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एटीएम, क्रेडिट व डेबिट कार्ड के उपयोग में सावधानी जरूरी

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जानकारी ही ठगी से बचने का उपाय

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अररिया. शहर के महादेव चौक निवासी रामनारायण महतो को अनजान नंबर से आये एक कॉल में ये जानकारी दी जाती है कि उनका बेटा अश्वनी बड़ी मात्रा में स्मैक के साथ राजधानी पटना के गायघाट थाना के हाजत में बंद है. थाना से फोन किये जाने की जानकारी देते हुए उनसे बेटे को छोड़ने के एवज में निर्धारित राशि की मांग की जाती है. बदहवासी के आलम में वे पैसों के लिए अपने मित्र रिश्तेदारों को फोन करते हैं. पैसों का इंतजाम हो जाता है. अब उसे उक्त नंबर पर भेजने की बारी होती है. इस बीच उसी नंबर से कई मर्तबा उन्हें फोन किया जाता है. इधर पति को परेशान देख पत्नी मनोरमा देवी उनसे इसका कारण पूछती है. इस पर रामनारायण फफकते हुए उक्त वाकिया की जानकारी अपनी पत्नी को देते हैं. पत्नी थोड़ी देर पहले ही बेटा अश्वनी से फोन पर बात होने की जानकारी देती है. तब अश्वनी को फोन लगाया जाता है. बेटा अपने रूम में सुरक्षित होने की जानकारी देता है. इस तरह रामनारायण साइबर क्राइम के शिकार होने से बच जाते हैं. ये वाकया अकेले रामनारायण का नहीं है. अभी के दौर में कोई भी व्यक्ति कही भी साइबर क्राइम या ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो सकता है. वर्तमान में साइबर ठगों द्वारा विभिन्न तरीकों से लोगों से आर्थिक ठगी का प्रयास किया जा रहा है. इससे जुड़े मामले जिले में तेजी से बढ़ रहे हैं. लिहाजा संबंधित मामलों के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी हो चुका है. कई तरीकों से दिया जा रहा ऑनलाइन ठगी को अंजाम बैंक अधिकारी रोशन कुमार बताते हैं कि वर्तमान समय में साइबर ठग लोगों से आर्थिक ठगी का हर दिन नई तरकीबें तलाश रहे हैं. कई तरीके से लोगों से ठगी का प्रयास किया जा रहा है. इससे बचने की जरूरत है. आधुनिक तकनीकों ने कई कामों को बेहद आसान बना दिया है. इस कारण कई गंभीर परिस्थिति भी परिलक्षित हो रहे हैं. इसमें साइबर फ्राॅड सबसे महत्वपूर्ण है. इससे बचाव के लिए वित्तीय लेनदेन के समय काफी सतर्क रहने की जरूरत है. डिजिटल ट्रांजेक्शन के दौरान कई तरीकों से ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया जा सकता है. लोगों की पहचान चुराना है ठगी का सबसे आसान तरीका लोगों की पहचान चुराना साइबर ठगी का सबसे आसान तरीका है. इसके लिए साइबर ठग द्वारा किसी व्यक्ति से आधार नंबर, पेन कार्ड व बैंक से जुड़ी जानकारी की मांग करते हैं. इस निजी जानकारी से ठग किसी व्यक्ति के खाते से अवैध रूप से निकासी कर लेते हैं. इसलिए किसी अनजान व्यक्ति से इस तरह की जानकारी साझा करने से परहेज करना जरूरी है. उनसे अपना ओटीपी, आधार नंबर, पैन नंबर, क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड से संबंधित किसी तरह की जानकारी साझा नहीं किया जाना चाहिए. साइबर ठग ऑनलाइन जॉब, लॉटरी, शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के खाता विवरणी संबंधी जानकारी हासिल कर उक्त व्यक्ति के खाते से अवैध राशि की निकासी कर ले रहे हैं. ठग एटीएम मशीन के साथ भी छेड़छाड़ कर किसी व्यक्ति के कार्ड से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं. इससे आर्थिक क्षति होने की संभावना होती है. एटीएम से राशि निकासी के दौरान बरतें ये सावधानी एटीएम से राशि निकासी के दौरान भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है. बैंक अधिकारी रोशन कुमार ने बताया कि किसी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में तत्काल इसकी सूचना एटीएम गार्ड व संबंधित बैंक प्रबंधक को देना जरूरी है. साइबर ठगी का शिकार होने के तीन दिनों के अंदर इसकी सूचना टॉल फ्री नंबर 1930 या 112 पर दिया जाना चाहिए. ताकि ससमय साइबर ठग पर उचित कार्रवाई संभव हो सके. उन्होंने बताया कि आमतौर पर साइबर ठगी मानवीय भूल का नतीजा होता है. जागरूकता व सावधानी से साइबर क्राइम से बचाव संभव नगर थानाध्यक्ष मनीष कुमार रजक ने बताया कि साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है. जो कंप्यूटर व नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है. इसके तहत निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत इस्तेमाल करना, फेरबदल करना, ऑनलाइन बैंक खाता से पैसा चुराना सहित अन्य कृत सम्मिलित हैं. इससे बचाव के लिये अपना पिन नंबर किसी के साथ साझा नहीं करें, अपना क्रेडिट, डेबिट, या एटीएम कार्ड का पिन किसी के साथ साझा नहीं करें. एटीएम कार्ड या अन्य किसी कार्ड से संबंधित रशीद किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं फेकें. किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ अपना पता, जन्म तिथि, पारिवारिक विवरण, साझा नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा करके हम काफी हद तक साइबर क्राइम के शिकार होने से खुद को बचा सकते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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