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बिहार के बड़े शहरों ने दिया मोटा राजस्व, पर छोटे शहरों में बढ़ी प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री

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आंकड़ों के मुताबिक निबंधन राजस्व की वसूली में पटना सदर सूबे में सबसे अव्वल रहा. लेकिन, रजिस्टर्ड हुए दस्तावेजों की संख्या के मामले में मुजफ्फरपुर 34774 दस्तावेज के साथ सबसे ऊपर रहा. पटना में 21564 दस्तावेजों की ही रजिस्ट्री हुई.

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बिहार के छोटे व मंझोले किस्म के शहरों में संपत्ति खरीद बिक्री में तेजी आयी है. 2023-24 में निबंधन विभाग ने करीब 15.39 लाख दस्तावेजों के निबंधन से 6583.07 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त कर नया रिकॉर्ड बनाया है. इस रिकॉर्ड को हासिल करने में पटना सहित सूबे के बड़े शहरों ने मोटी भागीदारी की. लेकिन, निबंधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्राप्त राजस्व लक्ष्य को हासिल करने में छोटे शहरों के निबंधन कार्यालय अव्वल रहे. टॉप टेन में रहे दस निबंधन कार्यालयों में सभी छोटे शहरों के हैं और इन्होंने लक्ष्य का 131 फीसदी से लेकर 144 फीसदी तक राजस्व हासिल किया. विशेषज्ञ बताते हैं कि छोटे शहरों में प्रॉपर्टी को लेकर लोगों का रूझान बढ़ने से राजस्व में अनुमान से लगभग डेढ़ गुणा तक अधिक सफलता मिली.

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लक्ष्य का करीब 20 फीसदी राजस्व पटना जिला ने दिया

2023-24 में हासिल लक्ष्य का करीब 20 फीसदी यानि 1300 करोड़ रुपये पटना जिला ने दिया. निबंधन विभाग के मुताबिक सूबे में सबसे अधिक पटना सदर ने 533.33 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया. इसके बाद पटना जिले के दानापुर कार्यालय ने 235.78 करोड़, फुलवारीशरीफ ने 155.48 करोड़, पटना सिटी ने 125.73 करोड़, बिक्रम ने 81.83 करोड़, मसौढ़ी ने 42.67 करोड़, संपतचक ने 35.80 करोड़, फतुहा ने 20.95 करोड़, बाढ़ ने 36.16 करोड़ और बिहटा ने 30.39 करोड़ रुपये का राजस्व दिया.

पटना के बाद मुजफ्फरपुर निबंधन कार्यालय से मिला अधिक राजस्व

पटना जिला के बाद बड़ा राजस्व देने वाले जिलों में मुजफ्फरपुर 227.53 करोड़, भागलपुर 198.64 करोड़, गया 174.99 करोड़, पूर्णिया सदर 140.61 करोड़, मोतिहारी 127.70 करोड़ और दरभंगा 115.49 करोड़ शामिल रहा. बिहार के 13 निबंधन कार्यालयों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दिया. इनमें कटिहार, औरंगाबाद और आरा (भोजपुर) निबंधन कार्यालय भी शामिल रहे.

राजस्व में पटना तो दस्तावेजों की संख्या में मुजफ्फरपुर रहा अव्वल

आंकड़ों के मुताबिक निबंधन राजस्व की वसूली में पटना सदर सूबे में सबसे अव्वल रहा. लेकिन, रजिस्टर्ड हुए दस्तावेजों की संख्या के मामले में मुजफ्फरपुर 34774 दस्तावेज के साथ सबसे ऊपर रहा. पटना में 21564 दस्तावेजों की ही रजिस्ट्री हुई. मुजफ्फरपुर के बाद बेतिया में 31558 दस्तावेज, गया में 30248 दस्तावेज, कटिहार में 29051 दस्तावेज, पूर्णिया में 25041 दस्तावेत, बारसोई में 24953 दस्तावेज, समस्तीपुर में 22376 दस्तावेज और औरंगाबाद में 22118 दस्तावेजों की रजिस्ट्री हुई

इन वजहों से बढ़ा निबंधन विभाग का राजस्व

  • एक जनवरी से 31 मार्च तक निबंधन विभाग के पदाधिकारी-कर्मियों की रविवार सहित कई छुट्टियां रद्द कर कार्यालय खुले रखे गये

  • रजिस्ट्री दस्तावेजों में उल्लेखित संरचनाओं की वरीय पदाधिकारियों से स्थल जांच करायी गयी, ताकि राजस्व हानि नहीं हो

  • पिछले सात वर्षों से एमवीआर की दरों में कोई अंतर नहीं होना और अगले साल से बढ़ने की संभावना के चलते

  • टॉल फ्री नंबर 14544 सहित कॉल सेंटर बना कर जन शिकायत सुने जाने से आम जनों को सुविधा

Also Read: पटना में जमीन खरीदने में लोग ले रहे दिलचस्पी, निबंधन विभाग को 2022-23 में मिला 1300 करोड़ का राजस्व
2022-23 में लक्ष्य से अधिक राजस्व देने वाले टॉप टेन निबंधन कार्यालय

  • कार्यालय-रजिस्टर्ड डीड-राजस्व लक्ष्य(करोड़ में)-राजस्व प्राप्ति-उपलब्धि(प्रतिशत)

  • सारण- 18591- 69- 99.61-144.36

  • लालगंज-11578-29-40.18-138.54

  • सुपौल-9119-31-42.94-138.50

  • सीतामढ़ी सदर-17077-70-45.94-137.06

  • सहरसा-21634-65-88-135.38

  • फारबिसगंज-15413-38-51.59-134.01

  • शिवहर-10477-23-30.80-133.92

  • मधेपुरा-17736-47-61.84-131.57

  • झंझारपुर-9714-20-26.31-131.57

  • अररिया सदर-16466-38-49.91-131.34

पिछले पांच वर्षों में निबंधन विभाग को मिला राजस्व

  • वित्तीय वर्ष-रजिस्टर्ड दस्तावेज-राजस्व(करोड़ में)

  • 2022-2023-1538865-6583.07

  • 2021-2022-1206948-5215.26

  • 2020-2021-1000214-4257.55

  • 2019-2020-1162582-4422.27

  • 2018-2019-1151151-4132.15

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