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JDU News: बिहार के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Bihar) और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar)ने सियासी वारिस के तौर पर राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh)का नाम तय कर दिया है. रविवार को जदयू की राष्ट्रीय बैठक में IAS अधिकारी से नेता बने आरसीपी सिंह को पार्टी का अगला अध्यक्ष चुना गया.

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बिहार के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Bihar) और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar)ने सियासी वारिस के तौर पर राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh)का नाम तय कर दिया है. रविवार को जदयू की राष्ट्रीय बैठक में IAS अधिकारी से नेता बने आरसीपी सिंह को पार्टी का अगला अध्यक्ष चुना गया.

नीतीश और आरसीपी सिंह सिर्फ दोस्त ही नहीं बल्कि एक ही जिले और एक ही जाति से आते हैं. इतना ही नहीं इतने साल से राजनीति में उतरे आरसीपी सिंह बेदाग छवि है. राज्यसभा एफिडेविट में दी गई जानकारी के मुताबिक उनके खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं चल रहा है. एफिडेविट के मुताबिक, इनके पास कुल 2,68,56,174 रुपये की संपत्ति है.

शरद यादव के बाद से आरसीपी सिंह जदयू में नंबर दो की सियासी हैसियत वाले नेता माने जाते रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वो खासमखास माने जाते हैं और साये की तरह साथ रहते हैं. कहा जाता है कि बिहार में शायद ही ऐसा कोई फैसला हो, जो नीतीश कुमार ने बिना आरसीपी सिंह की सलाह के लिया हो. उन्हें ‘जदयू का चाणक्य’ भी कहा जाता है.

आरसीपी सिंह सिर्फ नीतीश कुमार के राजनीतिक, रणनीतिकार और सियासी सलाहकार ही नहीं बल्कि उन्हीं के कुर्मी समुदाय से आते हैं. जैसे ही ये घोषणा हुआ कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब आरसीपी सिंह होंगे उसके बाद जदयू कार्यालय के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ जुट गई.

गांव के स्कूल JNU, फिर IAS अधिकारी से जदयू के टॉप नेता

बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में 6 जुलाई 1958 को जन्में आरसीपी सिंह के पिता का नाम स्वर्गीय सुखदेव नारायण सिंह था. माता का नाम स्वर्गीय दुख लालो देवी. आरसीपी सिंह की शुरुआती शिक्षा हाइस्कूल, हुसैनपुर, नालंदा और पटना विश्वविद्यालय से हुई. बाद में जेएनयू में पढ़ने के लिए गए. राजनीति में शामिल होने से पहले आरसीपी सिंह प्रशासनिक सेवा में रहे.

उत्तर प्रदेश कैडर से आईएएस रहे, वो रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर के जिलाधिकारी रहे. इस दौरान आरसीपी सिंह की सपा के कद्दावर नेता रहे बेनी प्रसाद वर्मा से नजदीकियां बढ़ी. बेनी प्रसाद वर्मा केंद्रीय संचार मंत्री थे तो आरसीपी सिंह उनके निजी सचिव थे. कहा जाता है कि बेनी प्रसाद वर्मा के कहने पर ही जब नीतीश कुमार रेल मंत्री बने थे तो आरसीपी सिंह को निजी सचिव बनाया था.

नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो वह पांच वर्षों तक उनके प्रधान सचिव रहे. फिर उन्हें राजनीति में ले आए, और अब राज्यसभा का सांसद बना दिया, तब से दोनों नेताओं के बीच के रिश्ते जगजाहिर है. वो पिछले दो टर्म से राज्यसभा के सदस्य हैं .वो पहली बार 2010 में राज्यसभा गये थे और उसके बाद 2016 में फिर से उन्हें नीतीश कुमार ने भेजा था.

आरसीपी सिंह की बेटी बिहार की चर्चित आईपीएस अधिकारी

जदयू सांसद आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह (IPS Lipi singh) बिहार की चर्चित आईपीएस हैं. लिपि सिंह को लेडी सिंघम (Lady Singham) के नाम से जाना जाता है. 2016 बैच की आईपीएस लिपि सिंह अब तक कई मामलों से चर्चा में आ चुकी हैं. वो अपने पुलिस अभियानों से भी सुर्ख‍ियों में रही हैं.

लिपि सिंह के पति सुहर्ष भगत भी आईएएस अफसर हैं वो वर्तमान में बांका के जिलाधिकारी हैं. पिछले साल लिपि सिंह मोकामा जिले के बाहुबली और निर्दलीय विधायक अनंत सिंह पर कार्रवाई करके चर्चा में आईं थी. विधायक के गांव के घर से एक एके-47 बरामद हुई जिसके बाद अनंत सिंह को जेल जाना पड़ा है.

आरसीपी सिंह….एक नजर में

– करीब 62 साल के आरसीपी सिंह नालंदा जिले के मुस्तफापुर के रहने वाले हैं.

-1984 बैच के यूपी कैडर के आइएएस अधिकारी थे.

-केंद्र में प्रतिनियुक्ति के समय नीतीश कुमार के साथ रेल मंत्रालय में काम किया

-2005 में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में वरिष्ठ पद पर तैनात थे, बिहार में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी तो वह सीएम के प्रधान सचिव बने, 2010 तक इस पद पर काम करते रहे.

-2010 में वीआरएस लेकर जदयू की टिकट पर राज्यसभा के सदस्य बने.

– 2016 में वे दोबारा राज्यसभा के सदस्य बने.

-2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जदयू के राष्ट्रीय महासचिव बने, तब से संगठन की जिम्मेदारी मिली..

– 2020 के अंत में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.

Also Read: CM नीतीश ने दोहराया- नहीं बनना चाहते थे मुख्यमंत्री, बताया- क्यों छोड़ा JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद

Posted By; Utpal kant

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