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कर्मचारियों व पदाधिकारियों का वेतन बंद करना नियम के खिलाफ

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- बिहार विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति के सभापति सह विधायक अजीत शर्मा ने सदन में प्रस्तुत की रिपोर्ट

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वरीय संवाददाता, भागलपुर

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जिला, अनुमंडल, प्रखंड व अंचल स्तर पर नियम का उल्लंघन कर समय पर काम पूरा नहीं करने वाले कर्मचारियों व पदाधिकारियों के वेतन बंद करने की प्रथा पर तत्काल रोक लगायी जाये. सामान्य प्रशासन विभाग सभी जिलों से रिपोर्ट मंगवाकर समीक्षा करे कि वेतन बंद करने में नियम का पालन किया गया है या नहीं. कार्रवाई करने में बिहार सेवा संहिता का अनुपालन सुनिश्चित हो. यह अनुशंसा बिहार विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति के सभापति सह विधायक अजीत शर्मा ने सदन में गुरुवार को प्रस्तुत रिपोर्ट में की. विधानसभा ने नियम के खिलाफ वेतन बंद की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी समिति को दी थी. नौ सदस्यीय समिति के सभापति भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा हैं. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने सामान्य प्रशासन विभाग से जवाब मांगा कि किस अधिनियम के तहत कर्मियों का वेतन बंद किया जाता है. किस आधार पर वेतन रोका गया, इसके लिये जांच की गयी या नहीं आदि की पड़ताल के लिये किस आधार पर किया गया है. वेतन बंद करने के लिए जांच की गयी या नहीं. मामले की पड़ताल के लिए समिति ने भागलपुर व पूर्णिया समेत किशनगंज, अररिया, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, मधुबनी व दरभंगा में स्थलीय अध्ययन यात्रा की. इस दौरान विभिन्न जिलों में कई कर्मियों व पदाधिकारियों का वेतन अधिकतम तीन माह तक बंद करने की सूचना मिली. समिति की तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन बंद करने वाले पदाधिकारियों पर शोकाॅज किया जाये.

परफॉर्मेंस व टार्गेट का नियम डीएम पर भी लागू हो

विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, परफॉर्मेंस व टार्गेट के आधार पर कर्मचारियों व पदाधिकारियों का वेतन बंद करना नियम के खिलाफ है. यदि इसे लागू किया जाता है कि इस आधार पर डीएम का भी वेतन बंद हो. समिति ने सामान्य प्रशासन विभाग से यह भी पूछा कि जिन कर्मियों का वेतन बंद किया गया, उनका जीवन यापन कैसे हुआ. जिलाधिकारियों ने इसका कोई समुचित जवाब नहीं दिया, उन्होंने मात्र इतना कहा कि आगे से ध्यान रखा जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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