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उत्तर कोयल मुख्य नहर में तेजी से हो रहा लाईनिंग कार्य

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वाटर ड्राइंग डिस्चार्ज का अवरोध खत्म करने के लिए हटाये जा रहे संकीर्ण पुलिया

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अंबुज पांडेय, अंबा मगध प्रक्षेत्र के खेतिहरों की फसल की सिंचाई के लिए जीवनदायिनी बनने वाली उत्तर कोयल मुख्य नहर का लाइनिंग कार्य जोर-शोर से चल रहा है. इसके लिए वाप्कोस द्वारा कई तरह के आधुनिक मशीनरी का प्रयोग किया जा रहा है. पुराने टाईल्स को हटाने के लिए पोकलेन, गाद की सफाई के लिए जेसीबी सीएनएस के लिए कंपेक्टर व रौलर, वहीं लाइनिंग के लिए रेल व पेवर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. वर्षों से अटकती, भटकती व लटकती सिंचाई परियोजना के रिमॉडलिंग कार्य शुरू होने से किसानो में खासा उत्साह है. स्थानीय अखिलेश मेहता, राधेकृष्ण पांडेय व ब्रजेश सिंह आदि बताते हैं कि उन्हें कई तरह की मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ा. हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के बाद सासंद सुशील कुमार सिंह के प्रयास से सभी तरह की अड़चने एक-एक कर दूर होने लगी. इसके कुछ ही महीनों के बाद केंद्र सरकार द्वारा झारखंड क्षेत्र में कोयल नहर के आरएमसी, लाईनिंग, रास्ते व पुल पुलिया के सरंचनाओं के लिए 1622.27 करोड़ राशि आवंटित कर दी गयी थी. इसके बाद बिहार के भी नहर के सभी ढांचे पर काम शुरू कर दिया गया है. ऐसा माना जा रहा कि नहर के रिमॉडलिंग होने से बेहतर सिंचाई सुविधा बहाल होगी. अधिनस्थ क्षेत्र के किसानों को अब अकाल सुखाड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा. अनवरत निमार्ण कार्य जारी रहने से विभिन्न क्षेत्रों के किसानों में खासा उत्साह है. औरंगाबाद व गया जिले के कई प्रखंडों में होगी सिंचाई कोयल नहर के कायाकल्प होने से वाटर ड्राइंग डिस्चार्ज प्रभावित नहीं होगा. सभी तरह की खामियां दूर होगी. वहीं सदर प्रखंड समेत नवीनगर,बारुण, कुटुंबा, देव, मदनपुर व रफीगंज के साथ-साथ गया जिला के आमस, गुरूआ, गुरारू, कोंच व टिकारी प्रखंड क्षेत्र के किसानों को अकाल सुखाड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा. गौरतलब है कि 2995 क्यूसेक जल प्रवाह वाला उक्त नहर मात्र 2060 क्यूसेक पर सीमट कर रह गया था. सीडब्लूसी व केंद्रीय कमेटी कर रही मॉनीटरिंग टेक्निकल अधिकारियों की देखरेख में नहर का कार्य जारी है. हाल फिलहाल में केंद्रीय जल आयोग की टीम ने बिहार व झारखंड इलाके में भ्रमण कर कोयल नहर के लाइनिंग कार्य का निरीक्षण कर रिसोर्स मशीनरी बढ़ाने का निर्देश दिया है. वहीं चीफ इंजीनियर मो शाहिद इकबाल के नेतृत्व में क्वांटिटी कंट्रोल पटना के एसइ, जल संसाधन विभाग औरंगाबाद के एसई अर्जुन प्रसाद सिंह व नवीनगर के एग्जिक्यूटीव ई उमेश कुमार ने निरीक्षण किया. चीफ इंजीनियर ने बताया कि क्वालिटी और क्वांटिटी से समझौता बर्दास्त नहीं किया जायेगा. इसके साथ ही नहर के लाईनिंग व पुल पुलिया निर्माण कार्य के लिए बिहार व झारखंड सरकार की ओर से मूल्यांकन कमेटी गठित की गई है. उक्त कमेटी क्वालिटी व क्वाटिंटी के साथ-साथ सभी बिंदुओं पर नजर रखे हुए हैं. क्या है रिमॉडलिंग झारखंड पोरसन के 103 आरडी के बाद से लेकर नहर के अंतिम छोर 358 आरडी तक यानी 31.40 किलोमीटर के बाद से लेकर 109.09 किलोमीटर कुल 77.69 किलोमीटर दूरी में मेन कैनाल में लाईनिंग कार्य कराया जाना है. वर्तमान में सभी सभी डिविजनों में पार्ट बाई पार्ट कार्य शुरू कर दिया गया है. लाईनिंग कार्य के दौरान पुराने जमाने का टाईल्स व गाद को हटा कर साफ कर दिया जा रहा है. इसके बाद मोरम, सीमेंट व अच्छी क्वॉलिटी की मिट्टी मिलाकर सीएनएस किया जा रहा है. रौलर से लेबलिंग व कंप्रशेर मशीन से कंपेक्शन करने के बाद उसे लोअर डेनसिटी पॉलिथिन बिछाकर कंक्रीट से ढलाई करायी जा रही है. इस दौरान संकीर्ण पुलिया को हटाकर उसे बेहतर बनाया जा रहा है. वहीं आधुनिक डिजाइन के पुल निर्माण के दौरान बीच का पाया हटाया जा रहा है. इस बीच सिर्फ पुल के दोनों साइड में पाया रखे जायेंगे. इससे नहर का जल प्रवाह अवरोध नहीं होगा. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नहर का कार्य पूरा करने के लिए 16 अप्रैल को दिल्ली में टेक्निकल एवैलूशन कमिटी तथा 18 अप्रैल को इन पावर कमेटी की बैठक आयोजित की है. उक्त बैठक में बिहार व झारखंड के अधिकारी शामिल हुए थे. क्या बताते हैं अफसर अधीक्षण अभियंता अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि आज मंगलवार को बिहार पटना के ज्वाइंट कंवेनर संदीप कुमार के नेतृत्व में केंद्रीय जल आयोग टीईसी सब ””””टू”””” कमेटी नहर के रिमॉडलिंग कार्यो का मुआयना करेंगे. इस दौरान सीएनएस, लाईनिंग व पुल पुलिया निर्माण में प्रयोग किए जा रहे मेटिरियल का भी मूल्यांकन करेंगे. मॉडिलिकरण के दौरान क्वाटिंटी व क्वॉलिटी से समझौता बर्दास्त नहीं किया जायेगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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