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नीतीश कुमार ने ईडब्ल्यूएस वर्ग को दिया न्यायिक सेवा में आरक्षण, जानें कैबिनेट के इस फैसले से किसे होगा लाभ

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उन्होंने बताया कि महानिबंधक, उच्च न्यायालय पटना के द्वारा सूचित अनुशंसा के आलोक में बिहार उच्च न्याय सेवा (संशोधन) नियमावली 2023 और बिहार असैनिक सेवा (न्याय शाखा)(भर्ती)(संशोधन) नियमावली 2023 की स्वीकृति कैबिनेट द्वारा दे दी गयी.

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पटना. बिहार की न्यायिक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके तहत इस वर्ग के लोगों को सरकार की अन्य सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं की भांति 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके लिए राज्य सरकार ने बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली 1951 और बिहार असैनिक सेवा (न्याय शाखा)(भर्ती) नियमावली 1955 में संशोधन कर दिया है. कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डा एस सिद्धार्थ ने बताया कि मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में इसकी स्वीकृति दे दी गयी है. उन्होंने बताया कि महानिबंधक, उच्च न्यायालय पटना के द्वारा सूचित अनुशंसा के आलोक में बिहार उच्च न्याय सेवा (संशोधन) नियमावली 2023 और बिहार असैनिक सेवा (न्याय शाखा)(भर्ती)(संशोधन) नियमावली 2023 की स्वीकृति कैबिनेट द्वारा दे दी गयी. नयी नियमावली में हिंदी और अंग्रेजी की प्रति में त्रुटियों का भी सुधार कर दिया गया है.

किसे मिलता है इडब्लूएस आरक्षण का लाभ

बिहार सरकार ने राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के लिए केंद्र सरकार की तर्ज पर सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है. अभी तक न्यायिक सेवा में इसे लागू नहीं किया गया था. राज्य सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधीन आरक्षण देने के लिए जारी दिशा निर्देश में कहा है कि राज्य के अधीन सेवाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधीन आरक्षण का लाभ वैसे अभ्यर्थी को ही मिलेगा जो राज्य सरकार के अंतर्गत वर्तमान में अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और पिछड़ा वर्ग के लिए प्रावधानित आरक्षण से आच्छादित नहीं हो.

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कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधीन आरक्षण का लाभ लेने के लिए अभ्यर्थी के परिवार की सभी स्रोतों से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए. वार्षिक आय की गणना पिछले वित्तीय वर्ष के वेतन, कृषि, व्यापार और पेशा आदि समस्त श्रोतों से होनेवाली आय को माना जायेगा. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण का लाभ बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा. इसको लेकर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना संख्या 2622 दिनांक 26 फरवरी 2019 द्वारा निर्गत नियमावली के नियम 9 में निहित प्रावधान के आलोक में किया गया है.

कैबिनेट ने दी 14 प्रस्तावों को मंजूरी

कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डा सिद्धार्थ ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कुल 14 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी है. कैबिनेट द्वारा राज्य में 100 प्रथम वर्गीय पशु अस्पताल सह आवास के भवनों के निर्माण के लिए 107 करोड़ 69 लाख की स्वीकृति दी गयी है. प्रति अस्पताल सह आवास के भवनों के निर्माण पर 107.69 करोड़ खर्च किये जायेंगे. यह राशि कर्ज के रूप में नाबार्ड से वित्तीय वर्ष 2023-24 में ली जायेगी. राज्य में कुल 1135 प्रथम वर्गीय पशु अस्पताल स्वीकृत हैं. इनमें से 657 के पास अपना भवन हैं जबकि 478 पशु अस्पताल किराये के मकान या किसी अन्य भवनों में चलाये जा रहे हैं. राज्य सरकार ने इन 478 दूसरे भवनों में चलने वाले अस्पतालों में से 100 स्थानों पर नये भवन के निर्माण की राशि जारी की है. इसी प्रकार से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग वित्तीय वर्ष 2023-24 में नाबार्ड से कर्ज के रूप में कुल 225 करोड़ पांच लाख 97 हजार लिया जायेगा. इस राशि में से 39 करोड़ 27 लाख 52 हजार रुपये से राज्य स्तरीय संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र के भवन के निर्माण किया जायेगा. जबकि 17 जिलों में जिला स्तरी संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र भवन का निर्माण 185 करोड़ 92 लाख 85 की लागत से होगा.

इंजीनियरिंग व पोलिटेकनिक कॉलेज के प्राचार्य कर सकेंगे 10 लाख खर्च

कैबिनेट ने विज्ञान एवं प्रावैधिक एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के छह प्रस्तावों की स्वीकृति दी है. इसमें राज्य के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और राजकीय पोलिटेकनिक संस्थानों के प्राचार्यों को संस्थान के भवनों की मरम्मति व मेंटनेंस के लिए 10 लाख तक की राशि खर्च करने का अधिकार दे दिया गया है. अब इस राशि से प्राचार्य अपने संस्थान के पहले से निर्मित भवनों, एकेडमिक भवन, बालक व बालिका छात्रावास, ऑडिटोरियम और फैकल्टी आवास का आवश्यक मेंटनेंस कर सकेंगे. कैबिनेट ने राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय एवं राजकीय पोलिटेकनिक संस्थान, प्रयोगशाला (तकनीकी) संवर्ग, नियमावली 2023 की स्वीकृति दे दी. नयी नियमावली के आलोक में अब राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों व पोलिटेकनिक , राजकीय महिला पोलिटेकनिक संस्थानों में प्रयोगशाला सहायक (तकनीकी) की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है.

दो नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी

इसी प्रकार से कैबिनेट ने राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय एवं राजकीय पोलिटेकनिक संस्थान प्रयोगशाला सहायक (विज्ञान) संवर्ग नियमावली 2023 की स्वीकृति दी है. नयी नियमावली के आलोक में अब सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों व पोलिटेकनिक संस्थानों में प्रयोगशाला सहायक (विज्ञान) की नियुक्ति, प्रोन्नति और सेवा शर्तों का निर्धारण हो सकेगा. कैबिनेट ने सात निश्चय-2 के तहत राज्य में स्थापित और संचालित बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय,पटना के भवन निर्माण एवं अन्य कार्य (फर्निचर सहित) के लिए कुल 66 करोड़ 92 लाख 11 हजार रुपये की स्वीकृति दी गयी. कैबिनेट ने डा एपीजे अब्दुल कलाम साइंस सिटी, पटना के निर्माण एवं विकास के लिए चयनित मास्टर प्लान कंसल्टेंट लॉर्ड कल्चरल रिसोर्स (एलसीआर) के लिए स्वीकृत परामर्शी शुल्क को चार करोड़ 25 लाख से बढ़ाकर पुनरीक्षित परामर्शी शुल्क छह करोड़ तीन लाख करने की स्वीकृति दी गयी.

कैबिनेट ने 84 पदों के सृजन की दी स्वीकृति

कैबिनेट द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद आयोगों के लिए अनुबंध के आधार पर 30 पदों के सृजन की स्वीकृति दी गयी. अब वैसे जिलों के उपभोक्ता फोरम में एक-एक अतिरिक्त की तैनाती की जायेगी जहां पर 500 से अधिक वाद लंबित हैं. इसी प्रकार से कैबिनेट द्वारा प्रमंडल स्तरीय मोटरवाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के अध्यक्ष का सात पद, अपर जिला परिवहन अधिकारी का सात पद, उच्च वर्गीय लिपिक का सात पद और निम्न वर्गीय लिपिक का सात पद और आशुलिपिक के सात पदों के सृजन की स्वीकृति दी गयी. साथ ही बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय, पटना में तीन पदों को वापस करते हुए कुल 16 अतिरिक्त पदों के सृजन की स्वीकृति दी गयी.

दलसिंह सराय में आरओबी का होगा निर्माण

कैबिनेट द्वारा समस्तीपुर जिला के दलसिंह सराय यार्ड स्थित के पास पहुंच पथ के साथ रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण कराने की स्वीकृति दे दी गयी. इस आरओबी के निर्माण पर कुल 135 करोड़ एक लाख 81 हजार खर्च होगा. इसमें राज्यांश मद की 97 करोड़ 20 लाख 83 हजार भी शामिल है.

दो कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गयी

कैबिनेट ने पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राघवेंद्र कुमार त्रिपाठी को भ्रष्ट आचरण व कदाचार को लेकर सरकारी सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की स्वीकृति दी गयी. वाहन चेकिंग के दौरान उनके गाड़ी से सात लाख 10 हजार रुपये बरामद किये गये थे. इसी प्रकार से पूर्वी चंपारण जिले के तत्कालीन सहायक योजना पदाधिकारी सह प्रभारी जिला योजना पदाधिकारी स्वामीनाथ मांझी को भी सरकारी सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति की स्वीकृति दे दी गयी.

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