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सृजन संस्था को समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन ने समिति को लिखा पत्र, कई एजेंसी कर रही घोटाले की जांच

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सृजन संस्था (Srijan Scam )में प्रशासक की नियुक्ति लगातार कई वर्षों से है. सहकारी समिति अधिनियम में प्रावधान है कि समिति की प्रबंधकारिणी समिति को छह माह के लिए अवक्रमित (डिग्रेड) किया जा सकता है, जबकि यह कई साल से अवक्रमित है.

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भागलपुर: सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर का अस्तित्व समाप्त करने के लिए जिला सहकारिता पदाधिकारी ने सहकारिता विभाग की सहयोग समितियां के निबंधक को पत्र लिखा है. दरअसल, जिलास्तर से संस्था के परिसमापन का निर्णय नहीं लिया जा सकता है. इस वजह से समिति की गिरी साख व जिले के विभिन्न विभागों की बड़ी राशि के गबन के मद्देनजर समिति को अपने स्तर से परिसमापित करने का अनुरोध मुख्यालय से किया गया है. इसके अलावा जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को परिसमापक के रूप में नियुक्त करने का भी अनुरोध किया गया है. इस बाबत जिला अंकेक्षण पदाधिकारी, संयुक्त निबंधक (अंकेक्षण) व संयुक्त निबंधक को भी पत्र की कॉपी भेजी गयी है.

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‘कई बार निर्वाचन के लिए लिखा गया, नहीं आया जवाब’

सृजन संस्था में प्रशासक की नियुक्ति लगातार कई वर्षों से है. सहकारी समिति अधिनियम में प्रावधान है कि समिति की प्रबंधकारिणी समिति को छह माह के लिए अवक्रमित (डिग्रेड) किया जा सकता है, जबकि यह कई साल से अवक्रमित है. बैंकिंग कारोबार करनेवाली समिति को अधिकतम एक वर्ष तक ही अवक्रमित किया जा सकता है. इस स्थिति में सृजन समिति का निर्वाचन कराने के लिए भी निबंधक को कई बार लिखा गया, लेकिन जवाब ही नहीं आया.

सृजन संस्था में हैं 12 हजार खाते

सृजन संस्था लोगों का खाता खोल कर उसके साथ व्यवसाय किया करती थी. लोगों के पैसे जमा लेती थी और ऋण देने का काम करती थी. जब वर्ष 2017 में घोटाले का खुलासा हुआ और सीबीआइ ने जांच शुरू की, तो सीबीआइ के निर्देश पर सृजन में खुले 12 जमाकर्ताओं व ऋण लेनेवालों के खाता का डाटा सीबीआइ को सौंपा गया. इसके बाद सभी खातों को विभिन्न जांच एजेंसी द्वारा सीज कर लिया गया. इससे किसी प्रकार की राशि की निकासी व जमा नहीं हो रही है.

अब तक सृजन संस्था में इतनी कार्रवाई हो चुकी

सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के कार्यालय के लिए सबौर प्रखंड कार्यालय परिसर में दिये गये भवन की लीज रद्द की जा चुकी है. समिति में कोई भी व्यवसाय नहीं हो रहा है. समिति की साख भी समाप्त है. वर्ष 2017 से ही सृजन समिति की प्रबंधकारिणी समिति को विघटित कर प्रशासक नियुक्त किया गया है.

कई एजेंसी कर रही सृजन घोटाले की जांच

सृजन संस्था पर आरोप है कि विभिन्न सरकारी विभागों के विभिन्न बैंकों के खाते से करोड़ों की राशि का गबन किया गया. अब तक इसकी वसूली भी नहीं हो सकी है. मामले की जांच सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (इडी) व आयकर विभाग आदि द्वारा वर्ष 2017 से ही की जा रही है.

दरअसल, सृजन संस्था में आम लोग भी अपना पैसा जमा करते थे. ये ऐसे लोग थे जिनको इसके घोटाले में शामिल होने की जानकारी नहीं थी या फिर उनको इससे मतलब नहीं है. ऐसे लोगों के पैसे फंस जाने से उनके सामने बड़ी समस्या हो गयी है. ऐसे जमाकर्ता सृजन में जमा अपनी राशि की मांग लगातार कर रहे हैं, लेकिन दिक्कत है कि समिति के सभी खाते विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा सीज कर लिये गये हैं. इस वजह से किसी प्रकार की राशि की निकासी व जमा संभव नहीं है. इस स्थिति में जमाकर्ताओं को भुगतान व ऋण लिये लोगों से वसूली के लिए समिति का नया खाता खोलना जरूरी है और यह बगैर निबंधक के निर्देश के संभव नहीं है. निबंधक भी तभी निर्देश दे सकते हैं जब संस्था का परिसमापन हो जाये.

सृजन के ऑडिट में किया जा रहा टालमटोल

वर्ष 2003 से 2013 तक सृजन समिति के दुबारा अंकेक्षण के लिए जिला अंकेक्षण पदाधिकारी (सहयोग समितियां) द्वारा पांच सदस्यीय अंकेक्षकों का दल गठित किया गया था, लेकिन अभी तक अंकेक्षण नहीं किया गया है. इस बात से निबंधक को जिला सहकारिता पदाधिकारी जैनुल आबदीन अंसारी ने अवगत कराया है.

क्या है परिसमापन

एक ऐसी कार्यवाही है जिससे कंपनी का वैधानिक अस्तित्व समाप्त हो जाता है. इसमें कंपनी की संपत्तियों को बेच कर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है और शेष धन का अंशधारियों के बीच वितरण कर दिया जाता है.

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