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गिरिधारी की जमीनी पकड़ और मोदी-नीतीश फैक्टर बांका में कर गया काम

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गिरिधारी की जीत में इस बार जातीय फैक्टर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मेादी की गारंटी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चेहरा अहम भूमिका निभाता नजर आया.

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सुभाष वैद्य. बांका

इस बार बांका लोकसभा चुनाव में राजद और जदयू दोनों उम्मीदवारों को अपने-अपने दलों से टिकट लेने में जी तोड़ मेहनत करनी पड़ी थी. सीटिंग एमपी के साथ जहां एंटी इंकेबेंसी होने के अलावा अपने घटक दलों से अनुकूल तालमेल में कमी बतायी जा रही थी तो वहीं दूसरी ओर राजद में जयप्रकाश नारायण यादव के स्थान पर संजय यादव टिकट की रेस में दौड़ रहे थे. अंतोगत्वा दोनों ने ही अपने-अपने दलों का टिकट पा लिया. परंतु, गिरिधारी की फिर भी चुनौती कम होती नजर नहीं आ रही थी. अंत में इन्होंने न केवल अपने दल के अंदर और घटक दलों के साथ तालमेल बेहतर करने का प्रयास किया बल्कि अंतिम दौर में क्षेत्रीय मेहनत में भी इजाफा कर दिया. इनके जीत में इस बार जातीय फैक्टर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मेादी की गारंटी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चेहरा अहम भूमिका निभाता नजर आया. जबकि, जयप्रकाश नारायण यादव का भी धुआंधार प्रचार हुआ. नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी की यहां सबसे अधिक सभाओं की वजह से पिछले चुनाव की तुलना में राजद को जबरदस्त वोट का इजाफा मिला है. लेकिन, यह वोट प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सका. बहरहाल, एक तरफ जहां एनडीए के कोर वोट में इस बार थोड़ी बहुत सेंध जरूर नजर आयी. वहीं जदयू के गिरिधारी यादव ने एक ही समाज से आने और राजद से कार्यकर्ताओं से पुराना संबंध रहने का पूरा फायदा उठाते हुए राजद के कोर वोट में भी सेंध लगा दिया. हालांकि, इस बार गिरिधारी यादव को विगत वर्ष की तरह दो लाख की बंपर जीत नहीं मिली. लेकिन, एक अच्छे मतों से जरूर जीत गये.

जदयू की जीत का अहम किरदार

एनडीए समर्थित जदयू उम्मीदवार गिरिधारी यादव की जीत के कई किरदार हैं. एनडीए का कैडर वोट का लगभग एकजुटता रही. हालांकि, इसमें भारी गिरावट भी दर्ज की गयी. चूंकि, इस बार एनडीए के कई कोर वोटरों ने राजद को वोट कर दिया. परंतु, निर्णायक अंतर को राजद पाटने में पिछड़ गया. बीजेपी का सवर्णों का मत पहले की अपेक्षा से थोड़ा कम जरूर जदयू के साथ गया है. वैश्य का पूरा का पूरा समर्थन जदयू के पक्ष में दिखा. लेकिन, इस बार ब्राह्मवण के वोट में बिखराव रहा. जदयू का कोर वोटर खासकर कुर्मी व कुशवाहा का अधिकांश समर्थन जदयू के साथ रहा. जबकि, ईबीसी मतदाताओं ने भी जदयू को वोट बरसाया. लेकिन, दलित में भी इस बार बिखराव स्पष्ट नजर आया. बहरहाल, कमोबेश एनडीए का निर्णायक वोट गिरिधारी यादव के पक्ष में पड़ा, जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो पायी.

पांच किलो अनाज ने लौटाया ब्याज

केंद्र सरकार की योजनाएं जो सीधे लाभुक के घर तक पहुंच रही है, उसमें गरीबों को मुफ्त में पांच किलो अनाज है. यह पांच किलो अनाज इस बार जबरदस्त वोट में तब्दील हुआ. आम मतदाताओं के बीच इस योजना का अंडर करंट था. लिहाजा, अनाज का बदला ब्याज सहित वोट देकर चुकाया. इसके अलावा किसान को प्रत्येक तीन माह पर मिलने वाला दो-दो हजार रुपया, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान कार्ड जैसी कई छोटी-बड़ी योजनाएं जो सीधे गरीब जनता के पास पहुंच रही थी, उसने सीधे ऊपर देखकर वोट गिरा दिया. इसके अतिरिक्त उज्जवला योजना, किसान सम्मान योजना, उद्यमी सहित अन्य विकासशील योजनाएं इस बार वोट में तब्दील होती दिखी. खासकर महिलाओं में नीतीश और मोदी को लेकर खास क्रेज दिखा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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