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बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा- जाति आधारित सर्वे से सभी वर्गों के विकास में मिलेगी मदद, टीम को बधाई

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बिहार में हुई जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट सोमवार (02 अक्टूबर) को जारी कर दी गई. मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने गांधी जयंती के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट जारी की. जानें विपक्ष ने इसपर क्या दी प्रतिक्रिया..

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बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में करायी गई जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी कर दिये हैं. कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी और ईबीसी हैं. आंकड़े आने के बाद बिहार की राजनीति गरम हो गई है. राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी अब सर्वे के बाद आ रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित सर्वे के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. जाति आधारित सर्वे के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई! वहीं जदयू नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर और वी.पी. सिंह के बाद पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में नीतीश कुमार उभरे हैं. आज साबित हुआ है कि वे (पिछड़ा वर्ग) 63% हैं. हम नीतीश कुमार को सलाम करते हैं और चाहते हैं कि देश में घूमकर जनता को आंदोलित करें जिससे हर राज्य को जाति आधारित सर्वे करानी पड़े. यह अगले चुनाव के लिए एजेंडा तय हुआ है.

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इधर बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जाति आधारित सर्वे बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवा कुछ नहीं है. नीतीश कुमार के 15 साल और लालू यादव के 18 साल के अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया, कितने लोगों को नौकरी दी. यह रिपोर्ट भ्रम के अलावा कुछ नहीं.

लालू प्रसाद यादव ने क्या कहा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया. ये आंकडे वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और तरक़्क़ी के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नज़ीर पेश करेंगे. सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जाति आधारित सर्वे करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे.

ओबीसी और ईबीसी बिहार की कुल आबादी का 63 प्रतिशत

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित सर्वे के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राज्य में जनसंख्या के मामले में यह समुदाय सबसे अधिक है.

जाति आधारित सर्वे मध्य प्रदेश में भी

बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट जारी करने पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि हम तो हमेशा से इसके के पक्षधर रहे हैं. मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर हम इसे कराएंगे.

रिपोर्ट में कुछ नयापन नहीं : विजय सिन्हा

बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वे जारी किए जाने पर बिहार में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि रिपोर्ट में कुछ नयापन नहीं है. जो अनुमान था वही है. आप जो बता रहे हैं वह लगभग सबको पता है… इसमें जब तक पिछड़े लोगों के क्षेत्र के हिसाब से कुछ विस्तृत आता है तब पता चलेगा कि सर्वे की सच्चाई क्या है… बिहार का कितना कल्याण और उत्थान हुआ? चुनाव के समय अब यह कौन सा चमत्कार करेंगे यह हर समाज के लोग समझते हैं… इनके पास ना वीजन, ना नीति और ना ही नियत है.

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