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दीपक राव, भागलपुर: स्नेह के बंधन में दो परिवारों के अनोखे रिश्ते की यह कहानी है. दोनों के प्रांत अलग, भाषा अलग और मजहब भी अलहदा. बावजूद इसके दोनों के बीच पिता-पुत्री जैसा निश्छल रिश्ता बन गया और इस रिश्ते का बीजारोपण 1989 में भागलपुर के दंगे के दौरान हुआ था. भागलपुर दंगे की आग मेंं जल रहा था, सेना अधिकारी सिंह साब ड्यूटी पर थे और तलवार के वार से पैर से रिसते खून के कारण तालाब में मल्लिका छटपटा रही थी. इसी दौरान उसे सिंह साब ने उसे बचाया था.
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दंगा शांत हुआ, सेना वापस हुई और बात आयी-गयी हो गयी. 33 साल बाद मल्लिका अपने बेटे के निकाह में सिंह साब के आशीर्वाद लेने की जिद पर अड़ी रही. आखिरकार सिंह साब पंजाब में मिल गये. बुलावा पाकर वे अपनी पत्नी संग भागलपुर आये और आशीर्वाद दिये.
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बकौल गुरप्रकाश सिंह विर्क ”33 साल पहले 1989 में मल्लिका करीब 12-13 साल की रही होगी. सबौर चंदेरी स्थित एक तालाब के समीप अपने बटालियन के साथ गुजर रहा था, तो जलकुंभी के बीच से आवाज आयी बाबूजी बचाओ, बाबूजी बचाओ. चारों तरफ नजर दौड़ायी, कोई नहीं दिखा. फिर अचानक जलकुंभी हिलती दिखी और फिर वही आवाज आयी. वहां दंगा में मारे गये लोगों की लाश बिखरी पड़ी थी. उस पर पैर रखकर मल्लिका को बाहर निकाला था.
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चारों तरफ मौत का मंजर था. लाश ही लाश थे. मल्लिका का एक पैर में तलवार से वार किया गया था. घायलावस्था में मल्लिका को दानापुर स्थित आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद पांच महीने तक बिहार में ही ड्यूटी पर तैनात रहे. इस दौरान बीच-बीच में मल्लिका का हाल जानने के लिए हॉस्पिटल भी जाते थे. साथ में पत्नी राजवंत विर्क भी मिलने जाती थी. अचानक ट्रांसफर होने के बाद संपर्क टूट गया.”
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30 अगस्त को अचानक मल्लिका की ओर से सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट डाला गया. इसके बाद गुरप्रकाश सिंह विर्क की याद फिर तरोताजा हो गयी. इसमें उनके साथ की पुरानी तस्वीरें भी डाली गयी थीं. अचानक मल्लिका ने अपने बेटे के निकाह में आने का न्योता भेज दिया. वे खुद को रोक नहीं सके और मोहाली से भागलपुर अपनी बेटी जैसी मल्लिका से मिलने पहुंच गये. उनके पुत्र और पुत्रवधु को आशीर्वाद दिया.
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33 साल पहले भागलपुर दंगा की पीड़िता मल्लिका बेगम की जान बचानेवाले तत्कालीन मेजर गुरप्रकाश सिंह विर्क धर्मपत्नी राजवंत विर्क के साथ गुरुवार को मल्लिका के बेटा को निकाह के मौके पर आशीर्वाद देने के लिए पहुंचे. मल्लिका बेगम रिटायर्ड कर्नल गुरप्रकाश सिंह विर्क से मिलते ही खुशी के आंसू रुक नहीं रहे थे. मल्लिका को ऐसा लग रहा था, मानों उनके सामने फरिश्ते के रूप में दोनों पति-पत्नी खड़े हैं.
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सरदार गुरप्रकाश सिंह विर्क 1999 में आर्मी से कर्नल बनकर रिटायर हुए और अपने पैतृक निवास पंजाब के मोहाली चले गये.
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यहां एक सिक्युरिटी कंपनी खोल कर युवाओं को रोजगार देने का काम शुरू किया, जो अब तक जारी है. उनकी पत्नी राजवंत विर्क शैक्षणिक संस्थान चला रही हैं.सिंह साहेब जब भागलपुर पहुंचे तो मल्लिका बेगम का पूरा परिवार बेहद भावुक हो गया.
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सिंह साहेब के आने से मल्लिका बेगम के घर के इस समारोह में चार चांद लग गए.