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गाद जमा होने से गंगा की गहरायी 40 मीटर हुई कम, बाढ़ में डूब रहे ऊंचे व नये इलाके

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गाद जमा होने से गंगा की गहरायी 40 मीटर हुई कम, बाढ़ में डूब रहे ऊंचे व नये इलाके

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– बीते दो दशक में गाद जमाव की समस्या हुई विकराल, जलस्तर बढ़ने के बाद तट के दोनों ओर तेजी से घुस रहा पानी

गौतम वेदपाणि, भागलपुर

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गंगानदी में आयी भयावह बाढ़ के कारण तट से सटे ऊंचाई वाले स्थान भी जलमग्न हो रहे हैं. उफनाई गंगा का पानी वैसे इलाकों में भी घुस रहा जहां पहले बाढ़ का खतरा बहुत कम था. पर्यावरणविद इसकी मुख्य वजह गंगानदी की गहरायी का कम होना बता रहे हैं. बीते दो दशक में भागलपुर से लेकर फरक्का तक गंगानदी के तट में बेतहाशा गाद का जमाव हुआ है. इससे भागलपुर जिले व आसपास के इलाके में नदी की गहरायी 40 मीटर तक कम हो गयी है. जब मानसून के दौरान बिहार समेत नेपाल, यूपी, उत्तराखंड व अन्य राज्यों का पानी गंगानदी तक पहुंचता है, तब नदी तल की गहरायी कम होने से पानी तेज गति से दोनों किनारों की ओर फैलने लगती है. इसका जीता जागता स्वरूप भागलपुर जिले में दिख रहा है. भागलपुर शहर की बात करें तो बीते तीन दिन में शहर के वैसे इलाके भी जलमग्न हो गये हैं, जहां पहले बाढ़ आने का रिकॉर्ड नहीं रहा है. नगर निगम क्षेत्र के साहेबगंज-नरगा रोड, आदमपुर का बैंक कॉलोनी, विसर्जन घाट से सटे इलाके, सखीचंद घाट से सटे मुहल्ले समेत सुल्तानगंज, सबौर, कहलगांव व नाथनगर प्रखंड के कई इलाके हैं.

फरक्का बांध बनने के बाद शुरू हुई समस्या : टीएमबीयू के पीजी भूगोल विभाग के पूर्व एचओडी व पर्यावरणविद डॉ एसएन पांडेय बताते हैं. आने वाले समय में बाढ़ की समस्या और भी विकराल होगी. दरअसल 1975 में फरक्का बांध बनने के बाद नदी के तल में मिट्टी, बालू जमना शुरू हो गया. पहले फरक्का बांध के करीब गाद जमना शुरू हुआ. 1990 तक भागलपुर, कहलगांव, सुल्तानगंज, बरियारपुर से मुंगेर तक गाद जमाव का असर दिखने लगा. सुल्तानगंज की अजगैवीनाथ पहाड़ी के पीछे करीब चार किलोमीटर के एरिया में दियारा निकल आया. वहीं सदियों से सुल्तानगंज तट होकर बहने वाली गंगा की उत्तरवाहिनी धारा बंद हो गयी. भागलपुर में पहले नाथनगर में गाद जमने से दियारा निकला. धीरे-धीरे महाशय ड्योढ़ी, विवि घाट, बूढ़ानाथ मंदिर, मानिक सरकार, बरारी पुल घाट से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज तक गाद जमने से दियारा निकल आया. नदी की धारा भी नवगछिया तट होकर बहने लगी.

कहां से आती है गाद : हिमालयन क्षेत्र में लगातार हो रहे कंस्ट्रक्शन के कारण भूस्खलन काफी बढ़ा है. गंगा व इसकी सहायक नदियों के साथ भारी मात्रा में मिट्टी बहकर फरक्का बांध से लेकर पटना तक जम रही है. पानी के साथ आये गाद के कारण कई गंगा किनारे स्थित कई चौर व वेटलैंड भी समाप्त हो गये हैं. बता दें कि गंगा की सहायक नदियों के साथ गाद कई राज्यों से आती हैं. इनमें नेपाल से कोसी, गंडक, बागमती, सरयू, मध्य प्रदेश से सोन व पुनपुन, राजस्थान से चंबल व लूनी नदी का गाद यमुना होकर गंगा में मिलती है. वहीं गंगा में अनगिनत बरसाती नदियां भी भारी मात्रा में गाद गिराती हैं.

गाद के कारण माॅनसून के बाद सूख जाती है गंगा : गाद जमाव व नदी की गहरायी कम होने से गंगा बेसिन में पानी कम जमा हो पाता है. माॅनसून में बाढ़ के दौरान गंगा में बहुतायत पानी रहता है. जो अक्तूबर के अंत तक बहकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाता है. अगर नदी में गहरायी होती तो सालों भर नदी में पानी की भरमार रहती.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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