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Bihar News: भागलपुर जिला प्रशासन ने विभाग को भेजा प्रस्ताव, अब ये महोत्सव बिहार सरकार के सांस्कृतिक कैलेंडर में होंगे शामिल

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Bihar News: भागलपुर के तीनों महत्वपूर्ण महोत्सवों के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन ने कला, संस्कृति व युवा विभाग को प्रस्ताव भेजा है.

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Bihar News

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संजीव झा
भागलपुर. श्रावणी मेला और मंजूषा महोत्सव के बाद अब अंगिका, बिहुला विषहरी व झूलन पर भागलपुर में होनेवाले महोत्सव बिहार सरकार के सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल होनेवाले हैं. भागलपुर जिला प्रशासन ने तीनों महोत्सवों को सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल करने के लिए बिहार सरकार के कला, संस्कृति व युवा विभाग को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव पर विभाग की मुहर लगने के बाद उक्त तीनों महोत्सवों के आयोजन में बिहार सरकार की मदद मिलेगी. भागलपुर में ये महोत्सव आयोजित तो होते रहे हैं, लेकिन इसे अब तक अपेक्षित पहचान नहीं मिल पायी है. ये ऐसे महोत्सव हैं, जिनमें भागलपुर की आत्मा बसती है और जिनका केंद्र ही भागलपुर है. इन महोत्सवों से भागलपुर का गौरव जुड़ा है. स्थानीय लोग ही इन्हें संरक्षित भी रख सकते हैं, पर इसे भविष्य के लिए सुरक्षित रखने में प्रशासनिक सहयोग की आवश्यकता है.

…इसलिए लिया गया निर्णय

गत आठ अक्तूबर को कला, संस्कृति व युवा विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इसमें भागलपुर से संबंधित महोत्सव के आयोजन के लिए प्रस्ताव मांगे गये थे. इसके बाद विभिन्न महोत्सवों की जानकारी जुटाने के बाद उक्त तीन महोत्सवों का प्रस्ताव जिला कला, संस्कृति कार्यालय ने तैयार किया और विभाग को भेजा. वर्तमान में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सांस्कृतिक कैलेंडर में श्रावणी मेला व मंजूषा महोत्सव ही शामिल हैं.

अंगिका महोत्सव

प्राय: हर वर्ष स्थानीय साहित्यकारों व कला प्रेमियों द्वारा यह फरवरी में मनाया जाता है. लेकिन कई परेशानियों को भी इस महोत्सव ने झेला है. अंग क्षेत्र की स्थानीय भाषा अंगिका है. अंगिका भाषा, भारत के बिहार और झारखंड व नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है. इसके आधुनिक साहित्य के लेखन का नया क्रांतिकारी दौर शुरू हुआ है. अंगिका में हजारों रचनाएं लिखित रूप में उपलब्ध हैं. लगभग छह सौ साहित्यकार इसे समृद्ध करने में लगे हैं. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद ने अंगिका भाषा से जुड़ी दो अहम किताबें प्रकाशित की हैं.

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बिहुला-विषहरी महोत्सव

भागलपुर में बिहुला-विषहरी पूजा हर साल 17 अगस्त को धूमधाम से मनायी जाती है. यह पूजा अंग प्रदेश के इतिहास, संस्कृति, और परंपरा का अहम हिस्सा है. भागलपुर को पुराने समय में चंपानगरी कहा जाता था और यह बिहुला-विषहरी की कहानी का केंद्र है. बिहुला-विषहरी पूजा की कहानी चंपानगर के नामी व्यापारी चंद्रधर सौदागर के पुत्र बाला लखेंद्र की मौत विषहरी के डसने और फिर उनकी पत्नी द्वारा स्वर्गलोक से प्राणवापसी से जुड़ी है. बिहुला-विषहरी पूजा में 100 से अधिक प्रतिमाएं विभिन्न जगहों पर स्थापित होती हैं.

झूलन महोत्सव

भागलपुर में झूलन महोत्सव, भगवान कृष्ण और देवी राधा को समर्पित एक पांच दिवसीय उत्सव है. यह वैष्णव संप्रदाय का उत्सव है. सावन में गत 150 से अधिक वर्षों से भागलपुर में मनाया जाता रहा है. भागलपुर शहर के विभिन्न मंदिरों व ठाकुरबाडियों में स्थानीय लोगों द्वारा आयोजित होती है. इसमें भगवान कृष्ण को सफेद वस्त्र पहनाया जाता है और उन्हें सफेद फल का भोग लगाया जाता है. यह त्योहार भगवान कृष्ण की बचपन की लीलाओं को याद करने के लिए मनाया जाता है.

अंगिका, बिहुला-विषहरी व झूलन महोत्सवों का अंग क्षेत्र में स्थित भागलपुर जिले से आत्मीय लगाव है. इन महोत्सवों का आयोजन यहां के लोग समर्पित भाव से करते हैं. यह आगे भी और बेहतर ढंग से आयोजित हो, इसके लिए इन्हें सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल करने के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. – अंकित रंजन, जिला कला व संस्कृति पदाधिकारी, भागलपुर

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