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नाला व सड़क का अभाव बना जंजाल, कभी होता है विवाद, तो कभी बन जाता काल

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भैरोपुर शहर से सटा सबसे पिछड़ा इलाका है. बिजली, सड़क, ड्रेनेज सिस्टम, पेयजल और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के मामले में इस इलाके की स्थिति बेहतर नहीं है.

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शहर से सटे गंगटी समीप खिरीबांध पंचायत अंतर्गत भैरोपुर में हुआ प्रभात खबर आपके द्वार का आयोजन, लोगों ने सुनायी आपबीती

भैरोपुर शहर से सटा सबसे पिछड़ा इलाका है. बिजली, सड़क, ड्रेनेज सिस्टम, पेयजल और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के मामले में इस इलाके की स्थिति बेहतर नहीं है. खासकर नाला व सड़क का अभाव यहां के लोगों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. सुबह की शुरुआत विवाद से होती है. कोई अपने घर का पानी बहाते हैं, दूसरे घर के सामने गिर जाता है. कभी कोई खराब सड़क पर गिर कर घायल हो जाता है. रविवार को भागलपुर शहर से सटे गंगटी समीप खिरीबांध पंचायत अंतर्गत भैरोपुर में आयोजित प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में जुटे स्थानीय लोगों ने इससे संबंधित कई सवाल उठाये.

भागलपुर सिल्क सिटी का ऐसे बदलेगा स्वरूप

भैरोपुर में सबसे ज्यादा चिंता सड़क व नाला के अभाव की स्थिति को लेकर थी. लोगों का कहना था कि शहर के बाइपास के अंदर व मुख्य मार्ग के अंदर भैरोपुर अवस्थित है. यहां ऐसी अव्यवस्था है, जो कभी सुदूर गांव में हुआ करती थी. सभी का कहना था कि उनके इलाके में मूलभूत सुविधा मिले तो भागलपुर स्मार्ट सिटी का स्वरूप और समृद्ध नजर आयेगा.

भैरोपुर में है 4000 आबादी व 1800 वोटर

भैरोपुर में 4000 से अधिक की आबादी बसी हुई है. शहर से सटे मुफ्फसिल क्षेत्र में अपेक्षाकृत सस्ती जमीन मिलने पर लोग बसते गये, लेकिन अव्यवस्था से परेशान होकर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने को विवश हैं. हालांकि अब भी अधिकतर लोग यहां पहले से बसे हुए हैं.

जनप्रतिनिधि की ताकत जनता

लोगों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की ताकत जनता है. इसलिए केवल दोष देने की जगह जनप्रतिनिधि को मजबूती प्रदान करें, तभी वह काम करा पाने में भी सफल होगा. यह सच है कि दक्षिणी क्षेत्र का विकास नहीं हुआ. सरकारी स्तर पर होनेवाले इस भेदभाव को मिटाना होगा, पर लोगों को भी अपनी गलती देखनी होगी. भागलपुर स्मार्ट सिटी तभी बनेगी, जब शहर से सटे मुफ्फसिल क्षेत्र का भी विकास होगा. इससे ही भागलपुर की पहचान है.

लोगों का दर्द

कॉलोनियां बढ़ती जा रही और सुविधाएं घटती जा रही

ज्यों-ज्यों शहर का विस्तार हाे रहा है, त्यों-त्यों कॉलोनियां बढ़ती जा रही है. इससे लोगों की सुविधाएं घटती जा रही हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना होगा. सबसे बड़ी समस्या सड़क व नाला का अभाव है.

अरुण कुमार

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सड़क व नाला के लिए अब तक 20 बार जनप्रतनिधियों का चक्कर काट चुके हैं. प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की उदासीन रवैया के कारण दो बार योजना आयी, लेकिन फंड लौट गया.

वरुण मंडल

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जर्जर सड़क पर गिरकर ऐसा घायल हुए कि एक साल बेड पर रहना पड़ा. कई बार महिलाएं गिरकर घायल हो चुकी हैं. बारिश में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है.

दीपनारायण साह

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सड़क पर गिर कर पैर टूट गया. अपनी समस्याएं किसे सुनाएं, कोई नहीं सुनता. नाला के अभाव में हर दिन विवाद होता है. सुबह की शुरुआत विवाद से होती है.

रीना देवी

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नाला का अभाव विवाद का कारण हो गया है. घर का पानी बहाने पर दूसरे घर के सामने पहुंच जाता है. यहां का बड़ा मुद्दा है. कोई फरिश्ता होगा, जो कि इस समस्या का निदान करेगा.

आभा देवी

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शहर में रहकर बदहाल गांव की याद आती है. बरसात में कमर भर पानी भर जाता है. स्वास्थ्य केंद्र भी दूर है. सदर अस्पताल या मायागंज अस्पताल जाना पड़ता है.

राजीव रंजन

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हर घर नल की सुविधा मिली है, लेकिन रात्रि में अंधेरा छाया रहता है. पुलिस गश्ती बराबर नहीं होती. कई बार प्रशासनिक पदाधिकारी से गुहार लगा चुके हैं.

पवन मंडल

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मुख्य मार्ग से घर आने के लिए बारिश तो क्या सूखे दिन में भी सोचना पड़ता है. लगता है कहीं यहां से पलायन तो नहीं करना पड़ेगा. बीमार आदमी को चार आदमी सहारा देकर घर पहुंचाते हैं. रात्रि में तो नरक सा महसूस होता है.

अमित कुमार सिंह

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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