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रोहिणी बीता, अब धान उत्पादक किसानों के लिए मृगशिरा और आद्रा में बिचड़ा डालने का मौका

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भागलपुर में बारिश की कमी से किसान चिंतित. प्री मानसून व रोहिणी नक्षत्र में जिले के धान उत्पादक किसान नहीं लगा सके बिचड़ा

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Agriculture News: रोहिणी के बाद अब मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र में किसानों के लिए बिचड़ा डालने को लेकर मौका रह गया है. दरअसल प्री-मानसून व रोहिणी नक्षत्र में जिले के किसान बारिश के अभाव में बिचड़ा नहीं लगा सके. इतना ही नहीं 20 फीसदी किसानों ने बिचड़ा की तैयारी कर ली, लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही. भागलपुर जिले के क्षेत्रों में बिचड़ा गिराने और धान की खेती शुरू करने के लिए किसानों के बीच मृगशिरा व आद्रा ही उम्मीद है.

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जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव ने बताया कि धान की हाइब्रिड किस्मों के लिए धान की नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह से पूरे जून तक लगायी जा सकती है. वहीं मध्यम अवधि की हाइब्रिड किस्मों के लिए नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह में लगानी चाहिए. इसके अलावा धान की बासमती व कतरनी किस्मों के लिए नर्सरी जून के पहले सप्ताह में लगायी जाती है.

रोहिणी नक्षत्र धान बुआई के लिए है वरदान

शाहकुंड के बुजुर्ग किसान मृगेंद्र सिंह ने बताया कि खरीफ फसल को लेकर किसान तैयारी में हैं. अच्छी खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र को वरदान और रोहिणी नक्षत्र में खेतों में धान का बीज डालना शुभ माना गया है. किसानों का भी मानना है कि इस नक्षत्र में बीज डालने से खेती आगे होती है. रोहिणी नक्षत्र में बीज डालने वाले किसानों की फसल नवंबर में तैयार हो जाती है. इससे रबी फसल की बुआई भी समय से हो जाती है. रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से पौधा ज्यादा तेजी से विकास करता है. रोहिणी नक्षत्र में लगाये गये धान के बीज से अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है.

कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस दौरान सूर्य की रोशनी तेजी से सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. वहीं, तेज धूप से मिट्टी भी रोगमुक्त होती है. क्योंकि, इस समय खेत को तैयार करने से उसके अंदर तक धूप जाती है. किसान भाइयों को चाहिए कि धान के बीजों को अंकुरित होने के बाद ही बुआई करें.

बीज को पहले पानी में भिंगो दें. इसके बाद बीजों को पानी से छानकर जूट के बोरे से 15 से 20 घंटे के लिए ढंक दें और अंकुरित होने के बाद ही बुआई करें. बुआई के समय खेत की सतह पर पानी होना आवश्यक है और उसके बाद भी तापमान अधिक होने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी बनाये रखें.

एक बीघा में दो से 2.5 किलो बीज रोपने के लिए पर्याप्त

कृषि वैज्ञानिक डॉ मंकेश कुमार ने बताया कि अगर बीज की मात्रा की बात करें, तो दो से 2.5 किलोग्राम बीज एक बीघा में रोपने के लिए पर्याप्त होता है. हालांकि, बीज में जमाव प्रतिशत कम है, तो किसान तीन से चार किलो बीज प्रति बीघा की दर से बिचड़ा के लिए प्रयोग कर सकते हैं. हमें इसके साथ ही उन्नत प्रजातियों का चयन भी किसान को अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए, जिससे अधिक लाभ प्राप्त हो.

18 जून तक है मृगशिरा और फिर आद्रा नक्षत्र

पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि 7 जून को सुबह 8:25 बजे धन के दाता शुक्र रोहिणी नक्षत्र से निकलकर मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर गया है. 18 जून तक इसी नक्षत्र में रहेंगे. इसका शुभ-अशुभ प्रभाव मेष से लेकर मीन तक 12 राशियों पर भी होगा. 18 जून के बाद आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा. इस वर्ष धरती के भीषण तपने के बाद भागलपुर में अच्छी बारिश के संकेत आने शुरू हो गये हैं. इससे 14 से 15 दिन पहले धरती का तपना शुभ बारिश के संकेत हैं. ये किसानों के लिए अच्छी खबर है. आर्द्रा नक्षत्र वर्षा के अनुकूल माना जाता है. इसके आने से वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है.

जिले में नौ प्रखंड हैं धान उत्पादक क्षेत्र

जिले के नौ प्रखंड जगदीशपुर, शाहकुंड, सन्हौला, सुलतानगंज, पीरपैंती, नाथनगर, सबौर, गोराडीह व पीरपैंती धान उत्पादक क्षेत्र हैं. डीएओ अनिल यादव ने बताया कि उपयुक्त प्रभेद का उचित समय से बुआई नहीं करने से अच्छी उपज नहीं होती है. कम अवधि प्रभेद में सहभागी सबौर दीप, हर्षित, अभिषेक, सीओ 51, स्वर्ण श्रेया, राजेन्द्र भगवती, राजेंद्र कस्तूरी व प्रभात मध्यम अवधि की प्रजाति डीआरआर 42, 44, संभा सब -1, एमटीयू1001, बीपीटी 5204, राजेंद्र श्वेता, सबौर अर्धजल आदि आते हैं.

बुआई के लिए बीजोपचार जरूरी

बुआई के पूर्व बीज को उपचारित कर लेना काफी लाभदायक माना जाता है. इससे मिट्टी जनित रोगों से पौधों को सुरक्षा मिलता है. इसमें प्रति किलोग्राम बीज को दो ग्राम कार्बेन्डाजीम 50 डब्लूपी या दो ग्राम थीरम या एक ग्राम कार्बेन्डाजीम 50 डब्लूपी एवं दो ग्राम थीरम या पांच ग्राम ट्राइकोडर्मा विरीडी से उपचारित कर बीज की बुआई करनी चाहिए.

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