काट रहे हैं. सैकड़ों किमी दूर सोनपुर क्षेत्र में चुनावी चर्चा के बीच एमआर कोटा के किस्से खूब कहे जाते हैं. बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद ने किस तरह बड़ी संख्या में यहां के लोगों को बिना किसी प्रक्रिया के रेलवे में नौकरी देने के किस्से गढ़े गये हैं.

सोनपुर निवासी अमर कुमार बताते हैं कि वह जाति से चमार हैं. उनके पिताजी दिल्ली लालू प्रसाद के पास गये और चतुर्थश्रेणी कर्मी बनकर लौटे. सोनपुर डिवीजन के अधिकतर लोग ऐसे ही नौकरी पाये हैं. हालांकि, एमआर कोटा की बात करने वाले उसकी फुल फार्म नहीं बता पाते, लेकिन चटपटे अंदाज में बता देते हैं कैसे लोग उनके दिल्ली आवास के बाहर डेरा डाल देते थे, कुछ दिन की गुहार के बाद मिली एक पर्ची पर नौकरी पा जाते थे.

सवर्ण वोटरों के एकजुट होने के हो रहे दावे

यादव तो एक निशान लालटेन पर वोट करेगा. सवर्ण तो भाजपा का ही वोटर हैं. अंकित कहते हैं कि राजपूतों का कोई नेता नहीं है. वह बंटता लेकिन तेजस्वी के ‘बाबू साब’ और तेज प्रताप के ‘एक लोटा पानी ‘ वाले बयान के बाद सभी मंथन कर रहे हैं. 2009 में दारोगा, 2010 में बैंक पीओ की परीक्षा पास करने के बाद भी मैरिट में न आने के बाद वे किसान बन गये हैं.

चुनाव में खेती कोई मुद्दा नहीं बनने का मलाल है. रत्नेश कुमार सिंह शिक्षा के बंटाधार के लिए लालू और उसकी भरपाई न करने के लिए वर्तमान सरकार को दोष देते हैं. वह सीएम के पद पर केजरीवाल जैसा व्यक्ति चाहते है़ं. वह फॉरवर्ड के एकजुट होने का दावा करते हैं. भाजपा की जीत का तार्किक कारण बताते हैं.

सियासत का गढ़ है गंगाजल पंचायत

गंगाजल पंचायत सियासत का सिरमौर है. यहां के लोग गर्व से कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास और छपरा के एमपी रहे राजेंदर सिंह का नाता इसी गांव से है. इस विधानसभा में गांव के तीन लोग तीन अलग- अलग विधान सभा से चुनाव लड़ रहे है़ं . संजय कुमार सिंह लेाजपा के टिकट पर महुआ से , मोहउद्दीननगर से भाजपा उम्मीदवार राजेश सिंह हैं. सुरक्षित सीट राजा पाकर से प्रतिमा कुमारी महागठबंधन की उम्मीदवार हैं.

सोनपुर विस
क्षेत्र एक नजर

ग्रामीण आबादी 82.36%

शहरी आबादी 17.64%

मतदान केंद्र 402

कुल उम्मीदवार 15

महिला प्रत्याशी 02

पुरुष प्रत्याशी 13

कुल वोटर 286995

महिला वोटर 135515

पुरुष वोटर 151579

ट्रांसजेंडर 01

विकास करनेवाले को ही देंगे वोट

गरीब आदमी को सुरक्षा और सहायता के अलावा क्या चाहिए. गांव वाले कहते हैं कि हमको जो ये देगा उसी के साथ होंगे. धूप में परिवार की महिलाओं के साथ खेत में काम कर रहे पिछड़ा बाहुल्य गांव खड़ीका निवासी पवन साव – दीपक ये कह कर संकेत देते हैं कि किधर जायेगा.

2015 में जदयू- राजद साथ लड़े थे तब रामानुज प्रसाद करीब हजार वोट से जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश एनडीए के साथ गये तो बीजेपी ने सोनपुर विस क्षेत्र से करीब 30 हजार की लीड ली थी.

कुल मिलाकार यहां पचफोरना वोटर ही निर्णायक दिख रहा है. सोनपुर से पटना लौटते वक्त मिले नया गांव के मनजीत, सबलपुर के पप्पू, बड़का बगीचा के सुबोध सिंह कहते हैं कि क्षेत्र में भूमिहार – यादव एक दूसरे की पार्टी के विरोध में वोट करते हैं.

Posted by Ashish Jha

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