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10 रुपये का इंजेक्शन 400 में बेचने वाली डॉक्टर सहित तीन पर केस दर्ज, छापेमारी टीम को देखते ही हुए फरार

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इशाकचक थाना अंतर्गत भीखनपुर नेत्रहीन स्कूल के पास डॉ अविलेश कुमार की पत्नी डॉ मोनिका रानी के क्लिनिक में ड्रग विभाग की टीम ने शुक्रवार को छापेमारी की. टीम को सूचना मिली थी कि बेहोश करनेवाली दवा फोर्टबिन जिसकी कीमत 10 रुपये है उसे यहां 400 रुपये में बेचा जा रहा है. ड्रग इंस्पेक्टर दयानंद कुमार को इसकी शिकायत मरीज के परिजनों ने बिल के साथ की थी. टीम को देखते ही डॉ मोनिका और इनके यहां दवा दुकान चलाने वाले निखिल कुमार झा फरार हो गये, जबकि क्लिनिक में दलाली करने वाले बाराहाट निवासी निर्मल सिंह को ड्रग इंस्पेक्टर ने पकड़ कर इशाकचक पुलिस को सौंप दिया. ड्रग इंस्पेक्टर दयानंद प्रसाद के बयान पर डॉ मोनिका रानी, दवा विक्रेता निखिल कुमार झा और दलाल निर्मल सिंह पर मामला दर्ज कराया गया है.

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इशाकचक थाना अंतर्गत भीखनपुर नेत्रहीन स्कूल के पास डॉ अविलेश कुमार की पत्नी डॉ मोनिका रानी के क्लिनिक में ड्रग विभाग की टीम ने शुक्रवार को छापेमारी की. टीम को सूचना मिली थी कि बेहोश करनेवाली दवा फोर्टबिन जिसकी कीमत 10 रुपये है उसे यहां 400 रुपये में बेचा जा रहा है. ड्रग इंस्पेक्टर दयानंद कुमार को इसकी शिकायत मरीज के परिजनों ने बिल के साथ की थी. टीम को देखते ही डॉ मोनिका और इनके यहां दवा दुकान चलाने वाले निखिल कुमार झा फरार हो गये, जबकि क्लिनिक में दलाली करने वाले बाराहाट निवासी निर्मल सिंह को ड्रग इंस्पेक्टर ने पकड़ कर इशाकचक पुलिस को सौंप दिया. ड्रग इंस्पेक्टर दयानंद प्रसाद के बयान पर डॉ मोनिका रानी, दवा विक्रेता निखिल कुमार झा और दलाल निर्मल सिंह पर मामला दर्ज कराया गया है.

शुक्रवार को ड्रग इंस्पेक्टर से मरीज के परिजनों ने शिकायत की थी कि डॉ मोनिका रानी के क्लिनिक के अंदर कृष्णा मेडिको में 10 रुपये का इंजेक्शन 400 रुपये में दिया गया. मेडिकल वालों ने इसका बिल भी दिया है. बिल मिलने के बाद ड्रग विभाग की टीम यहां छापेमारी करने के लिए पहुंची. टीम को देखते ही डॉ मोनिका फरार हो गयी. मेडिकल दुकान संचालक ने होशियारी करते हुए फोर्टबिन के स्टॉक को अपने कंप्यूटर से उड़ा दिया. ड्रग इंस्पेक्टर ने कड़ाई से दुकान में काम करनेवाले कर्मी से पूछताछ की. इसके बाद उसने एक-एक कर सभी चीजों को कबूल लिया.

कर्मी ने ड्रग इंस्पेक्टर को बताया कि दवा डॉ मोनिका अपने पास कमरे में रखती हैं. जिसे भी इसकी जरूरत होती है डॉक्टर खुद ही निकाल कर देती हैं. दवा की कीमत भी डॉक्टर ही तय करती हैं. हमारे पास यह दवा उपलब्ध नहीं होता है. वो इस दवा को बाहर से अपने पास सीधे मंगाती हैं. वहीं इसी दौरान ड्रग इंस्पेक्टर ने यहां काम कर रहे कंपाउंडर सह दलाल निर्मल सिंह को पकड़ा. उससे पूछताछ की गयी, तो उसने बताया कि वह ग्रामीण इलाके से मरीज को बहला-फुसला कर डॉ मोनिका के पास लेकर आता है. यहां कंपाउंडर का काम करता है और डॉक्टर जो काम करने कहती है, वह करता है. ड्रग इंस्पेक्टर दयानंद प्रसाद ने बताया कि डॉ मोनिका रानी, दलाल निर्मल सिंह और दवा दुकानदार निखिल कुमार झा पर तीन धारा में मामला दर्ज किया गया है. इसमें आपदा अधिनियम, ड्रग एंड कॉस्मेटिक और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा को लगाया गया है. डॉक्टर और दवा दुकानदार दोनों फरार है.

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दवा दुकरानदार निखिल कुमार झा दरभंगा का रहनेवाला है. वह अपनी दवा की कंपनी भी चलाता है. दिल्ली समेत अन्य जगहों से दवा लाकर वह डॉक्टर से लिखवा कर बेचा करता है. डॉ अविलेश की पत्नी डॉ मोनिका के क्लिनिक में इसने दुकान खोल रखा था, जहां इस तरह की दवा को बेचा करता था. ऐसे में यह दवा मरीजों के लिए कितना बेहतर था इसकी भी जांच की जा रही है. वहीं अब विभाग इस बात की भी जांच कर रही है कि जो दवा इस मेडिकल हॉल में बेची जाती थी उसकी क्वालिटी क्या है.

22 फरवरी 2019 को डॉ मोनिका के क्लिनिक में जम कर हंगामा हुआ था. यहां बरारी की एक महिला का गर्भपात किया गया था. इस दौरान महिला की मौत हो गयी थी. इसके बाद परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड की थी. इस दौरान भी डॉक्टर गायब हो गयीं थीं. उस वक्त पुलिस ने मामले को संभाला था. बचाव और विरोध में कई संगठन सामने आ गये थे. किसी तरह मामले को करीब पांच घंटे के हंगामे के बाद शांत किया गया था.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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