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दाखिल-खारिज में सीओ और राजस्व कर्मचारी कर रहे मनमानी, लोग परेशान

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लाभुकों को हो रही काफी परेशानी

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आरा.

एक तरफ सरकार जमीन का सर्वे कराकर जमीन के सही हकदारों को कागजात पर नाम चढ़ाने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ जिले में सीओ एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा वर्षों से ऐसा नहीं होने देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. इससे पूरे जिले के लोग त्रस्त हैं. जिलावासी त्राहिमाम कर रहे हैं. इसके बावजूद इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. इससे अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारी का मनोबल बढ़ा हुआ है. वहीं लोग मायूस हो रहे हैं. यही स्थिति भूमि सुधार उप समाहर्ता की भी है.

सीओ नहीं सुन रहे दोनों पक्षों की बात

: जिले के सभी 14 अंचलों में अंचलाधिकारियों के पास प्रतिदिन दाखिल-खारिज के दर्जनों मामलों ऑनलाइन किये जा रहे हैं. नियमानुसार इन आवेदनों पर अंचलाधिकारियों को तिथि निर्धारित कर दोनों पक्षों को बुलाया जाना चाहिए एवं उनकी बातों को सुनकर फिर जांच करने के बाद निर्णय सुनाया जाना चाहिए, पर अंचलाधिकारियों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है. जबकि अंचलाधिकारियों का भी कोर्ट होता है. जहां दोनों पक्षों को बुलाया जाता है. छोटी-मोटी सुधार के लिए आवेदकों को मौका दिया जाना चाहिए एवं उसे पर कार्रवाई करनी चाहिए. राजस्व कर्मचारी अपने मन से कुछ भी मंतव्य लिख देते हैं एवं अंचलाधिकारी उसके अनुसार लोगों के आवेदन को खारिज कर देते हैं. इसे लेकर पूरे जिले के लोगों में आक्रोश का माहौल है.

ऑनलाइन आवेदन के समय यदि कोई तथ्य भूल बस अंकित कर दिया जाता है, तो सुधारने का है नियम :

दाखिल-खारिज के आवेदन को ऑनलाइन करते समय यदि भूल बस खाता नंबर, खेसरा नंबर, मौजा या थाना नंबर आदि गलत अंकित हो जाता है तो उसे सुधारने का नियम है. अमेंडमेंट करने के लिए समय दिया जाता है. जबकि अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा इसके लिए समय नहीं दिया जा रहा है, बल्कि सीधे खारिज कर दिया जाता है.

पैसा नहीं देने पर आवेदन कर दे रहे खारिज :

हालत यह है कि दाखिल खारिज के लिए आवेदन देनेवाले लोगों में से जो लोग चढ़ावा नहीं चढ़ा रहे हैं. उनके आवेदन को गलत आरोप लगाकर खारिज कर दिया जा रहा है. इस कारण लोग काफी भयभीत हैं. इस स्थिति में आखिर सर्वे के दौरान कैसे रसीद या अन्य कार्य दिखा पायेंगे. ऐसी स्थिति में सर्वे में कैसे उनके नाम पर जमीन दर्ज होगा.

जिले में हैं कुल 14 अंचल : जिले में कुल 14 अंचल हैं. सभी अंचलों में प्रतिदिन दर्जनों आवेदन दाखिल खारिज के लिए दिए जा रहे हैं. आवेदन खारिज होने के बाद पीरो, जगदीशपुर एवं आरा सदर भूमि सुधार उपसमाहर्ता के न्यायालय में भी प्रतिदिन दर्जनों आवेदन दिये जा रहे हैं. आरा सदर भूमि सुधार उपसमाहर्ता के कार्यालय में आवेदनों की स्थिति काफी दयनीय है. सुनवाई, कार्रवाई तथा निष्पादन की प्रक्रिया काफी धीमी होने के कारण लंबित मामलों का बोझ प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. इसके बावजूद इसकी परवाह किसी को नहीं है.

जिले में लंबित मामले :

भोजपुर जिले में म्यूटेशन के लिए दिये गये आवेदनों में 75 दिनों से ज्यादा समय तक लंबित मामलों में लगभग 8000 पेंडिंग केस एवं 35 दिन से ज्यादा लंबित मामलों में लगभग 5000 पेंडिंग केस हैं. हालांकि यह सरकारी आंकड़े हैं. धरातल पर इससे लगभग डेढ़ गुना अधिक मामले लंबित हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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