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धूरा माथे लगाई एकर, धन्य भूमि हऽ चम्पारण के….

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भोजपुरी के प्रसिद्ध हस्ताक्षर भरत शर्मा व्यास, लोकगायिका चंदन तिवारी समेत अन्य की प्रस्तुतियों से शमां बांध दिया. देर रात तक श्रोता भोजपुरी के गीतों से भाव विभोर होते रहे.

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भोजपुरी कला उत्सव में सुप्रसिद्ध गायक भरत शर्मा व्यास, चंदन तिवारी समेत अन्य ने बांधी शमां

प्रतिभागियों को भरत शर्मा ने किया सम्मानित, कहा ऐसे आयोजनों से ही भोजपुरी का उत्थान संभव

बेतिया . शहर के सिंघाछापर स्थित शुभारंभ उत्सव भवन में चल रहे दो दिवसीय भोजपुरी कला उत्सव में नृत्य, गीत व संगीत के बीच जमकर रंग जमा. भोजपुरी के प्रसिद्ध हस्ताक्षर भरत शर्मा व्यास, लोकगायिका चंदन तिवारी समेत अन्य की प्रस्तुतियों से शमां बांध दिया. देर रात तक श्रोता भोजपुरी के गीतों से भाव विभोर होते रहे. स्थानीय कवियों के कवि सम्मेलन में भी भोजपुरी की मिठास घुली रही. अंत में प्रतिभागियों को सम्मानित कर इस दो दिवसीय उत्सव का समापन किया गया. इस दौरान दो दिनों में विविध आयोजन हुए. भोजपुरी कला उत्सव के दौरान राज्य भर से आए चित्रकारों ने भोजपुरी कला उत्सव के लिए पूर्व से तय पंच प्राण के विषयों, परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी जीवन शैली, पर्यावरण संरक्षण, पर अपना चित्र प्रस्तुत किया. इस क्रम में आरा से आये संजीव कुमार सिंह ने भोजपुरी चित्रकला का प्रदर्शन किया. राजनंदिनी ने भोजपुरी की प्राचीन लिपि कैथी में अपनी कला प्रस्तुत की. संजीव कुमार सिंह ने बताया कि भोजपुरी चित्रकला की परंपरा बहुत पुरानी है, आजकल इसे लोग भूलते जा रहे हैं, इसको जीवित रखना आवश्यक है. बेतिया के जाने-माने काष्ठ शिल्पी लालबाबू शर्मा और युवा मूर्तिकार प्रियांशु ने अपनी कला प्रस्तुत की. प्रदर्शनी के क्रम में थरूहट से आए हस्तशिल्पियों ने ईश्वर शांति महाविद्यालय के माध्यम से अपने शिल्प कला का प्रदर्शन किया. चित्रकला विधा संयोजक नंदीश्वर द्विवेदी राजन ने बताया कि इस प्रदर्शनी में आरा में चलने वाले दिव्यांगजनों की संस्था द्वारा बने काष्ठ शिल्प कला को प्रदर्शित किया गया. इस क्रम में स्मृति बरनवाल, अविनाश गुप्ता, विकास, सुनील अरोरा, अर्पणा, श्रेया, नेहा, ज्योति, अमन अयांश आदि ने अपनी चित्रकला से सबका मन मोह लिया. कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध लोकगायक भरत शर्मा व्यास ने सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया.

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चलाया गया पौधरोपण कार्यक्रम

संस्कार भारती के अखिल भारतीय अधिकारी आशुतोष अडोनी ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण सनातन संस्कृति का मूल भाव है. स्थानीय निगम पार्षद संदीप कुमार राय ने बताया कि इन अतिथियों के रहने के लिए प्रत्येक घरों में बातचीत की गई थी, और लोगों ने बहुत उत्साह से इन अतिथियों का स्वागत किया. हर अतिथि के लिए घर चिन्हित किये गए और सभी घरों में अतिथियों के रहने की व्यवस्था की गई. पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार घरों में रहने वाले प्रत्येक अतिथि के द्वारा कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पेड़ लगाया गया. मौके पर शिक्षक संदीप कुमार राय, अमरेंद्र कुमार, प्रकाश कुमार, अश्विनी कुमार सिंह रजनीश कुमार समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे.

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चंदन के गीतों पर रात भर बजती रही तालियां

जानी-मानी लोक गायिका चंदन तिवारी, सरिता साज और शिवांगी पाठक ””””””””जूही”””””””” ने अपने लोकगीतों से सबको तालियां बजाने पर विवश कर दिया. चंपारण के सम्मान में चंदन तिवारी ने धन्य भूमि हऽ चंपारण के गीत गाया तो लोग वाह वाह कर उठे. इस क्रम में उन्होंने अपना प्रसिद्ध गीत गोदवा लऽ हो गोदनवा गाकर कार्यक्रम में समा बांध दिया. 8 वर्षीय कलाकार प्रज्ञान भारद्वाज ने चंपारण के गीतकार सुशांत शर्मा द्वारा लिखित बारहमासा सुनकर सबको हैरत में डाल दिया. चंपारण की बेटी सरिता साज ने अपनी प्रस्तुति के दौरान भिखारी ठाकुर की रचनाएं सुनाई जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई. लक्ष्मी ठाकुर ने इस क्रम में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीतों को प्रस्तुत किया. संचालन उदय नारायण सिंह ने किया.

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भोजपुरी भूषाचार को देखकर वाह-वाह कर उठे लोग

कला उत्सव के दौरान भोजपुरी भूषाचार का आयोजन किया गया, जहां पारंपरिक परिधान में राज्य भर से आए प्रतिभागियों ने अपनी वेशभूषा का प्रदर्शन किया. संयोजक अंबुज अनुपम ने बताया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बिहार के भोजपुरी भाषी जिलों से कई प्रतिभागी आए थे.मौके पर संस्कार भारती के प्रदेश संगठन मंत्री वेद प्रकाश, बिहार विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष जयकांत सिंह जय, केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के प्रोफेसर डॉ परमात्मा कुमार मिश्रा, जानेमाने साहित्यकार साकेत बिहारी शर्मा, अंजनी कुमार सिन्हा कार्यक्रम के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र शरण, अरविंद मिश्रा, कुंदन शांडिल्य आदि ने बच्चों को पुरस्कृत किया.

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